दो दर्जन सीटों से निकलेगी नई सरकार की राह

भाजपा-कांग्रेस
  • इन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी भाजपा-कांग्रेस

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में चुनाव प्रचार अपने चरम पर पहुंच गया है। भाजपा और कांग्रेस राज्य की सत्ता पर काबिज होने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हर दूसरे दिन एक सर्वे रिपोर्ट आ रही है इनमें कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस की प्रदेश में प्रदेश में सरकार बनते दिख रही है। सट्टा बाजार में भी दोनों पार्टियों के भाव शेयर मार्केट की तरह उतार-चढ़ाव पर हैं। ऐसे में अब सभी की नजर मतदाताओं पर टिकी हुई है। राज्य की 230 विधानसभा सीटों में त्रिकोणीय संघर्ष वाली सीटों ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। राज्य में करीब 25 ऐसी सीटे हैं, जहां भाजपा और कांग्रेस के बागियों ने ही चुनौती दे रखी है। इनके अलावा सपा-बसपा और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार भी इन सीटों पर परेशानी बने हुए हैं। ये सभी सीटें बहुमत का आंकड़ा जुटाने में भी निर्णायक साबित होंगी।
बागियों ने खड़ी की है परेशानी
नर्मदापुरम जिले की होशंगाबाद विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा तो कांग्रेस ने उनके बड़े भाई गिरिजाशंकर शर्मा को मैदान में उतारा है। भाजपा के असंतुष्टों ने पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता भगवती चौरे को मैदान में उतारा है। इसी तरह का रोचक मुकाबला गुना जिले की चाचौड़ा सीट पर भी नजर आ रहा है। यहां भाजपा से प्रियंका मीना को टिकट देने के बाद ममता मीना नाराज हो गईं। मीना आप की टिकट पर मैदान में उतर गई हैं। वहीं, कांग्रेस से विधायक लक्ष्मण सिंह फिर मैदान में हैं।
मालवा में भी भाजपा की राह मुश्किल
इंदौर जिले की डॉ. आंबेडकर नगर महू विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की ओर से मंत्री उषा ठाकुर उम्मीदवार हैं, तो कांग्रेस से रामकिशोर शुक्ला। कांग्रेस के पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार निर्दलीय लड़ रहे हैं। जबकि धार विधानसभा क्षेत्र में भाजपा—कांग्रेस के बागी मैदान में नजर आ रहे हैं। पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव यादव निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने विधायक नीना वर्मा पर ही भरोसा जताया है। कांग्रेस ने प्रभा गौतम को उम्मीदवार बनाया है, जिससे नाराज होकर प्रदेश महामंत्री कुलदीप सिंह बुंदेला निर्दलीय खड़े हैं। बुरहानपुर विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस को टिकट देने के विरोध में पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष स्व. नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस ने विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा को प्रत्याशी बनाया है।
विंध्य में भाजपा के लिए ज्यादा मुश्किल
इधर, विंध्य क्षेत्र में भी कुछ ऐसे ही नजारा देखने को मिल रहा है। विंध्य अंचल की सीधी सीट से विधायक केदारनाथ शुक्ला का भाजपा से टिकट कट जाने के कारण वह निर्दलीय मैदान में हैं। वह भाजपा की प्रत्याशी रीति पाठक और कांग्रेस के ज्ञान सिंह को चुनौती दे रहे हैं। चुरहट सीट पर भी पूर्व सांसद गोविंद सिंह के पुत्र अनेंद्र मिश्र राजन ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। यहां कांग्रेस से पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह उम्मीदवार हैं। मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी का टिकट कटने के बाद वे अपनी विंध्य जनता पार्टी से कांग्रेस-भाजपा प्रत्याशियों को टक्कर दे रहे हैं। डिंडौरी सीट पर जिला पंचायत अध्यक्ष और पूर्व कांग्रेस नेता रुद्रेश परस्ते ने निर्दलीय मैदान में उतरकर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। शहडोल संभाग की जयसिंहनगर, जैतपुर और कोतमा सीटों पर भी त्रिकोणीय मुकाबला है। मंडला की बिछिया सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से कमलेश टेकाम भाजपा के डॉ. विजय आनंद मरावी और कांग्रेस से नारायण सिंह पट्टा के सामने चुनौती पेश कर रहे हैं।
ग्वालियर चंबल संभाग में बागी से सब परेशान: ग्वालियर-चंबल अंचल में भिंड जिले की लहार विधानसभा सीट से भाजपा के बागी रसाल सिंह बसपा, अटेर से मुन्ना सिंह भदौरिया सपा, भिंड विधानसभा सीट से संजीव सिंह कुशवाह बसपा और मुरैना विधानसभा सीट से भाजपा के बागी राकेश रुस्तम सिंह बसपा से चुनाव मैदान में हैं। जबकि सुमावली सीट से कांग्रेस के बागी कुलदीप सिकरवार और दिमनी से बलवीर डंडोतिया बसपा के टिकट पर मैदान में डटे हैं। शिवपुरी के पोहरी से कांग्रेस के बागी प्रद्युमन वर्मा बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं। बुंदेलखंड के जतारा में कांग्रेस से बागी धर्मेंद्र अहिरवार बसपा, सागर जिले के बंडा विधानसभा में भाजपा से बगावत कर सुधीर यादव ने आप से उतरकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।

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