- ईओडब्ल्यू की जांच में दोषी होने पर भी विनोद कुमार मंडराए पर 4 साल में कोई कार्रवाई नहीं …
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। करीब 4 साल पहले 27 लाख रुपए का गबन करने वाले माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) के सब इंजीनियर विनोद कुमार मंडराए ने चार साल बाद फिर से 14 लाख 66 हजार रूपए का घपला कर दिया है। हैरानी की बात यह है कि आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने अपनी जांच में मंडराए को दोषी पाया था, लेकिन माशिमं ने 4 साल के दौरान उस पर कोई कार्रवाई नहीं की। अब नया घोटाला सामने आने के बाद जांच बैठाई गई है। माशिमं की उप सचिव शीला दाहिमा का कहना है कि मंडल परिसर स्थित भवन निर्माण और बरसाती नाले की मरम्मत के संबंध में वित्तीय अनियमितता के संबंध में शिकायत मिली है। प्रथम दृष्टया शिकायत सही पाई गई है। 15 दिन के अंदर जांच कर रिपोर्ट सौंपी जाएगी। पहले की शिकायत पर क्या जांच रिपोर्ट थी और उस पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। हैरानी की बात यह है कि जिस सब इंजीनियर पर कार्रवाई करनी थी उस पर माशिमं अधिकारी मेहरबान रहे और मंडराए को एक करोड़ 30 लाख रुपए के पांच महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी और सौंप दी। अब हालात यह हैं कि इन प्रोजेक्ट में भी 14 लाख 66 हजार का नियम विरुद्ध भुगतान के आरोप मय सबूत के सामने आ चुके हैं। खुद को घिरता देख मंडल के अधिकारियों ने एक जांच बैठा दी है। जांच समिति अध्यक्ष का कहना है कि प्रथम दृष्टतया भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए गए हैं। ऐसे हालात में मूल सवाल ज्यों का त्यों है कि दागी अधिकारी पर छह सालों तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई और इस मामले में क्या जांच रिपोर्ट कार्रवाई तक पहुंच पाएगी।
अब तक कोई कार्रवाई नहीं
गौरतलब है कि माशिमं के सब इंजीनियर विनोद कुमार मंडराए को चार साल पहले ईओडब्ल्यू ने 27 लाख रुपए के गबन मामले में दोषी पाया। उच्च न्यायालय के आदेश पर हुई इस जांच की रिपोर्ट उसी साल माशिमं को भेज दी गई, लेकिन अब तक उस इंजीनियर पर माशिमं ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस दौरान तीन अध्यक्ष व तीन सचिव बदल गए, लेकिन किसी ने जांच रिपोर्ट को उठाकर देखा तक नहीं।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद हुई थी जांच
माशिमं की आवासीय कालोनी रविशंकर नगर के 526 आवासों की 2008-09 में हुई मरम्मत में गड़बड़ी की शिकायत कांग्रेस नेता अब्दुल रज्जाक ने की थी।
जांच नहीं हुई तो रज्जाक उच्च न्यायालय गए और पांच सितंबर 2017 को ईओडब्ल्यू को जांच के आदेश दिए। इस जांच में सामने आया कि मरम्मत का सारा काम बिना निविदा जारी किए पसंदीदा ठेकेदार से कराया गया और उस पर मेहरबान होते हुए एक करोड़ 30 लाख की स्वीकृति से आगे बढ़कर एक करोड़ 50 लाख का भुगतान कर दिया गया। लेकिन इस जांच रिपोर्ट पर मंडल ने कभी कोई कार्रवाई नहीं की, मंडराए का निलंबन तो दूर उन्हें पांच और प्रोजेक्ट दे दिए गए। माशिमं के सेवानिवृत्त कर्मचारी अब्दुल मुइन खान का कहना है कि मंडराए इन कामों में भी गड़बड़ी करने में नहीं चूके। इसकी शिकायत खान ने मंडल अध्यक्ष से की है। शिकायत में लिखा है कि मुख्य भवन के निर्माण कार्य या बरसाती नाले की मरम्मत कार्य में जितने सामानों की खरीदी की गई है, उसमें अनियमितता बरती गई है। मंडल के भवन निर्माण से लेकर मरम्मत के कार्य में वहां पदस्थ सब इंजीनियर मंडराए, विद्युत सहायक यंत्री विनय नायक, विधि सलाहकार एवं आडिट अनिल गुप्ता ने गड़बड़ी की है। इन्होंने बिना टेंडर जारी किए नियम विरुद्ध ठेकेदारों को 14 लाख 66 हजार रुपये का भुगतान कर दिया। इस मामले की शिकायत होने पर मंडल ने जांच समिति गठित कर दी है। समिति की अध्यक्ष उप सचिव शीला दाहिमा को बनाया गया है। जिन्हें 15 दिन के अंदर जांच पूरी कर रिपोर्ट देनी है।
इन मामलों में भी की गई अनियमितता
शिकायत में मेसर्स दुर्गा कंस्ट्रक्शन एवं एमके इंटरप्राइजेस की मिलीभगत की शिकायत भी की गई है। इनके साथ मिलीभगत कर मंडल के सब इंजीनियर ने मंडल में भवन के निर्माण कार्य में राशियों का गबन किया है। शिकायत में मांग की गई है कि इन सभी पांच मामलों की जांच कर कर्मचारियों व अधिकारियों को निलंबित किया जाए। मंडल परिसर स्थित विज्ञान भवन के सामने बने हुए क्षतिग्रस्त संप टैंक का पुनर्निर्माण कार्य को वर्ष 2013-14, 2014-15 में सब इंजीनियर विनोद कुमार मंडराय द्वारा बिना ई-टेंडर निकाले मनमाने दरों पर चार लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया। मुख्य भवन की सिविल सामग्री खरीदने के संबंध में विनोद कुमार मंडराय द्वारा बिना ई-टेंडर निकाले और मामले की जांच ईओडब्ल्यू में लंबित होने के बावजूद 3,71,567 रुपये का भुगतान कर दिया गया। रविशंकर कॉलोनी सिविल सामग्री बाजार सप्लाई प्रदाय के संबंध में मंडल कार्यालय द्वारा 5,23,306 रुपये का भुगतान किया गया है। विद्युत सामग्री खरीदने के कार्य में भी बिना टेंडर जारी किए मंडल कार्यालय द्वारा 2,60,289 रुपये का भुगतान किया जा चुका है।