सात आयुक्तों की लंबे समय से है सूचना आयोग को दरकार

सूचना आयोग

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार भले ही कामकाज में पारदॢशता की बात करे, लेकिन यह दावे खोखले ही साबित होते हैं। इसकी बानगी है, राज्य सूचना आयोग, जिसमें आयुक्तों तक को नियुक्त करने में सरकार कोई रुचि नहीं ले रही है। यही वजह है कि दस में से आयोग में सात आयुक्तों के पद सालों से रिक्त पड़े हुए हैं। हालत यह है कि आयोग को सिर्फ अध्यक्ष के अलावा दो आयुक्तों के भरोसे काम करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं आयोग को कर्मचारियों की कमी से भी दो चार होना पड़ रहा है। इसकी वजह से आयोग में लंबित अपीलों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। उधर इन हालातों के चलते अपीलकर्ताओं को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। अगर लंबित अपीलों को देखें तो आयोग में 180 दिन से अधिक समय से पांच हजार से ज्यादा अपीलों को सुनवाई का इंतजार बना हुआ है। इसके पीछे बड़ी वजह आयोग में न पर्याप्त कर्मचारी हैं और न ही अधिकारी। वर्तमान में मुख्य सूचना आयुक्त और दो सूचना आयुक्त पदस्थ हैं, जबकि स्वीकृत पदों की संख्या दस है। राज्य शासन ने हाल ही में स्वीकार भी किया है कि आयोग के मूल कर्मचारियों की संख्या केवल छह है। जानकारी सामने आई है कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत आयोग में शिकायतें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। वर्ष 2019 में सामान्य प्रशासन विभाग को भेजी गई जानकारी में बताया गया था कि 12 हजार प्रकरण लंबित हैं। जुलाई 2023 में विस में बताया था कि 180 दिन से अधिक समय से सुनवाई के लिए 5,974 प्रकरण लंबित हैं।
चार साल से नहीं भरे जा रहे पद
दरअसल, मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग रिक्त पदों को भरने के लिए पिछले चार साल से शासन को पत्र लिख रहा है। 21 जून 2019 को जीएडी को लिखा था कि-मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों की संख्या कम है जबकि कार्यभार निरंतर बढ़ता जा रहा है। इससे आयोग का समग्र कार्य संपादन प्रभावित हो रहा है। यही नहीं वर्ष 2021 के अंत तक आयोग में आयुक्तों की संख्या पांच थी, तो अगले साल की ही शुरुआत में तीन रह गई थी। इसके बाद भी यह पद नहीं भरे गए हैं।
आयोग ने यह दी थी रिपोर्ट
26 नवम्बर 2018 को आयोग की गठित तीन सदस्यीय समिति ने रिपोर्ट में कहा था-वर्तमान में प्रदेश में दस राजस्व संभाग है। समिति ने पाया है कि लंबे समय से आयोग में सूचना आयुक्तों के पर्याप्त पद न भरने से आयोग में अपीलों एवं शिकायतों की संख्या अत्यधिक हो गई है। अमला न के बराबर होने से सूचना आयुक्तों के पास एक के मान से 1-1 निजी सहायक भी नहीं है। दो साल पहले नवंबर 2021 में राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने आवेदन बुलाए थे, लेकिन उसके बाद से अबतक नियुक्तियां अटकी हैं।

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