केंद्र के दिशा-निर्देश ने बढ़ाई प्रदेश सरकार की उलझन

 प्रदेश सरकार
  • सीएम राइज स्कूल खोलने जा रही सरकार सैनिक स्कूल के लिए कहां से लाएं करोड़ों का फंड

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में एक तरफ सरकार सीएम राइज स्कूल खोलने की तैयारी में जुटी हुई है, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने उस पर सैनिक स्कूल खोलने का भार डाल दिया है। केंद्र के दिशा-निर्देश मिलने के बाद से प्रदेश सरकार उलझन में पड़ गई है। क्योंकि सैनिक स्कूल खोलने और उनके संचालन के लिए करोड़ों रूपए की आवश्यकता पड़ेगी। गौरतलब है कि प्रदेश में 13 जून से 350 सीएम राइज स्कूल शुरू करने का लक्ष्य है। इस बीच केंद्र सरकार के एक फरमान ने सरकार की बेचैनी बढ़ा दी है।  मिली जानकारी के अनुसार रक्षा मंत्रालय ने राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग को एक पत्र भेजा है। यह पत्र सैनिक स्कूल खोलने के सिलसिले में है। इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार सैनिक स्कूल खोलने के लिए जमीन उपलब्ध कराएं, बिल्डिंग के साथ अन्य संसाधन उपलब्ध कराएं, कर्मचारियों को सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशन और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था करें, विद्यार्थियों को स्कॉलारशिप देने की व्यवस्था की जाए। पत्र में इस संबंध में राज्य सरकार और रक्षा मंत्रालय के बीच मेमोरेंड आॅफ एग्रीमेंट (एमओए) करने की बात कही गई है। इस तरह सैनिक स्कूल खोलने के लिए सरकार को करोड़ों रुपए की जरूरत होगी।
सीएम राइज स्कूलों पर खर्च होने हैं करोड़ों
दरअसल, पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रही राज्य सरकार की माली हालत कोरोना काल में और खराब हो गई है। सरकार पर करीब 2 लाख 85 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। ऐसे स्कूल शिक्षा विभाग इस बात को लेकर फिक्रमंद है कि सैनिक स्कूल खोलने के लिए करोड़ों रुपए कहां से आएंगे। सरकार प्रदेश में सर्वसुविधा युक्त सीएम राइज स्कूल शुरू करने जा रही है, यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्राथमिकता में हैं। इनके निर्माण और अन्य संसाधन जुटाने पर करोड़ों रुपए खर्च होंगे।  सरकार ने बजट में सीएम राइज स्कूलों के लिए राशि का प्रावधान किया है। इस बीच रक्षा मंत्रालय ने सैनिक स्कूल खोलने को लेकन पत्र भेज दिया है। सैनिक स्कूल के निर्माण और संचालन पर होने वाला पूरा खर्च राज्य सरकार को वहन करना है । स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सैनिक स्कूल में देश भर के बच्चों को  प्रवेश दिया जाएगा। प्रवेश में मध्य प्रदेश के बच्चों को प्राथमिकता देने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इसमें प्रवेश राष्ट्रीय स्तर पर दिया जाएगा। सैनिक स्कूल का संचालन सैनिक स्कूल सोसायटी नियम एवं विनियम, 1997 के आधार पर किया जाएगा। इतना विशाल होगा स्कूल भवन सैनिक स्कूल में प्रशासनिक ब्लॉक, शैक्षणिक ब्लॉक, मेस हॉल, इंडोर गेम्स हॉल, खेल का मैदान, स्विमिंग पूल, आॅडिटोरियम, जिम्नेसियम, पूरे स्टाफ के निवास के लिए भवन आदि का निर्माण राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा स्कूल बस, ट्रक, हल्के व्यावसायिक वाहन, स्टाफ कार, जीप की खरीदी सरकार को करना होगी।
राज्य सरकार पर पड़ेगा बड़ा बोझ
रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव सतीश सिंह की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि सैनिक स्कूल खोलने के लिए जमीन खरीदने, बिल्डिंग बनाने, फर्नीचर खरीदने, शैक्षणिक व लैबोरेट्री उपकरण खरीदने के लिए राज्य सरकार पूरी राशि का व्यय करे। ट्रांसपोर्टेशन का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाए। साथ ही स्कूल संचालन के लिए आने वाले खर्च का बड़ा हिस्सा राज्य सरकार वहन करे। पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार पूरे स्कूल परिसर का मेंटनेंस करेगी, जरूरत पड़ऩे पर भवन का अतिरिक्त निर्माण, फर्नीचर की अतिरिक्त खरीदी पर राशि राज्य सरकार खर्च करेगी। स्कूल के लिए जमीन खरीदकर सैनिक स्कूल सोसायटी को हैंडओवर करना होगी। पत्र के अनुसार रक्षा मंत्रालय सैनिक स्कूल में प्रिंसिपल, हेड मास्टर और रजिस्ट्रार की पोस्ट के लिए सर्विस ऑफिसर उपलब्ध कराएगा। इसके अलावा नेशनल कैडेट कोर्स स्टाफ, आर्मी फिजिकल ट्रेनिंग कोर्स नियमों के अनुसार स्कूल को उपलब्ध कराएगा। साथ ही स्कॉलरशिप का केंद्र का शेयर सैनिक स्कूल को प्रदान किया जाएगा। गौरतलब है कि देश में 1961 में सैनिक स्कूल खोले गए थे।  इसका उद्देश्य कैडेट्स को नेशनल डिफेंस एकेडमी में प्रवेश के लिए अकादमिक, शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करना था। देश में वर्तमान में 33 सैनिक स्कूल हैं। इनमें मध्य प्रदेश के रीवा का सैनिक स्कूल भी शामिल है जो 1962 में शुरू हुआ था।

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