महाकौशल में दिग्गजों की साख दांव पर

  • जीत के लिए पसीना बहा रहे भाजपा-कांग्रेस के नेता
भाजपा और कांग्रेस

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। 38 विधानसभा सीटों वाले महाकौशल क्षेत्र में अधिक से अधिक सीटें जीतने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने पूरा दम लगा दिया है। इसके लिए दोनों पार्टियों के नेता रात-दिन पसीना बहा रहे हैं। लेकिन सबसे अधिक फोकस उन पांच सीटों पर है, जहां दिग्गज नेता चुनाव लड़ रहे हैं। ये पांच सीटें हैं छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर, गाडरवारा, मंडला और जबलपुर की पश्चिम। इन सीटों को जीतने के लिए दोनों ही पार्टियों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। गौरतलब है कि मप्र में विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। यहां एक चरण में 230 सीटों पर 17 नवंबर को वोटिंग होगी। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां एक-एक सीट पर अलग-अलग रणनीति बनाकर काम कर रही हैं। महाकौशल के चुनावी नतीजे हमेशा चौकाने वाले रहे हैं। 2018 के चुनाव में भाजपा को महाकौशल इलाके से निराशा का सामना करना पड़ा था। इसकी बड़ी वजह आदिवासियों वर्ग की नाराजगी मानी गई थी। इस बार क्षेत्र की 38 सीटों पर किसकी फतह होगी। सत्ता की तिजोरी किसे मिलेगी ये 3 दिसंबर को स्पष्ट हो जाएगा। लेकिन इससे पहले जानते हैं , इलाके का चुनावी समीकरण।
5 सीटों पर सबसे अधिक फोकस
महाकौशल क्षेत्र में पांच सीटों पर सबसे अधिक फोकस किया जा रहा है। भाजपा ने महाकौशल क्षेत्र से केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते सहित जबलपुर से वर्तमान सांसद राकेश सिंह को जबलपुर- पश्चिम विधानसभा सीट से और होशंगाबाद से वर्तमान सांसद उदय प्रताप सिंह को गाडरवारा विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को छोडक़र  चुनाव मैदान में उतरे सभी मौजूदा भाजपा सांसदों को उनकी संबंधित लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों से टिकट दिया गया है। वहीं छिंदवाड़ा से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद मैदान में उतरे है। दमोह से मौजूदा सांसद केंद्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल नरसिंहपुर से मैदान में हैं, जो होशंगाबाद संसदीय सीट के अंतर्गत आता है। नरसिंहपुर सीट का प्रतिनिधित्व वर्तमान में प्रहलाद पटेल के छोटे भाई जालम सिंह पटेल करते हैं। कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री के खिलाफ लाखन सिंह पटेल को मैदान में उतारा है, जिन्हें 2018 में जालम सिंह पटेल ने हराया था। हालांकि पूर्व में हुए चुनाव और वर्तमान हालात में ज्यादा हेरफेर नहीं है। इसलिए इस सीट को सबसे हॉट माना जा रहा है। लोधी बाहुल्य नरसिंहपुर विधानसभा में कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी लोधी समाज से आते हैं। इसके पूर्व यह सीट दिग्विजय सिंह शासनकाल में वित्त मंत्री रहे कर्नल अजय नारायण मुश्रान की परंपरागत सीट मानी जाती थी। महाकौशल की सबसे हॉट सीट छिंदवाड़ा मानी जा रही है। यहां से कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ  चुनावी मैदान में है। दूसरी मर्तबा विधानसभा चुनाव लड़ रहे कमलनाथ के सामने कमल ही चुनौती बना हुआ है। इस बार फिर भाजपा ने विवेक साहू बंटी को मैदान में उतारा है। छिंदवाड़ा वैसे तो कमलनाथ का गढ़ कहा जाता है, परंतु पिछले उपचुनाव में भाजपा के विवेक साहू बंटी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी, जबकि वह स्वयं मुख्यमंत्री थे। 2018 कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद दीपक सक्सेना ने सीट कमलनाथ के लिए छोड़ दी थी, जिसके बाद 2019 के उपचुनाव में कमलनाथ ने 1.14,459 वोट पाकर बड़ी जीत हासिल की थी। उन्होंने भाजपा के विवेक बंटी साहू को 25,837 वोटों के अंतर से हराया था। हालांकि इस बार भी दोनों प्रत्याशी फिर आमने-सामने है। यहां पर सबसे ज्यादा वोटर आदिवासी समाज का है।
कई सीटों पर दमदार मुकाबला
महाकौशल क्षेत्र की कुछ सीटें ऐसी हैं ,जहां मुकाबला दमदार हो रहा है। प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा सांसद राकेश सिंह अपना पहला विधानसभा चुनाव जबलपुर (पश्चिम) से लड़ रहे हैं, जो 1990 तक कांग्रेस का गढ़ था। राकेश सिंह का मुकाबला दो बार के कांग्रेस विधायक तरुण भनोट से है, जो कमल नाथ सरकार में (दिसंबर 2018 मार्च 2020) वित मंत्री थे। भगवा पार्टी पहली बार जबलपुर (पश्चिम) से जीती, जब 1990 में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की सास जयश्री बनर्जी ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली। यह सीट 2013 तक भाजपा के पास रही। 2013 में इस सीट से कांग्रेस के तरुण भनोट जीते थे। जबलपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले आठ विधानसभा क्षेत्रों में से चार पर भाजपा और चार पर कांग्रेस का कब्जा है। भाजपा ने होशंगाबाद से मौजूदा लोकसभा सांसद उदय प्रताप सिंह को गाडरवारा विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है, जो उनके प्रतिनिधित्व वाले संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। सन 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुने गए तीन बार के सांसद उदय प्रताप सिंह 2014 के संसदीय चुनावों से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गए और भगवा पार्टी के लिए होशंगाबाद सीट जीती। उन्होंने 2019 में यह लोकसभा सीट बरकरार रखी। कांग्रेस ने गाडरवारा विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक सुनीता पटेल को मैदान में उतारा है। यहां कड़ा मुकाबला देखा जा रहा है। मंडला (एसटी) संसदीय सीट से मौजूदा लोकसभा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते निवास विधानसभा सीट से से चुनाव लड़ ड़ रहे हैं जो उनके संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती है। केंद्रीय मंत्री ने 1990 में कांग्रेस से निवास सीट छीन ली, लेकिन 1993 में अगले विधानसभा चुनाव में वह हार गए। सन 2003 के बाद से फग्गन कुलस्ते के भाई राम प्यारे कुलस्ते ने तीन बार यह सीट जीती, लेकिन 2018 में वह हार गए। अब, केंद्रीय मंत्री का मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार चैन सिंह वरकड़े से है।

Related Articles