आचार संहिता में भी नहीं थम रहा कर्ज लेने का सिलसिला

आचार संहिता
  • छह दिन बाद फिर लिया जा रहा है 2000 करोड़  का नया लोन

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। पहले से ही खराब चल रही सरकारी खजाने की हालत अब और बिगड़  चुकी है। इसकी वजह से चुनावी आचार संहिता लागू होने के बाद भी प्रदेश में एक हफ्ते के अंदर दूसरी बार कर्ज लिया जा रहा है। 25 अक्टूबर को एक हजार करोड़ का कर्ज लेने के बाद अब सरकार दो हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज लेने जा रही है। खास बात यह है कि यह कर्ज प्रदेश के स्थापना दिवस यानी की एक नंबवर को लिया जाना है।
लगातार कर्ज लेने की वजह है, सरकार का खजाना पहले से खाली चल रहा था, ऐसे में भी सरकार ने सियासी फायदे के लिए चुनाव से ठीक पहले कई लोकलुभावन योजनाओं को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन योजनाओं से सरकारी खजाने पर भारी बोझ आ गया है। जिसका असर अब पूरी तरह से दिखने लगा है। हालात यह बन चुके हैं कि सरकार के पास भुगतान संकट की स्थिति बन रही है। नगदी के अभाव में सरकार को लगातार और बार-बार बाजार से कर्ज लेना पड़ रहा है। यह कर्ज सरकार द्वारा सिक्युरिटीज को गिरवी रखकर लेना पड़ रहा है। इस नए कर्ज के लिए वित्त विभाग द्वारा आरबीआई के माध्यम से ऑक्शन की प्रक्रिया करने जा रही है। इस कर्ज को 14 साल के लिए लिया जा रहा है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने हाल ही में 25 अक्टूबर को 1000 करोड़ रुपए का कर्ज बाजार से लिया है। ये चुनाव आचार संहिता लगने के बाद राज्य सरकार द्वारा लिया गया पहला कर्ज था, अब एक नवंबर को लिया जाने वाला दूसरा कर्ज होगा। यह कर्ज बाजार से उठाया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा एक बार फिर बांड गिरवी रखे जा रहे हैं। यह कर्ज 11 साल के लिए लिया जा रहा है। इस बार भी कर्ज लेने की वजह आधी अधूरी विकाय कार्यों की परियोजनाओं को पूरा करने के नमा पर ही कर्ज लिया जा रहा है।
ले सकती है 40 हजार करोड़ रुपए तक का ऋण
प्रदेश सरकार राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 4 प्रतिशत तक ऋण ले सकती है। सरकार के पास 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक का ऋण लेने की पात्रता है, लेकिन अभी तक सरकार ने आठ हजार करोड़ का ही ऋण लिया है। राज्य सरकार ने जो कर्ज लिया है उसका इस्तेमाल आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और विकास परियोजना को गति देने के लिए किया जाएगा।
जारी रहेगा कर्ज लेना
राज्य सरकार पर खर्च का दबाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। खासतौर पर सरकार को उन योजनाओं के लिए रुपयों का इंतजाम करना पड़ रहा है, जिनमें  खासतौर पर हितग्राहियों को नगद राशि का भुगतान किया जाता है। लिहाजा ऐन चुनाव के समय नगद राशि भुगतान वाली योजनाओं पर अमल करने में किसी तरह की बाधा नहीं आए, इसलिए ही सरकार बाजार से कर्ज लेकर अतिरिक्त राशि का इंतजाम कर रही है। ऐसे में अभी चुनाव आचार संहिता के बीच भी बाजार से कर्ज लेना सिलसिला जारी रहने वाला है।
इस वित्त वर्ष में कर्ज हो जाएगा 13500 करोड़
वित्तीय वर्ष 2023-24 की अवधि में राज्य सरकार इससे पहले 7 बार में 11500 करोड़ रुपए का कर्ज बाजार से उठा चुकी है। ये 12वां कर्ज होगा। इस कर्ज को मिलाकर बाजार से लिए जाने वाले कर्ज की राशि बढक़र 13500 करोड़ रुपए हो जाएगी। 31 मार्च 2023 की अवधि में राज्य सरकार 3 लाख 31 हजार 651 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है।

Related Articles