नौजवान के हाथों में है… हार जीत की चाबी

  • आरक्षित सीटों पर भाजपा को कड़ी चुनौती
  • विनोद उपाध्याय
नौजवान

प्रदेश में भले ही कांग्रेस बेहद कमजोर स्थिति में दिखाई दे रही है, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में प्रदेश की आरक्षित सीटों पर कांग्रेस कड़ी टक्कर देती दिखाई पड़ रही है। खासतौर पर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर तो यही स्थिति बनी हुई है। यही वजह है कि ऐसी सीटों पर  भाजपा ने चुनाव प्रचार में अधिक ताकत लगाई है। ऐसी सीटों पर चुनाव प्रचार थमने से पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत वरिष्ठ नेताओं ने सभा, रोड शो और कार्यकर्ता सम्मेलनों पर जोर के साथ ही दोनों दलों का पूरा जोर फोकस आदिवासी मतदाताओं रहा र्है। यह वे सीटें है, जहां पर इस बार हार-जीत की चाबी  खासतौर पर युवाओं के हाथों में है। माना जा रहा है कि युवाओं का रुख जिस तरफ होगा उसकी जीत पूरी तरह से तय हो जाएगी। फिलहाल युवा मतदाता अभी चुप्पी साधे हुए दिख रहा है। अगर मतदाताओं के आंकड़ों पर नजर डालें तो चौथे चरण की आठ लोकसभा सीटों पर एक करोड़ 63 लाख मतदाता हैं। इनमें से 29 वर्ष तक के लगभग 50 लाख मतदाता हैं। पांच लाख दो हजार 219 मतदान पहली बार मतदान करेंगे। यानी की युवा ही गेम चेंजर बने हुए हैं।
मोदी व राहुल का भी रहा फोकस  
आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों पर कड़े मुकाबले की वजह से ही भाजपा व कांग्रेस के दोनों सबसे बड़े चेहरों ने भी सभाएं कर अपने पक्ष में मतदाताओं को करने का प्रयास किया है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धार और खरगोन में तो राहुल गांधी ने रतलाम और खरगोन में चुनावी सभाएं की हैं। रतलाम सीट से कांग्रेस ने वरिष्ठ आदिवासी नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को मैदान में उतारा है तो भाजपा ने वन मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता नागर को उम्मीदवार बनाया है। धार से भाजपा ने पूर्व सांसद सावित्री ठाकुर पर भरोसा जताया तो खरगोन से वर्तमान सांसद गजेंद्र पटेल चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि, कांग्रेस ने धार से राधेश्याम मुवेल और खरगोन से पोरलाल खरते के रूप में नए चेहरों पर दांव लगाया है।
युवाओं पर रहा जोर  
इस अंचल की सीटों पर करीब एक तिहाई मतदाता युवा होने की वजह से ही भाजपा और कांग्रेस ने इन मतदाताओं पर पूरा फोकस किया है। इसकी वजह से ही चुनाव प्रचार के समय रोजगार और स्वरोजगार के कई वादे किए हैं। भाजपा ने केंद्र और राज्य सरकार ने स्वरोजगार को बढ़ावा देने, रिक्त पदों पर भर्ती के लिए प्रयासों से युवाओं को आकर्षित करने का प्रयास किया है। भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ता बूथवार युवाओं से संपर्क साधकर राष्ट्र और प्रदेश के विकास के लिए भाजपा सरकार की आवश्यकता को रेखांकित कर रहे हैं। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र स्तर पर युवा मतदाता सम्मेलन भी किए जा चुके हैं।  उधर, कांग्रेस ने बेरोजगारी का मुद्दा उठाने के साथ न्याय गारंटी में युवाओं की बात को प्रमुखता से सामने रखने का प्रयास किया है। यही वजह है कि कांग्रेस ने केंद्र में सरकार बनने पर रिक्त 30 लाख पदों को भरने के साथ हर शिक्षित युवा को एक लाख रुपये की अप्रेंटिसशिप का अधिकार देने पर जोर लगाया है। युवा कांग्रेस ने भी बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर विधानसभा चुनाव में जिन युवाओं से वादा निभाओ-रोजगार दो मुहिम चलाकर पत्र लिखवाए थे, उन सभी से संपर्क साधा है। प्रत्येक बूथ-दस यूथ तैयार करके पार्टी के पक्ष में अधिक से अधिक मतदान कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।
चुनाव आयोग की अपील
उधर, चुनाव आयोग का भी प्रयास है कि पहली बार के मतदाता अवश्य वोट करें। इसके लिए कालेज स्तर पर जो क्लब बनाए गए हैं, उन्हें सक्रिय किया गया है। इसके सदस्य पहली बार के मतदाताओं से अपील कर रहे हैं कि उन्हें संविधान द्वारा अपना प्रतिनिधि चुनने का जो अधिकार दिया गया है, उसका उपयोग कर लोकतंत्र को मजबूत करने में अपना योगदान अवश्य दें। चौथे चरण की आठ सीटों में 18 से 19 वर्ष आयु समूह के पांच लाख दो हजार 219 मतदाता हैं।

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