नारायण त्रिपाठी बनाएंगे विंध्य प्रदेश पार्टी
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव को देखते हुए राजनैतिक दल जहां तैयारी में व्यस्त हैं। वहीं दूसरी ओर पृथक विंध्य का मुद्दा इनको मुश्किल में डाल सकता है। हालांकि प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों में इसका असर मात्र 30 सीट पर ही पड़ेगा। बावजूद इसके बड़े दलों के बहुमत का आंकड़ा बिगड़ सकता है। क्योंकि जनता की मांग को देखते हुए विंध्य पुर्ननिर्माण के मुद्दे पर जनजागरण का जिम्मा संभालने वाले भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी जमीनी जमावट के लिये कसरत करते नजर आ रहे है।
नारायण त्रिपाठी ने मैहर में एक धार्मिक कार्यक्रम में ऐलान किया कि वह विंध्य प्रदेश पार्टी का गठन करने जा रहे है। उन्होंने विन्ध्य की जनता से मांग की है कि वह विन्ध्य की सभी 30 सीटें उन्हें दे दें तो वह उन्हें 2024 तक विन्ध्य प्रदेश सौंप देंगे तथा रीवा को पुन: राजधानी बना देंगे। अपने बगावती तेवरों के कारण अक्सर सुर्खियों में रहने वाले मैहर से भाजपा के विधायक नारायण त्रिपाठी ने इसके साथ ही शिवराज सरकार को एक बार फिर खुली चुनौती दे दी है।
नारायण ने अपने मंसूबे जाहिर करते हुए साफ किया है कि अगर 2023 तक विंध्य प्रदेश न बना तो तीसरा मोर्चा बनेगा। पिछले कई महीनों से पृथक विंध्य प्रदेश की मांग उठा कर सरकार की मुश्किलें बढ़ाते आए सत्ताधारी दल के विधायक नारायण त्रिपाठी ने सियासी बिसात पर एक बड़ी चाल चली है। नारायण ने स्पष्ट किया है कि अगर 2023 तक विंध्य प्रदेश का पुनर्गठन नहीं किया जाता तो विंध्य में तीसरे मोर्चे का गठन होगा। ये तीसरा मोर्चा विंध्य की सभी 30 सीटों पर चुनाव लड़ेगा और भोपाल पहुंच कर विन्ध्य प्रदेश का गठन कराएगा। उन्होंने विंध्यवासियों से अपनी मांग के समर्थन और तीसरे मोर्चे को विजयी बनाने की अपील भी की। नारायण ने कहा कि मैहर माता शारदा की धरा है, यहां लिया गया कोई संकल्प अधूरा नहीं रहता। विंध्य की भूमि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की तपोभूमि है, यहां गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना की, यह भूमि निर्विवाद है। और इसका उत्थान होना ही चाहिए। त्रिपाठी ने 4 अप्रैल को भी विंध्य प्रदेश का स्थापना दिवस मनाने का आह्वान किया था। मैहर में यह आयोजन उत्साह के साथ हुआ था। मैहर के घंटाघर चौराहे पर 11 हजार दीपक जलाए गए थे।
इसलिये अलग दल की संभावना
प्रदेश की इन 30 सीटों पर भले ही 2018 के बाद अधिकांश भाजपा के पास है, लेकिन इसके बाद स्थानीय जनता नाखुश बताई जाती है। पर्याप्त राजनैतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिलना भी इसका एक कारण समझा जा रहा है। क्योंकि संगठन ने जिनको अवसर दिया उनसे जनता जुड़ नहीं पाई है। कमोबेश यही स्थिति कांग्रेस की भी सामने आई है। लिहाजा नेताओं के निष्प्रभाव को देखते हुए माना जा रहा है कि बसपा व सपा से इतर नये तीसरे दल के लिये संभावनाएं बनी हुई है। इसे समझते हुए नारायण त्रिपाठी पृथक दल बनाने की जद्दोजहद में जुट गए है। इसके मद्देनजर वह न केवल क्षेत्र बल्कि लगातार राजधानी में भी बैठकें कर रहे हैं।
