जयचंदों ने फिर किया कांग्रेस को मध्यप्रदेश में हलाकान

जयचंदों

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। बीते तीन साल में कांग्रेस के कई विधायक भाजपा के पाले में जा चुके हैं। यही वजह है की विधानसभा के आम चुनाव में भाजपा की तुलना में अधिक विधायक जीतने की वजह से सरकार में आयी कांग्रेस को अपने अल्प कार्यकाल में भी विपक्ष में बैठना पड़ा। अब भी कांग्रेस विधायक मौके बे-मौके पर पार्टी को अलविदा कहने से नहीं चूके रहे हैं जिसकी वजह से भाजपा का कुनबा बढ़ता ही जा रहा है। माना जा रहा है की अभी भी कांग्रेस में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। इसकी वजह है राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए यानी की भाजपा की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को  प्रदेश में भाजपा की संख्या बल से 19 अधिक मत मिलना। इनमें से दो मत तो हाल ही में बसपा और निर्दलीय विधायक का माना जा रहा है। इसकी वजह है उनका कुछ दिनों पहले ही भाजपा में आ जाना।
एक मत कांग्रेस विधायक सचिन बिरला का माना जा रहा है। ऐसे मे ंसवाल यह खड़ा हो रहा है की बाकी 16 मत भाजपा प्रत्याशी को किसके मिले हैं। इतने मत भाजपा प्रत्याशी को अधिक मिलने की वजह से एक बार फिर कांग्रेस के विधायकों की पार्टी को लेकर विश्वसनीयता संदेह के घेरे में आ गई है। यही वजह है की अब ऐसे विधायकों की तलाश की जा रही है जिनके द्वारा पार्टी समर्थित प्रत्याशी की जगह भाजपा प्रत्याशी को मत दिए गए हैं। ऐसे कांग्रेस विधायकों की संख्या 13 अनुमानित है। अगर प्रदेश में विधायकों की दल वार संख्या देखी जाए तो भाजपा के 127 , कांग्रेस के 96 ,सपा का एक, बसपा के दो और 4 निर्दलीय हैं।  इनमें से एक बसपा का और एक निर्दलीय विधायक कुछ दिन पहले भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इस हिसाब से भाजपा समर्थित विधायकों की संख्या के हिसाब से महज 133 मत मिलने थे , लेकिन मिले 146 मत, जिसमें पूर्व में दलबदल कर चुके कांग्रेस के सचिन बिरला भी शामिल हैं। यह बात अलग है की बिरला औपचारिक रूप से अब भी कांग्रेस के ही विधायक हैं। इसकी वजह से कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को मप्र में 95 की जगह महज 79 मत ही मिल सके हैं।  गौरतलब है की मप्र में अजाज के लिए विस की 47 सीटें आरक्षित हैं। इनमें से कांग्रेस के पास 29 आदिवासी विधायक हैं। माना जा रहा है की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अंतरआत्मा के आधार पर वोट डालने की एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू की जीत के बाद क्रॉस मतदान को सीएम शिवराज सिंह के बयान से भी बल मिला है। द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पूरा देश इस समय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। अमृत महोत्सव के इस अवसर पर द्रौपदी मुर्मू का प्रेसिडेंट बनना देश का सौभाग्य है। इसके साथ ही सीएम ने खासतौर पर भाजपा के अलावा उन सभी विधायकों को भी धन्यवाद दिया, जिन्होंने द्रौपदी मुर्मू को वोट किया है। माना जा रहा है की भाजपा को मिले मतों में अधिकांश आदिवासी और कमलनाथ से नाराज चलने वाले विधायक हैं। अब पार्टी संगठन पार्टी के जयचंदों की तलाश में जुट गई है। गौरतलब है की देश में जिन 126 विधायकों ने पार्टी लाइन से हटकर द्रोपदी मूर्मू को वोट दिया है उसमें मप्र का भी बड़ा योगदान है।
लगा चुके हैं आरोप
राष्ट्रपति चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं के अलावा दो विधायकों ने भाजपा नेताओं पर एनडीए के समर्थन में मतदान करने के लिए लालच दिए जाने का आरोप लगाया था। इसमें कहा गया था की भाजपा नेता आदिवासी विधायकों से सम्पर्क कर एनडीए प्रत्याशी के समर्थन में मतदान करने के लिए पचास लाख से लेकर एक करोड़ रुपए तक का लालच दे रहे हैं। कांग्रेस के इन आरोपों को भाजपा पहले ही सिरे से नकार चुकी है। इसके उलट भाजपा का कहना था की अगर ऐसा किया है तो सबूत सबके सामने रखें।
उत्साह हुआ फीका
एक दिन पहले नगरीय निकायों के चुनाव परिणाम आने के बाद से कांग्रेस में बेहद उत्साह का माहौल बना हुआ था। इसकी वजह थी इस बार अप्रत्याशित रुप से रणनीति बनाकर चुनाव में उतरी कांग्रेस को महापौर के 16 पदों में से पांच बेहद महत्वपूर्ण शहरों में इस बार जीत मिलाना।  इनमें संघ के साथ ही भाजपा के गढ़ माने जाने वाले जबलपुर, ग्वालियर जैसे महानगरों के अलावा रीवा , मुरैना और छिंदवाड़ा जैसे शहर भी शामिल हैं। इस जीत के उत्साह पर पार्टी के उन  विधायकों ने पानी फेरने का काम कर दिया है ,जिनके द्वारा पार्टी लाइन से हटकर भाजपा  के समर्थन में मतदान किया गया है।
भाजपा ने कसा तंज
क्रास मतदान को लेकर अब भाजपा ने तंज कसते हुए कहा है कि कांग्रेस ने अजा -जजा का कभी भला नहीं किया  है। यह बात भली भांती कांग्रेस विधायक भी जानते हैं। विधायकों ने कमलनाथ के उस जहाज से छलांग लगाई है , जिसमें रोज रोज छेद हो रहे हैं। कांग्रेस में प्रतिभाओं का दमन हो रहा है। भाजपा का कहना है की कांग्रेस विधायकों ने अपनी अंतरआत्मा की बात चुनी है।

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