मप्र की नई सरकार ने 30 दिन में पेश की सुशासन की मिसाल

सुशासन की मिसाल

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज अपने शासन का पहला महीना पूरा कर लिया है। अपने 30 दिन के शासनकाल में उन्होंने सुशासन की ऐसी मिसाल पेश की है कि आम जनता ही नहीं बल्कि, विपक्ष भी वाह-वाह कर रहा है। गौरतलब है कि पद संभालने के बाद नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सामने वही चुनौतियां थीं, जो किसी भी नए नवेले और अचर्चित मुख्यमंत्री के सामने होती है। उन्हें तय करना था कि वो पुरानी सरकार की छाया और प्रशासनिक शैली से बाहर निकलकर नई पिच पर कैसी बैटिंग करते हैं। जनता देख रही है कि उनकी अपनी सोच, संघ से तालमेल, भाजपा के एजेंडे को क्रियान्वित करने का संकल्प, नौकरशाही में धमक कायम करने का जज्बा और प्रशासनिक तंत्र को  नई और सही दिशा में हांकने की क्षमता कितनी है। इस दृष्टि से इतना तो कहा ही जा सकता है कि सीएम डॉ. मोहन यादव ने इस वन डे मैच के शुरूआती ओवर दमदारी से सधे हाथों से खेले हैं और इस बात के पुष्ट प्रमाण भी हैं।  उन्होंने अपने अल्पकाल में यह दिखा दिया है कि वे जनता के लिए नरम दिल हैं, लेकिन औरों के लिए सख्त प्रशासक बने हुए हैं।
गौरतलब है कि डॉ. मोहन यादव ने 13 दिसंबर 2023 को भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कई सख्त निर्णय लिए। उन्होंने महाकालनगरी में प्रदेश के मुखिया के रात्रि विश्राम नहीं करने के पुराने मिथक को तोड़ा तो अधिकारियों को भी अपनी सख्त कार्यप्रणाली से हद में रहने का संदेश दिया। लोकसभा चुनाव में कुछ माह का समय बचा है। ऐसे में डॉ. मोहन यादव सरकार इन चुनावों को देखते हुए ही काम करते नजर आई। सीएम यादव का फोकस अपनी एक अलग छवि गढऩे के साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव साधने पर है।
जीरो टॉलरेंस नीति से जनता हुई खुशहाल…
डॉ. मोहन यादव ने अपने 30 दिन के कार्यकाल में  जीरो टॉलरेंस नीति से प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ आबादी का मन मोह लिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव का अब तक का कार्यकाल ऐसा रहा है, जिसमें सुशासन की पूरी झलक देखने को मिली है। जहां उन्होंने विकास कार्यों का गति दी है, वहीं नए कार्यों का भूमिपूजन और लोकार्पण भी किया है। साथ ही जनता के मन में अपनी सरकार होने का भाव भरा है। यानी मोहन यादव सरकार की अपनी लकीर बड़ी करने की कोशिश की है। यानी भाजपा की नई सरकार के सीएम मोहन यादव का स्टाइल थोड़ा डिफरेंट है। जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रहे सीएम यादव  की विपक्ष भी तारीफ करते नहीं थक रहा है। अपने 30 दिन के कार्यकाल में उन्होंने जिस तेजी से और जिस संकल्प शक्ति के साथ फैसलों की झड़ी लगा दी है, उससे राज्य में साफ संदेश गया है कि कोई उन्हें हल्के में न ले। खास बात यह है कि डॉ. मोहन यादव के कुछ फैसलों में कई छोटी-छोटी लेकिन गंभीर जमीनी समस्याओं की निदान की चिंता भी दिखाई पड़ती है यानी ये समस्याएं तो बरसों से चली आ रही हैं, लेकिन किसी भी मुख्यमंत्री ने इन्हें अब तक बहुत संजीदगी से नहीं लिया। दूसरे, यादव सरकार के फैसलों में राजनीतिक दूरदर्शिता के साथ साथ प्रशासनिक कसावट का आग्रह भी साफ नजर आती है।
