समितियों की सिफारिशें साबित हुईं बेअसर

समितियों की सिफारिशें

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। वेतन विसंगति दूर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा बनाई गई समितियां रियों की समस्याओं का समाधान करने में नाकाम साबित हो रही हैं। अब तक सरकार चार बार समितियां बना चुकी हैं। इन समितियों द्वारा अपनी रिपोर्ट भी दी गई हैं, लेकिन सरकार ने उन पर अमल करना ही मुनासिब नहीं समझा है। यही वजह है कि हाल ही में आई जीपी सिंघल आयोग की रिपोर्ट को लेकर कर्मचारियों में कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा है। उन्हें संशय है कि कहीं  पूर्व में बनी 4 समितियों की तरह इसकी सिफारिशें भी फाइलों में कैद होकर न रह जाएं। दरअसल, प्रदेश के 7.50 लाख कर्मचारी बीते 36 वर्षों से वेतन विसंगति सहित कई दूसरी मांगों को लेकर लगातार आवाज बुलंद किए हुए हैं, लेकिन उनकी समस्याएं हल होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। अगर समितियों की बात की जाए तो बीते 8 वर्षों में चार से अधिक समितियां बनाई गई, लेकिन इन समितियों द्वारा की गई अनुशंसाओं को लागू करने की हिममत सरकार अब तक नहीं दिखा सकी है। इसमें 2020 में बनी जीपी सिंघल समिति भी शामिल है। प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने इस समिति की सिफारिशें प्राप्त होने तथा परीक्षण बाद लागू करने का दावा किया है। इसके बाद कर्मचारी संगठन सक्रिय हो गये हैं और जल्द सार्वजनिक व लागू करने की मांग करने लगे हैं। पदोन्नति में आरक्षण विवाद के निराकरण के लिये सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद सरकार ने मंत्रीमंडलीय समिति जरूर बनाई, लेकिन तीन बार की बैठक के बाद भी यह विवाद का निराकरण नहीं कर पाई। जबकि पदोन्नति के लिए आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों के संबंध में कर्मचारी संगठनों से सुझाव भी लिए गए थे।
3 माह का काम 19 माह बाद भी अधूरा
छठवें वेतनमान के अनुरूप गृहभाड़ा भत्ता सहित कर्मचारियों की अन्य मांगों के निराकरण के लिये मप्र सरकार ने जनवरी 2023 में वित्त सचिव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति बनाई थी। रिपोर्ट देने के लिये इसको 3 माह का समय दिया गया था। लेकिन यह समिति 19 माह बाद भी अपनी रिपोर्ट नहीं दे पाई है।
करना पड़ सकता है वर्षभर का इंतजार
जानकारी के अनुसार वित्त विभाग के परीक्षण के बाद नए वेतन ढांचे को लागू करने से पहले कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगी। इस प्रक्रिया में करीब एक साल का समय लग सकता है। जबकि 2020 में तत्कालीन वित्त सचिव जीपी सिंघल वाली यह समिति रिपोर्ट तैयार करने में 4 साल का समय ले चुकी है।
समितियां बनीं पर सामने नहीं आई रिपोर्ट
प्रदेश के साढ़े सात लाख कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण के 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रमेशचंद शर्मा की अध्यक्षता में समिति बनाई थी। इस समिति ने सरकार को रिपोर्ट सौंपी पर यह न तो सामने आई और ना ही इसे सरकार ने अब तक लागू करने की जरूरत ही समझी है।

Related Articles