बिजली के क्षेत्र में अरबों रु. के नुकसान से आम जनता पर पड़ेगा भार

बिजली

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में बिजली के क्षेत्र में सरकार को हर साल अरबों रुपए का नुकसान हो रहा है। इसके बावजूद भी बिजली की चोरी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं। वही प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियां बिजली चोरी के मामले रोकने में नाकाम साबित हो रही हैं। यही वजह है कि प्रदेश को इस क्षेत्र से हजारों करोड़ रुपए का हर साल नुकसान उठाना पड़ रहा है।
एक अनुमान के मुताबिक यह नुकसान प्रतिवर्ष दो हजार करोड़ रुपए से भी अधिक है। ऐसे में अब बिजली कंपनियों ने इस नुकसान की भरपाई के लिए बिजली के दाम बढ़ाकर आम जनता से वसूली करने की तैयारी की है। यही नहीं अब बिजली चोरी से होने वाले लाइन लॉस को कम करने के लिए बिजली कंपनियों ने अघोषित कटौती भी शुरू कर दी है। यह अघोषित कटौती ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा शहरी क्षेत्रों में भी हो रही है। हालात यह हैं कि कुछ जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में तो 24 घंटे में सिर्फ छह से सात घंटे ही बिजली मिल पा रही है।
अधिकारी नहीं करते सख्त कार्रवाई
बता दें कि बिजली की चोरी के मामलों में अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आती है। यहां तक कि बिजली चोरी करने पर एफआईआर तक दर्ज नहीं की जाती। नेशनल लोक अदालत में कंपनी और आरोपी के बीच समझौता होने के बाद कंपनी समझौता राशि लेकर प्रकरण निरस्त कर देती है। चूंकि बिजली चोरी करने वालों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती है, इससे बिजली चोरी के प्रकरण बढ़ रहे हैं।
पूर्व क्षेत्र और मध्य क्षेत्र में होती है सबसे ज्यादा बिजली चोरी
बता दें कि पूर्व क्षेत्र और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों को सबसे ज्यादा लॉस हो रहा है। यहां बिजली चोरी की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही। पूर्व क्षेत्र में सीधी, सतना, रीवा, मंडला, सागर, डिंडोरी, टीकमगढ़ और दमोह क्षेत्र आते हैं। इसके अलावा मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत मुरैना, भिंड, शिवपुरी, ग्वालियर और श्योपुर क्षेत्र में बिजली चोरी सबसे
ज्यादा होती है।
ईमानदार उपभोक्ताओं से दाम बढ़ाकर की जाती है वसूली
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष 2020-21 में ही बिजली कंपनियों को लाइन लॉस और बिजली चोरी से करीब दो हजार करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। ऐसे में बिजली कम्पनियां अब इसकी भरपाई के लिए बिजली दरों में वृद्धि करके इसकी भरपाई करेंगी। यानी बिजली के दाम बढ़ाकर अब ईमानदार बिजली उपभोक्ताओं से इसकी भरपाई की जाएगी। मध्यक्षेत्र और पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों से जुड़े ग्वालियर, चंबल, बुंदेलखंड व मध्य क्षेत्र में बिजली चोरी और तकनीकी हानि यानी टीएंडडी पर रोक नहीं लग पा रही है। सब स्टेशनों से घरों तक बिजली पहुंचने के दौरान औसतन 23 फीसदी बिजली लॉस होने से हर साल हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। इसकी भरपाई ईमानदार उपभोक्ताओं पर बिजली दरें बढ़ाकर की जाती है। यही वजह है कि बिजली कंपनियों ने बिजली के दाम बढ़ा दिए हैं।
लॉस कम करने में नाकाम रहीं हैं बिजली कंपनियां
मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने हाल ही में जारी टैरिफ आदेश में टीएंडडी लॉस कम नहीं करने पर मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों को फटकार लगाई है। इसकी वजह यह है कि आयोग ने इस लॉस को कम करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया था यह उससे भी अधिक पहुंच गया है। यानी जो स्थिति पांच साल पहले थी उसमें पश्चिम क्षेत्र कंपनी को छोड़ दिया जाए तो बाकी दोनों कंपनियों ने इसमें कोई सुधार नहीं किया है। यही नहीं पूर्व क्षेत्र कंपनी के क्षेत्र में तो यह लॉस बाईस प्रतिशत से बढ़कर अठ्ठाईस प्रतिशत तक पहुंच गया है। वहीं बिजली की चोरी रोकने के लिए विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों का रवैया सख्त नहीं होने की वजह से बिजली चोरी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यदि मप्र की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में बिजली चोरी के प्रतिशत की बात की जाए तो पूर्व क्षेत्र की कंपनी में बिजली चोरी पिछले वर्ष यानी 2020-21 में 29 प्रतिशत से भी ज्यादा रही है। पश्चिम क्षेत्र कंपनी में 12 प्रतिशत से अधिक बिजली चोरी हुई है। इसी तरह मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में पिछले वर्ष 2020-21 मई 28 प्रतिशत बिजली चोरी हुई है।

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