-अपनों को टिकट दिलाने कुछ पूर्व मंत्रियों ने छोड़ा चुनावी मैदान
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर एक तरफ भाजपा और कांग्रेस में रणनीतिक तैयारियां तेज हो गई हैं, वहीं टिकट के दावेदारों की दौड़ भी शुरू हो गई है। भाजपा में हाईकमान ने भले ही परिवारवाद पर समझौता न करने को लेकर क्राइटेरिया साफ किया है, लेकिन मिशन 2023 के घमासान में नेतापुत्रों का दम दिखेगा। इसके लिए फिलहाल पार्टी के चार बड़े नेता ‘अपनों’ के लिए चुनाव मैदान छोड़ चुके हैं। पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार और हर्ष सिंह ने विधानसभा चुनाव में बेटे के लिए मैदान छोड़ा था। अब दो पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन और नागेंद्र सिंह ने चुनाव लड़ने से इंकार किया है। 12 अन्य नेता भी हैं, जिनके अपने टिकट की दावेदारी में हैं। यानी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा में टिकट के लिए जोरदार घमासान होने के आसार हैं।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने मई में कहा था, परिवारवादी पार्टी हमारे लोकतंत्र और युवाओं की सबसे बड़ी दुश्मन है। ये अपने विकास के बारे में ही सोचती हैं। इसके बावजुद नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में भी भाजपा नेताओं ने बेटे-बहू और नजदीकी रिश्तेदारों को चुनाव लड़ाया और इनके लिए पूरी ताकत लगाई थी। अब विधानसभा चुनाव में किस नेता के बेटे या बेटी को टिकट मिलेगा, ये गाइडलाइन ही तय करेगी।
भाजपा में वंशवाद की हरी-भरी बेल
मप्र भाजपा में परिवारवाद की बेल लंबी है। प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा के कई दिग्गज अपने परिजनों के लिए टिकट की दावेदारी कर सकते हैं, लेकिन मोदी का फॉर्मूला चला तो ये दावेदारी खटाई में पड़ सकती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान राजनीति में एक्टिव हैं। वो अपने पिता के विधानसभा क्षेत्र बुदनी में सक्रिय हैं। पिछले दो विधानसभा चुनाव में प्रचार की जिम्मेदारी भी संभाली। सिंधिया राजवंश की चौथी पीढ़ी अब राजनीति के मैदान में सक्रिय होती नजर आ रही है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन भी राजनीति में उतर सकते हैं। महाआर्यमन पिछले कुछ वक्त से लगातार सार्वजनिक कार्यक्रमों में नजर आ रहे हैं। भाजपा के कद्दावर नेता और शिवराज सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव मप्र की राजनीति सक्रिय हो गए हैं। पंचायत चुनाव में अभिषेक परिवारवाद की राजनीति पर सवाल खड़े कर सुर्खियों में रहे। अभिषेक ने कहा था कि पंचायत चुनाव में भी भाजपा केंद्रीय नेतृत्व द्वारा परिवारवाद पर बनी गाइडलाइन का पालन होना चाहिए। यदि पूर्व से ही किसी के परिवार में विधायक या सांसद है, तो फिर उस परिवार से किसी अन्य सदस्य को सरपंच, जनपद, या जिला पंचायत का चुनाव नहीं लड़ाना चाहिए। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में सक्रिय हो चुके हैं। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य भी हैं। वहीं, पिता की तरह वे लोगों के बीच जगह बना रहे हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह भी राजनीति में सक्रिय हो चुके हैं। देवेंद्र को अपने पिता के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है। भविष्य में देवेंद्र भी टिकट के लिए दावेदारी कर सकते हैं। पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं।
2018 विधानसभा चुनाव में इन्होंने टिकट की दावेदारी की थी। पार्टी में उन्हें विरोध झेलना पड़ा था। साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने गौरीशंकर शेजवार की जगह उनके बेटे मुदित शेजवार को सांची विधानसभा से प्रत्याशी बनाया था, तब वे कांग्रेस प्रत्याशी प्रभुराम चौधरी से 10,571 वोटों से हार गए थे। कांग्रेस से भाजपा में आए सिंधिया समर्थक व राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के छोटे बेटे आकाश राजपूत को उनके उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है। आकाश टीवी सीरियलों में काम कर चुके हैं। सुरखी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में आकाश ने प्रचार का जिम्मा संभाला था। सिंधिया समर्थक व शिवराज सरकार में मंत्री तुलसी सिलावट के छोटे बेटे राजनीति में सक्रिय हो चुके हैं। कोविड काल के दौरान वो काफी सक्रिय रहे।
मप्र भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सांसद प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा भी राजनीति में अपना करियर देख रहे हैं। इनके अलावा सुमित्रा महाजन के बेटे मंदार, दिवंगत नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान दौड़ में अभी से हैं। इसी तरह विजय शाह बेटे दिव्यादित्य शाह और विधायक सुलोचना रावत बेटे विशाल रावत को आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह ने मुरैना से अपने बेटे राकेश सिंह के लिए दावेदारी तेज कर दी है।
विजयवर्गीय सहित कई छोड़ चुके सीट
2018 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने बेटे आकाश के लिए सीट छोड़ दी थी। अब बालाघाट से विधायक गौरीशंकर बिसेन ने चुनाव लड़ने से इनकार किया है। वे पूर्व मंत्री और सात बार के विधायक हैं। उम्र 70 वर्ष है। उन्होंने बेटी मौसम बिसेन को भावी विधायक कहकर चुनावो के लिए आगे किया है। भोपाल में एक बड़ा डिनर दे चुके हैं। इधर, नागौद से विधायक नागेंद्र सिंह ने बयान दिया कि अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनकी उम्र 80 साल है। बताया जा रहा है कि नागेंद्र सिंह अपने दोनों बेटों या फिर भतीजे में से किसी एक के लिए दावेदारी करेंगे। गुढ़ से चार बार के विधायक नागेंद्र सिंह भी अपने बेटों के लिए सीट छोड़ सकते हैं। उनकी उम्र भी 82 साल हो चुकी है। पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार दोबारा बेटे मुदित के लिए टिकट मांगेंगे। वहीं जयंत मलैया बेटे सिद्धार्थ के लिए प्रयास करेंगे।