भाजपा अध्यक्ष को भी दे चुके है समझाइश
नारायण त्रिपाठी की आक्रामकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह विंध्य के मुद्दे पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा को भी समझाइश देने से बाज नहीं आए। मामला उनके द्वारा केंद्रीय नेतृत्व को प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन करने की मांग के साथ भेजे गए पत्र से भले ही जुड़ा हुआ है। बावजूद इसके नारायण ने यह कहने से संकोच नहीं किया कि प्रदेश अध्यक्ष को शब्दों की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि बीडी शर्मा ने इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि नारायण को सभी जानते हैं। वह कभी इधर रहते हैं और कभी उधर। उनका इशारा दलबदल और विश्वसनीयता को लेकर था।
10 साल में भाजपा ने 5 प्रतिशत वोट बढ़ाया
2008 से लेकर 2018 के बीच विधानसभा चुनाव परिणामों को देखें तो भाजपा ने इस दौरान 5 प्रतिशत वोट बढ़ाया है। इतना ही नहीं उसकी सीटें भी बढ़ी है। वर्ष 2008 में भाजपा को 34.09 प्रतिशत वोट मिले थे, जो 2018 में बढ़कर 39.19 प्रतिशत हो गए हैं। जबकि कांग्रेस को 23.07 प्रतिशत वोट मिले थे, जो 2018 में बढ़कर 33.25 तक पहुंच गया था।
पंचायत स्तर शुरू हुई जमावटी तैयारी
विंध्य पुर्नस्थापना की मांग स्थानीय स्तर पर जोर पकड़ने लगी है। बावजूद इसके भाजपा व कांग्रेस जैसे बड़े दलों ने इस मुद्दे पर जहां अपने पत्ते अब तक नहीं खोले हैं। वहीं दूसरी ओर सपा, बसपा और दूसरे छोटे दलों के सामाजिक और जातीय समीकरण में सिमटे रहने की संभावना है। लिहाजा विंध्य पुनर्निर्माण अभियान की अगुआई कर रहे नारायण त्रिपाठी ने इसे समझते हुए अलग दल बनाने के संकेत दिये हैं। सूत्रों की माने तो हाल-फिलहाल कराये गए सर्वे के रूझानों को देखते हुए यह निर्णय लिया है। इसके मद्देनजर टीम ने काम भी शुरू कर दिया है। इसमें प्रत्येक ग्राम पंचायत पर 20 व्यक्तियों की टोली का गठन और उसके बाद सभी बूथों में इतने ही युवाओं की तैनाती की जाएगी। बताया जाता है कि पार्टी की आधिकारिक घोषणा से पहले यह काम विंध्य पुर्नस्थापना मंच के माध्यम से किया जाएगा।
राजधानी में भी खड़े किये जाएंगे प्रत्याशी
बताया जाता है कि पृथक विंध्य के मुद्दे पर प्रदेश के रीवा, सतना और शहडोल के संभाग अंतर्गत आने वाली 30 सीटों पर ही प्रत्याशी खड़े नहीं किये जाएंगे, बल्कि राजधानी की तीन सीटों पर भी उम्मीदवार उतारे जाएंगे। इनमें हुजूर, गोविंदपुरा और टीटी नगर विधानसभा सीट शामिल है। इसके पीछे राजधानी में निवासरत करीब साढ़े चार लाख जनसंख्या बताई जाती है, इनका दखल इन सीटों पर अधिक है। जानकारी के मुताबिक विंध्य पुनर्स्थापना के लिये विधानसभा चुनाव में कांग्रेस व भाजपा जैसे संगठनों के मुकाबले नया संगठन खड़ा करने का दारोमदार दूसरे सर्वे पर निर्भर करेगा। बताया जाता है कि पहले चरण के सर्वे को देखते हुए ही अलग दल बनाने की योजना बनाई गई है। अक्टूबर के बाद जनवरी से मार्च के बीच निष्पक्ष एजेंसी के माध्यम से दूसरे चरण के सर्वे की जरूरत बताई गई है। पहले चरण के सर्वे के परिणाम सकारात्मक रहे हैं।