सूबे के तीन दर्जन जिलों का परफॉर्मेंस बेहद पुअर

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  • पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं के क्रियान्वयन में अफसर फेल …

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मप्र को आत्मनिर्भर बनाने के अभियान में जुटे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के अफसर योजनाओं के क्रियान्वयन में रूचि नहीं ले रहे हैं। खास तौर से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं के क्रियान्वयन में अफसर फेल हो गए है। इससे प्रदेश के करीब 3 दर्जन जिलों में ग्रामीण विकास की योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति चिंताजनक है।  विभागीय जानकारी के अनुसार, प्रदेश में डेढ़ साल बाद ग्रामीण विकास के कामों में कमी आई है। प्रधानमंत्री आवास योजना अन्तर्गत गरीबों को घर दिलाने में 35 से ज्यादा जिलों का परफॉर्मेंस गिरा है जबकि नरेगा में मजदूरों के भुगतान को लेकर आधे से ज्यादा जिले पीछे हो गए हैं। अप्रैल माह की आई ग्रेडिंग रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि इस बार प्रदेश का एक भी जिला ‘ए प्लस’ और ‘ए’ ग्रेड में नहीं आया। 13 माह से लगातार ‘ए प्लस’ ग्रेड पाने वाले भोपाल को ‘बी’ ग्रेड से संतोष करना पड़ा है। हालांकि भोपाल सभी जिलों में नम्बर वन है। ग्वालियर, इंदौर, बालाघाट, छतरपुर और जबलपुर जैसे अच्छे परफॉर्मेंस वाले जिले पिछड़ गए हैं। 26 जिले ‘सी’ और 15 जिले ‘डी’ ग्रेड में रहे हैं।भोपाल जिला पंचायत सीईओ ऋतुराज सिंह का कहना है कि वित्तीय वर्ष का पहला माह था, आगे सुधार होगा। नया वित्तीय वर्ष है। नए काम शुरू होते हैं। एचीवमेंट पहले माह में पूरा नहीं होता है। अगले माह तक सुधार कर लेंगे। योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर लगातार जिले में समीक्षाएं कर रहे हैं।
 9 प्रमुख योजनाओं पर तैयार होती है परफॉर्मेंस रिपोर्ट
पंचायत एवं ग्रामीण विकास के अन्तर्गत दर्जनों योजनाएं संचालित हो रही हैं। लेकिन, विभाग ने 9 प्रमुख योजनाओं और कार्यक्रमों पर फोकस करते हुए हर माह परफॉर्मेंस रिपोर्ट जारी करने का निर्णय लिया है। इस रिपोर्ट पर हर माह प्रमुख सचिव द्वारा रिव्यू किया जाता है और आवश्यक निर्देश दिए जाते हैं। अप्रैल माह में आई ग्रेडिंग रिपोर्ट काफी निराशाजनक हैं। जबकि पंचायत एवं ग्रामीण विकास की योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अधिकांश जिलों में कलेक्टर के अलावा सीईओ के तौर पर आईएएस अधिकारी पदस्थ हैं। अप्रैल माह की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि हर जिले ने सीएम हेल्पलाइन पर आई शिकायतों को दूर करने पर ज्यादा फोकस किया है। इसका असर इसलिए भी देखने को मिला है कि मुख्यमंत्री लगातार इसकी समीक्षा कर रहे हैं। इसमें 38 जिलों को ‘ए’ ग्रेड मिला है।
केंद्र से समय पर नहीं मिला आवंटन
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है की योजनाओं के क्रियान्वयन में परफॉर्मेंस खराब होने की सबसे बड़ी वजह नए वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार से समय पर आवंटन नहीं मिलना है। वहीं तेज गर्मी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों ने कम काम मांगा है। राज्य सरकार का अंश मिलने में देरी से काम प्रभावित हुआ है। गौरतलब है कि आजीविका मिशन, महात्मा गांधी नरेगा, पीएम आवास योजना, पीएम पोषण शक्ति निर्माण योजना, स्वच्छ भारत मिशन, पंचायत, सीएम हेल्पलाइन और जिला स्तर पर जनपद पंचायतों की ग्रेडिंग होती है। वहीं स्वच्छ भारत मिशन में भोपाल सहित मुरैना, इंदौर, जबलपुर, नीमच, दतिया, शिवपुरी, ग्वालियर, टीकमगढ़, शाजापुर जिलों का परफॉर्मेस गिरा है। वहीं भोपाल जिले को नरेगा अंतर्गत चल रहे कार्यों में सी ग्रेड मिला है। इसी ग्रेड में बुरहानपुर, दमोह, सिवनी, रतलाम, छतरपुर, होशंगाबाद, इंदौर, ग्वालियर, रीवा, सागर, अनूपपुर और राजगढ़ हैं। इन जिलों में समय पर भुगतान की स्थिति ठीक नहीं है। इसी तरह पीएम आवास योजना में 38 जिलों का परफॉर्मेंस ठीक नहीं रहा।

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