- जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों में खाली पड़े सीईओ के पदों के लिए जारी किया जाएगा विज्ञापन
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश के जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों में पहली बार मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीइओ) की नियुक्ति प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों से की जाएगी। अपेक्स बैंक इसकी तैयारी कर रहा है। इसके तहत अब नाबार्ड और कॉमर्शियल बैंकों के अधिकारियों को जिला सहकारी बैंकों में सीईओ बनाया जाएगा। प्रतिनियुक्ति पर रिटायर्ड सहकारी अफसरों को भी पदस्थ किया जा सकेगा। इसके लिए सेवा शर्तों में संशोधन किया जाएगा। जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों में अभी तक सहकारिता संवर्ग के अधिकारियों को पदस्थ किया जाता था लेकिन बैंकों में जिस तरह से गड़बड़ियां सामने आ रही हैं, उसे देखते हुए व्यवस्था में परिवर्तन करने का निर्णय लिया है। इसके तहत कई बदलाव भी किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में 37 जिला सहकारी केंद्रीय बैंक अपेक्स बैंक के अन्तर्गत आते हैं। इनमें 16 में सीईओ नहीं हैं। कई बैंकों में जूनियर अफसरों को प्रभारी बनाया गया है। नई भर्ती नहीं होने से अफसरों की कमी है, इसलिए नाबार्ड के अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर लिए जाएंगे। एसबीआई, सेंट्रल बैंक और पीएनबी जैसी बैंकों के अफसरों को प्रतिनियुक्ति पर लाने विज्ञापन दिए जाएंगे। सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव केसी गुप्ता का कहना है कि सहकारी बैंकों में नाबार्ड और कॉमर्शियल बैंकों के अफसरों को प्रतिनियुक्ति पर लेने के लिए नियम बना रहे है। रिटायर्ड सहकारी अफसरों को भी संविदा नियुक्ति का विचार है।
कई बैंक में भी सीईओ नहीं
खरगोन जिला सहकारी बैंक का टर्नओवर सबसे ज्यादा 2,500 करोड़ का है। यहां भी सीईओ नहीं है। इसके अलावा भिड, ग्वालियर, मंडला, शहडोल और रीवा में भी सीईओ नहीं हैं। खंडवा, सागर और उज्जैन के सीईओ के इस्तीफे की खबर है। उधर, बैंकों में फुल टाइम कैडर के अफसरों की कमी है। इस कारण दूसरे बैंकों से प्रतिनियुक्ति पर अधिकारी बुलाने की तैयारी चल रही है। विभाग का कहना है कि जूनियर कर्मचारियों को प्रभारी सीईओ बनाने से कामकाज प्रभावित होता है। कई बैंकों में गड़बड़ी और घोटाले सामने आ चुके हैं। नाबार्ड और बैंकों के अनुभवी अफसरों के आने से लेन-देन व्यवस्था बनेगी। किसानों से जुड़ी योजनाओं का क्रियान्वयन समय पर होगा।
लापरवाहियां आ चुकी हैं सामने
प्रदेश में जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के माध्यम से सरकार प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों से किसानों को अल्पावधि ऋण दिलाने का काम करती है। प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक ऋण 30 लाख से ज्यादा किसानों को बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जाता है। उधर, बैंकों में अनियमितताओं की कई शिकायतें सामने आई हैं। ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, देवास सहित अन्य बैंकों में करोड़ों रुपये की अनियमितता सामने आने पर कार्रवाई भी की गई है। दरअसल, सहकारी बैंकों में बैंकिंग संबंधी नियमों को पूरी तरह पालन नहीं होने की वजह से यह अनियमितताएं हुई हैं। इसमें बैंकों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की प्रशासनिक लापरवाही सामने आई है।