सख्त प्रशासक
तीसरी बार के विधायक डॉक्टर मोहन यादव ने अपने एक माह के कार्यकाल में ही बता दिया कि वे सख्त प्रशासक है। उन्होंने अफसरशाही पर लगाम कसते हुए उसे साफ संदेश दिया कि लापरवाही नहीं चल पाएगी। इसके साथ ही उन्होंने अपने फैसलों से अफसरशाही को हद में रहने के संदेश भी दिया है। भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने इस बार डॉक्टर मोहन यादव के रूप में नया चेहरा प्रोजेक्ट किया। डॉक्टर यादव ने अपने एक महीने के कार्यकाल में जिस तेजी से और जिस संकल्प शक्ति के साथ फैसलों की झड़ी लगाई, उससे राज्य में साफ संदेश गया है कि कोई उन्हें हल्के में न लें। उनके फैसलों में कई छोटी-छोटी पर गंभीर समस्याओं के निदान की झलक भी दिखाई पड़ती है। उनके फैसलों में राजनीतिक दूरदर्शिता के साथ प्रशासनिक कसावट भी साफ नजर आती है। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने पहला आदेश जारी कर धर्मस्थलों पर तेज आवाज के लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंध लगा दिया। पहले तो उनके इस आदेश को आरएसएस के एजेन्डे के रूप में देखा गया पर आम जनता ने इसका स्वागत किया क्योंकि यह किसी धर्म विशेष के लिए न होकर सभी धार्मिक स्थलों के लिए था। इसी तरह उन्होंने खुले में मांस और अंडे की बिक्री को लेकर सख्त निर्णय लिया। सीएम ने शपथ ग्रहण के दूसरे ही दिन अधिकारियों की बैठक बुलाई और भाजपा का संकल्प पत्र सौंपते हुए विभाग अनुसार वादों को पूरा करने रोडमैप बनाने निर्देश दिए। इससे उन्होंने अधिकारियों को अपनी कार्यशैली बताते हुए लोकसभा चुनाव को देखते हुए जनता को संदेश दिया कि भाजपा की ही सरकार है जो कहती है वो करती है।
अपनी लाइन बड़ी की….
मोहन यादव ने अपने अब तक के कार्यकाल में अपनी लाइन बड़ी की है। मुख्यमंत्री बनने के तीन दिन बाद डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में रात रूक कर सालों पुराना मिथक तोड़ा। माना जाता है कि कोई भी दूसरा राजा उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करता है, ऐसा इसलिए कि उज्जैन के राजा बाबा महाकाल हैं। डॉ. मोहन यादव ने अपने आपको महाकाल का बेटा बताया और उज्जैन में अपने घर पर ही रात बिताई। इसके जरिए उन्होंने मुख्यमंत्री होने के बावजूद अपनी सादगी और नई सोच वाले नेता होने का संदेश दिया। डॉ. मोहन यादव सरकार ने मंत्रियों के विभाग के बंटवारे के बाद अपनी पहली कैबिनेट बैठक जबलपुर में की। अब दूसरी कैबिनेट बैठक उज्जैन और इसके बाद चित्रकूट या रीवा में कैबिनेट प्रस्तावित है। वहीं, ग्वालियर में भी कैबिनेट होनी है। इससे मुख्यमंत्री का यह संदेश देने का प्रयास है कि प्रदेश के सभी क्षेत्र समान हैं। सभी को बराबर महत्व दिया जाएगा किसी की उपेक्षा नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सरकार ने विक्रम संवत को प्रदेश सरकार के सरकारी कैलेंडर में मान्यता दी। इससे उन्होंने साफ संदेश दिया कि हिंदुत्व पर उनका फोकस रहेगा। वहीं, धार्मिक स्थलों पर कैबिनेट बैठक करने से साफ है कि डॉ. मोहन सरकार हिंदुत्व को साधने के प्रयास में जुटी है।

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