प्रदेश में अमीरों को मिलता रहेगा इंदिरा गृह ज्योति योजना का लाभ

इंदिरा गृह ज्योति योजना

-आयकरदाताओं को सस्ती बिजली की योजना से बाहर करने का था प्रस्ताव

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम।
दमोह विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को मिली हार और कोरोना संक्रमण के दुष्प्रभाव अब मप्र में दिखना शुरू हो गए हैं। यही वजह है कि अब सरकार ने अपनी उस योजना से हाथ खींचना तय कर लिया है, जिसके तहत अमीरों को सस्ती बिजली से बाहर किया जाना था। फिलहाल सरकार ने तय किया है कि पहले से ही परेशान चल रहे लोगों को और परेशान करने वाली कोई योजना प्रदेश में लागू नहीं की जाएगी।
दरअसल प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व में आयकर दाता उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली की इंदिरा गृह ज्योति योजना से बाहर करने की तैयारी कर ली गई थी। इसके लिए सरकार द्वारा आयकरदाताओं की सूची भी मांगी गई थी, जिससे की उनके इस योजना से बाहर किया जा सके। यह बात अलग है कि करीब दो माह बाद भी यह सूची सरकार को नहीं मिल सकी है। इसकी वजह से अब भी अमीर उपभोक्ताओं द्वारा सस्ती बिजली का उपयोग किया जा रहा है। इसकी वजह से सरकार को हर साल करीब एक हजार करोड़ रुपए का नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इस राशि को बचाने और पात्र उपभोक्ताओं को ही योजना का लाभ देने के लिए सरकार की और से यह तैयारी करते हुए आयकर विभाग से सूची मांगी गई थी। गौरतलब है कि प्रदेश में पूर्व की शिवराज सरकार द्वारा गरीबों को सस्ती बिजली देने के लिए सरल बिजली योजना को लागू किया गया था। बाद में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद इस योजना का नाम बदलकर इंदिरा गृह ज्योति योजना कर दिया गया था। इस योजना के तहत सभी बिजली उपभोक्ताओं को तय यूनिट तक सस्ती बिजली योजना का लाभ मिल रहा है।
 इसकी वजह से सरकार पर हर साल करीब  एक हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ आ रहा है। इस बोझ को कम करने के लिए ही प्रदेश की शिव सरकार इस योजना के दायरे से उन उपभोक्ताओं को बाहर करना  चाहती है, जो आयकर का भुगतान करते हैं। यही वजह है कि प्रदेश के ऊर्जा विभाग ने 12 फरवरी को आयकर देने वाले लोगों की सूची के लिए आयकर विभाग को पत्र लिखा था। इसके बाद विभाग द्वारा तीनों कंपनियों को पत्र लिखकर आयकर विभाग से ऐसे उपभोक्ताओं की सूची हासिल करने के प्रयास करने के भी निर्देश दिए गए थे।
तो बाहर हो जाते 209 लाख उपभोक्ता
अगर सरकार को आयकर देने वाले उपभोक्ताओं की सूची मिल गई होती तो अब तक करीब 40 लाख उपभोक्ता इंदिरा गृह ज्योति योजना के  दायरे से बाहर हो गए होते। इन उपभोक्ताओं को बाहर करने के लिए विभाग द्वारा युक्तियुक्तकरण योजना का सहारा लिए जाने की तैयारी की गई थी। दरअसल सरकार का मानना है कि आयकर देने वाले उपभोक्ता महंगी दर पर बिजली का भार उठाने में सक्षम होते हैं। दरअसल अभी सरकार को इस योजना के तहत बिजली कंपनियों को होने वाले नुकसान की भरपाई के रुप में एक हजार करोड़ रुपए का अनुदान देना पड़ता है।

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