- मुख्यमंत्री कार्यालय के अफसरों की टीम जुटा रही जानकारी और ले रही फीडबैक
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गौरव चौहान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपने हर जनप्रतिनिधि पर पूरी नजर अनाए हुए हैं। खासतौर पर उनके द्वारा क्षेत्र में सक्रियता और कराए जाने वाले विकास कार्यों पर इसमें खास फोकस है। इसके लिए बाकायदा अफसरों की फौज की तैनाती की गई है जो हर विधायक और सांसद के बारे में पूरी जानकारी जुटाने से लेकर फीडबैक लेने का काम कर रही है। इसके लिए 30 बिंदु भी तय किए गए हैं। इन बिंदुओं की ही जानकारी जुटाई जा रही है। यह सब मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देश पर किया जा रहा है। इन ङ्क्षंबदुओं में विकास कार्यों के साथ ही उनके दौरे और अफसरों के साथ उनकी बैठने वाली पटरी की जानकारी ली जा रही है। इस सर्वे के पीछे की वजह है जो योजनाएं और अभियान चलाए जा रहे हैं, उनकी जमीनी हकीकत का पता लगाना। इस दौरान सांसद और विधायकों से उनके समस्याओं के बारे में पूछा जा रहा है, जिससे की उनका भी निवारण भी किया जा सके। प्रदेश में चल रहे विकास कार्यों और समय-समय पर चलाए जा रहे अभियानों की भी पूरी जानकारी इस अफसरों की टीम द्वारा ली जा रही है।
इसके लिए मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा कुछ आईएएस अफसरों को संभागवार जिम्मेदारी दी गई है। करीब 30 बिंदुओं पर विधायक और सांसदों से टेलीफ़ोनिक चर्चा कर उनसे विस्तार में बात की जा रही है। इस दौरान उनसे प्रदेश की कानून व्यवस्था से लेकर विधायकों-सांसदों के दौरे और अफसरों से उनके संबध के बारे में भी पूछा जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार के एक साल पूरा होने के बाद जनप्रतिनिधियों खासतौर पर विधायकों और सांसदों से सरकार की छवि, योजनाएं और उनके क्रियान्वयन को लेकर चर्चा की जा रही है। इस चर्चा में अफसर यह पता करने का प्रयास कर रहे हैं कि योजनाओं को जमीन पर उतारने में क्या तकलीफ आ रही है और उसका इंपैक्ट क्या हो रहा है? इसको लेकर एक प्रश्नावली तैयार की गई है, जिसके आधार पर यह फीडबैक लिया जा रहा है।
यह हैं तय किए गए बिंदु
विधायक और सांसदों से उनके क्षेत्र की कानून व्यवस्था, लोकसभा चुनाव से पहले विधायकों को दिए गए 15 करोड़ और सांसदों को दिए गए 50 करोड़ की राशि के उपयोग साथ ही इस राशि में से कितने काम अभी अधूरे हैं, कितनों के टेंडर जारी नहीं हुए, साथ ही जो राशि आवंटित की गई है, उसके तहत जो काम किए गए हैं, उसके भुगतान की स्थिति क्या है? हाल ही में चलाए गए राजस्व अभियान को लेकर संबंधित विधायक और सांसद के क्षेत्र में राजस्व संबंधी कितनी समस्याएं हल हुई हैं? यदि कोई समस्याएं राजस्व संबंधी हल नहीं हुई हैं तो इसकी क्या वजह है? केंद्रीय योजनाओं की भी उनके क्षेत्र में क्या स्थिति है? प्रभारी मंत्री के दौरों के दौरान जो समस्याएं या जो निर्णय किए जाते हैं, उनकी क्या स्थिति है? साथ ही पीएचई, जल संसाधन, माइनिंग, पंचायत ग्रामीण और नगरीय प्रशासन से जुड़े विभाग पर क्षेत्र में कैसा काम चल रहा है, इसको लेकर भी सांसदों और विधायक से विस्तृत रूप से जानकारी ली जा रही है।
इस पर खासतौर पर नजर
आमतौर पर जनप्रतिनिधियों के साथ जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के संबंधों को लेकर अनबन की खबरें आती रहती हैं। फीडबैक कॉल में यह भी एक अहम बिन्दु है। सांसद और विधायकों से इस बात पर जोर देकर पूछा जा रहा है कि उनके जिले में जो कलेक्टर एसपी सहित अन्य अधिकारी तैनात हैं, उनके साथ उनका कितना तालमेल है। यह भी पता किया जा रहा है कि कलेक्टर और एसपी की कार्यक्षमता किस तरह की और वे सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए कितना काम कर रहे हैं।
यह भी ली जा रही जानकारी
इस काम में जिन आईएएस अफसरों की टीम को लगाया गया है, वह सांसद और विधायकों से यह भी पूछ रहे हैं कि वे अपने क्षेत्र में कितने दौरे करते हैं और दौरे में जो उनको समस्याएं मिलती हैं, इनके समाधान को लेकर अधिकारियों को दिए गए आदेशों पर स्थानीय कर्मचारी कितना अमल करते हैं। इसके अलावा यह भी पता किया जा रहा है कि उनके क्षेत्र में मुख्यमंत्री का दौरा कब हुआ था और निकट भविष्य में वे किन बड़ी योजनाओं को लेकर मुख्यमंत्री का दौरा चाहते हैं? इसके अलावा यह भी जानकारी ली जा रही है कि सांसद-विधायकों से मुख्यमंत्री द्वारा क्षेत्र के लिए पांच साल का मास्टर प्लान मांगा गया था, उसको लेकर क्या तैयारी है और यदि कंप्लीट हो गया हो तो उसके आधार पर अब तक कितना काम किया गया है ? क्षेत्र का जो मास्टर प्लान बनाया जा रहा है, क्या उसमें कोई बदलाव किया जाना है। अगर हां तो किस तरह का बदलाव होना चाहिए।