कवायद 33% की, महिला पुलिस की तादाद 10% भी नहीं

महिला पुलिस
  • केंद्र की योजनानुसार प्रत्येक थाने में कैसे तैनात होंगी 13 महिला पुलिसकर्मी

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में महिलाओं के लिए पुलिस बल में 33 फीसदी आरक्षण का निर्णय लिया है, लेकिन विडंबना यह है कि प्रदेश में महिला पुलिसकर्मियों की तादात 10 फीसदी भी नहीं है। ऐसे में केंद्र सरकार की योजना अनुसार प्रत्येक थाने में 13 महिला पुलिसकर्मी की तैनाती कैसे की जाएगी।  केंद्र के इस आंकड़े की तुलना में प्रदेश का आंकड़ा बेहद कमजोर है। स्थिति यह है कि मध्यप्रदेश के पुलिस थानों में 13 तो दूर, तीन महिला पुलिसकर्मी भी मौजूद नहीं हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार देशभर के पुलिस थानों में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाने की तैयारी में हैं। केंद्र की योजना प्रत्येक थानों में 13 महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती की है। इस योजना पर तेजी से काम भी हो रहा है, लेकिन इस मामले में मप्र की स्थिति बेहद लचर है। मौजूदा स्थिति में प्रदेश में मैदानी पदस्थापना में महिला पुलिसकर्मियों की तादात 9.81 फीसदी है। प्रदेश पुलिस की सभी 104 इकाइयों को मिला दिया जाए, तो यह आंकड़ा डेढ़ फीसदी को भी पार नहीं कर रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि प्रदेश में केंद्र सरकार की मंशा कैसे पूरी होगी।
    राजधानी के ही सभी थानों में महिला पुलिसकर्मी नहीं
    मौजूदा स्थिति है कि भोपाल जिले के सभी थानों में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती नहीं है। शहर के कुछ प्रमुख थानों को छोड़ दिया जाए, कई थाने तो ऐसे भी हैं, जहां पर एक-एक महिला पुलिसकर्मी तैनात हैं। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और उज्जैन में महिला पुलिसकर्मियों आंकड़ा तो थोड़ा ठीक-ठाक कह सकते हैं, लेकिन अन्य जिलों में स्थिति बहुत खराब है। अफसरों की माने तकरीबन 25 से 30 फीसदी थाने ऐसे हैं, जहां पर अभी तक महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती नहीं है।
    एसएएफ में महिलाओं की संख्या नहीं के बराबर
    प्रदेश पुलिस में कुल बल का तकरीबन 40 फीसदी बल एसएएफ का है। एसएएफ में महिलाओं की संख्या नहीं के बराबर है। कमोबेश इसी तरह के हालात दूसरी इकाइयों में हैं। अफसरों की माने तो विभाग में एसएएफ के साथ टेलीकाम, महिला सेल सहित लेकर तमाम शाखाएं हैं। कुछ सालों में महिला सेल में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ी है। हां, दीगर थानों में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या बहुत है।
    प्रदेश में मात्र  9.81% महिला पुलिसकर्मी
    जानकारी के अनुसार प्रदेश में एक लाख 26 हजार पुलिस बल मौजूद है। इनमें से महिला पुलिसकर्मियों की संख्या 9.81 प्रतिशत है। यह आंकड़ा मैदानी पुलिसकर्मियों का है। अफसरों की माने तो डीएसपी स्तर पर महिलाओं की संख्या तीस फीसदी के पार है। उसके नीचे यानी आरक्षक से लेकर निरीक्षक तक का आंकड़ा दस फीसदी से कम है। प्रदेश पुलिस में कुल 104 इकाइयां हैं। बहुत सारी इकाइयों में महिलाओं की संख्या एक फीसदी भी नहीं है। उस हिसाब से प्रदेश पुलिस में महिलाओं का आंकड़ा 1.26 प्रतिशत बैठता है। यह सही है कि फॉल्ड पोस्टिंग (मैदानी पदास्थापना) में संख्या दस फीसदी के करीब है, लेकिन केंद्र की योजना की तुलना में यह आंकड़ा भी बहुत कम है।
    दावे और हकीकत अलग-अलग
    मप्र सरकार पुलिस विभाग में महिलाओं की हिस्सेदारी को 33 फीसदी करना चाहती है। भर्ती को लेकर सरकार के तमाम दावे भी हैं, लेकिन असल में स्थिति कमजोर है। कुछ सालों में महिलाओं को भर्ती में प्राथमिकता दी गई है, लेकिन आंकड़ा बराबरी में आने बहुत वक्त लगेगा। मैदानी पदस्थापना में महिलाओं की संख्या कम होने की एक बड़ी वजह यह भी है कि भर्ती के बाद महिलाएं मैदानी पदस्थापना में रुचि नहीं रखती हैं। तमाम पारिवारिक कारणों का हवाला देकर वे आफिस में अपनी पदस्थापना करा लेती हैं। फील्ड की पदस्थापना 24 घंटे की होती है, जबकि दफ्तरों में रहती है। बहरहाल बदलते दौर में महिला पुलिसकर्मियों में की मैदानी पदस्थापना की दरकार है, क्योंकि कानून व्यवस्था लेकर तमाम तरह की स्थितियों से जूझना पड़ता है।

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