पीएम आवास में नहीं रहना चाहते प्रदेश के गरीब

  • सरकार से मिले घर को वापस कर रहे लोग
पीएम आवास

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र में गरीबों को सरकार द्वारा मिलने वाले पीएम आवास रास नहीं आ रहे हैं। आलम यह है कि सरकार ने जिन गरीबों को पीएम आवास दिया है, वे उसे लौटा रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि गरीब झुग्गी बस्ती को मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। झुग्गी बस्ती में रहने पर गरीबों को कई तरह की सुविधाएं नि:शुल्क मिलती हैं। इसलिए वे पीएम आवास में नहीं रहना चाहते हैं।
गौरतलब है कि सरकार पिछले 25 वर्ष में झुग्गी बस्ती उन्मूलन, गरीबों के लिए इंद्रा आवास योजना, राजीव गांधी आवास योजना, जेएनएनयूआरएम, पीएम आवास योजना सहित कई योजनाएं लॉन्च कर चुकी है। झुग्गियों और बेघर लोगों का आंकलन कर प्रदेश के 413 निकायों ने 2015 में पीएम आवास योजना के तहत 11 लाख 52 हजार आवास की डिमांड की थी। 9 लाख आवासों का प्रस्ताव तैयार कर भारत सरकार को भेजा गया था। गौरतलब है कि पीएम आवास योजना में सरकार गरीबों को पक्के आवास मुहैया कराने का पूरा प्रयास कर रही है पर लोगों की इनमें रहने में रुचि नहीं है। यही वजह है कि पिछले सात साल में निकायों ने डेढ़ लाख से ज्यादा आवास सरेंडर कर राशि पीएम शहरी आवास मिशन को वापस कर दी है। इस संबंध में इसी हफ्ते मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक रखी गई है क्योंकि अब पीएम आवास योजना-2 लांच की तैयारी की जा रही है। जानकारी के अनुसार करीब डेढ़ लाख आवास लेने के लिए कोई हितग्राही सामने नहीं आए। इसकी मुख्य वजह यह थी कि निकायों ने बिना सर्वे और हितग्राही के ही आवास स्वीकृत कर लिए थे। अब खरीदार और हितग्राहियों द्वारा रुचि नहीं लिए जाने के कारण इन्हें सरेंडर कर दिया गया है।
भोपाल और इंदौर नगर निगमों ने बेघरों के लिए सब्सिडी स्कीम आवास बनाए थे पर इन्हें लेने भी खरीदार नहीं आए। इन आवासों को बेचने के लिए बिल्डरों का सहारा लेना पड़ा रहा है। कई ने बुकिंग की राशि वापस ले ली क्योंकि दो साल बाद भी उन्हें आवास नहीं मिले। झुग्गियों में लोग इसलिए रहना पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें पानी और बिजली के बिलों से निजात मिलेगी। इसके अलावा निकाय उनसे किसी तरह से टैक्स नहीं वसूलेंगे। उन्हें गरीबी योजना की तमाम तरह की सुविधाएं मिलेंगी। भवनों मरम्मत कराने की भी जरूरत नहीं होगी। भवन लेने पर उन्हें 6 से सात लाख रुपए आवास का देना पड़ता।
पैसे लेकर नहीं बनाते आवास
प्रधानमंत्री आवास योजना के एमपी के हितग्राहियों द्वारा राशि लेकर घर नहीं बनाने के मामले भी सामने आए हैं। आंकड़ों के मुताबिक मप्र में करीब 30 हजार ऐसे हितग्राही हैं, जिन्होंने पीएम आवास में पंजीयन कराने के बाद घर बनाने की शुरुआत भी नहीं की थी। मीराबाई नगर भोपाल के श्याम धाकड़ का कहना है कि आवास में मेरा नाम ही नहीं था लेकिन आवास में मेरा काम नहीं आया। इसके अलावा जो आवास नगर निगम दे रही थी, उसके लिए हमारे पास पैसे नहीं थे। क्योंकि ये आवास आठ लाख रुपए में मिल रहे थे। अपर आयुक्त, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग डॉ. परीक्षित राव झाड़े का कहना है कि जो आवास सरेंडर किए गए हैं उसमें जमीन का विवाद था, या लोग माइग्रेट हो गए। योजना की शर्तों के अनुसार पात्र नहीं थे। भोपाल में कुछ लोकेशन के कारण आवास लेने के लिए हितग्राही तैयार नहीं हुए। इन्हें लगातार बेचने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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