फर्जी आदेश जारी करने वाले अफसर को सौंप दिया जिले का जिम्मा

  • शिकायतों पर कार्रवाई की जगह फिर डीईओ बनाकर कर दिया उपकृत
शिक्षा विभाग

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
स्कूल शिक्षा विभाग में नियम कानूनों को तक पर रखकर किस तरह से अफसरों को उपकृत किया जा रहा है, इसका उदाहरण है हाल ही में निवाड़ी में जिला शिक्षा अधिकारी पद पर की गई पदस्थापना। जिस प्राचार्य आरडी वर्मा  को डीईओ के पद पर पदस्थ किया गया है, उनके खिलाफ पूर्व से कई गंभीर शिकायतें भोपाल में लंबित पड़ी हुई हैं। इसके अलावा उनके खिलाफ लोकायुक्त में भी शिकायतें हैं। ऐसे में विभाग ने इन शिकायतों पर कार्रवाई करने की अनुशंसा करने वाले प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी उन्मेश श्रीवास्तव को ही हटाकर आरोपी अफसर को फिर से पदस्थ कर दिया है। इससे विभाग की कार्रवाई पर गंभीर सवाल खड़े होने लगे हैं। इससे यह तय हो गया है कि विभाग के अफसर आरोपी अफसर को बचाने में लगे हुए हैं। दरअसल पूर्व में डीईओ रहते हुए वर्मा के कार्यकाल में जब जिस आदेश की जरूरत पड़ी, उसका फर्जी आदेश बनाकर जारी कर  दिया जाता था। इन आदेशों के आधार पर ही सरकारी करोड़ों रुपए का भुगतान भी कर दिया गया। इस तरह के तीन मामलों की शिकायत के बाद जांच हुई तो खुलासा हुआ कि तीनों आदेश फर्जी तरीके से जारी किए गए  हैं। संचालक लोक शिक्षण संचालनालय ने जब इन मामलों में कार्यवाही के लिए लिखा। इससे घबराए भ्रष्टाचारियों ने उन्मेश श्रीवास्तव की ही डीईओ पद से रवानगी करवा कर पूर्व डीईओ वर्मा की पदस्थापना के आदेश जारी करवा दिए।  स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित प्राइवेट और अनुदान प्राप्त 56 स्कूलों को सरकारी किया गया था। इन स्कूलों के कुछ कर्मचारियों ने जब जिसकी जरूरत पड़ी, उसके फर्जी आदेश निकलवाकर करोड़ों का भुगतान ले लिया। मामले की जांच के बाद संचालक लोक शिक्षण संचालनालय डीएस कुशवाह ने तीन आदेशों को फर्जी बताया। तीनों पत्र हाईकोर्ट की जांच के संबंध में भेजे गए, लेकिन याचिका लगाने वाले ने उक्त प्रकरण हाईकोर्ट से वापस ले लिए हैं। उसके बाद फर्जी आदेशों के मामले में जिला शिक्षा अधिकारियों को कार्यवाही करना है। फिलहाल मामला ठंडे बस्ते में है। खास बात यह कि फर्जी आदेशों के आधार पर अभी भी वेतन समेत अन्य भुगतान किए जा रहे हैं। फर्जी आदेशों के सबसे ज्यादा मामले निवाड़ी जिले में हैं। दतिया, भिंड, मुरैना समेत अन्य जिलों के मामले भी बताए जा रहे हैं। फर्जी आदेशों से एक हजार से अधिक कर्मचारियों ने लाभ लिया है। हालांकि विभाग स्तर पर अभी इसकी जांच नहीं हुई है। विभागीय सूत्रों की मानें तो अभी तीन आदेश फर्जी निकले हैं, लेकिन इनकी संख्या दस से ज्यादा है। जांच हुई, तो बड़ा घोटाला सामने आएगा। प्रभारी डीईओ श्रीवास्तव मामले में कार्यवाही कर रहे थे। इसके पहले ही उनकी रवानगी करवाकर घोटाले के आरोपी को ही डीईओ बनाने के आदेश जारी हो गए, जिससे भ्रष्टाचार के मामले को दफन किया जा सके। डीईओ श्रीवास्तव को हटाने में एक विधायक की भूमिका बताई जा रही है।

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