निकायों की अनुपयोगी संपत्तियों पर सरकार की नजर, जुटाएगी ब्यौरा

अनुपयोगी संपत्तियों
  • बनाया गया पृथ्क से पोर्टल, किया जाएगा युक्ति युक्तकरण

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। आर्थिक तंगी से परेशान प्रदेश सरकार बीते कुछ समय से लगातार अनुपयोगी सरकारी संपत्तियों को बेंच रही है। अब इसी क्रम में सरकार की नजर निकायों के पास मौजूद अनुपयोगी संपत्तियों पर लग गई है। इन संपत्तियों को पूरा ब्यौरा जुटाने की तैयारी सरकार स्तर पर कर ली गई है। यह पूरा ब्यौरा नगरीय निकायों से जुटाया जाएगा।
    इसके लिए एक स्टेट एसेट रजिस्टर तैयार किया जा रहा है जिसमें एसेट मैपिंग पोर्टल के माध्यम से अनुपयोगी सम्पत्ति की पूरी जानकारी दर्ज की जाएगी। इसमें दर्ज जानकारी के आधार पर सरकार द्वारा उसका प्रबंधन और युक्तियुक्तकरण करने का काम किया जाएगा। इसके लिए पहले से ही सरकार द्वारा लोक परिसम्पति विभाग का गठन किया जा चुका है। विभाग द्वारा वाणिज्यीकरण योग्य परिसम्पत्तियों की जानकारी संकलित करने हेतु एक वेब पोर्टल का निर्माण भी करवाया गया है। इसके तहत पहले चरण में  नगर निगम एवं नगर पालिका तथा दूसरे चरण में नगर परिषद के अंतर्गत आने वाली परिसम्पत्तियों के प्रबंधन एवं युक्तियुक्तकरण हेतु आवश्यक कार्यवाही करने की तैयारी है।  सूचना प्रौद्योगिकी एवं भौगोलिक ( सूचना आईटी और जीआईएस) के माध्यम से राज्य की परिसम्पत्तियों का स्टेट एसेट रजिस्ट्रर तैयार किया जा रहा है।
    इसके लिए मैप आईटी ने एक जीआईएस एसेट मैपिंग पोर्टल तैयार किया है। इस पोर्टल पर विभागवार शासन की समस्त अचल परिसम्पत्तियों का ब्यौरा दर्ज किया जाना है। इसके लिए लोक परिसम्पत्ति विभाग की ओर से सभी विभागों के प्रमुखों सभी जिलों के कलेक्टरों को लिखित में निर्देशित किया है कि उनके विभाग और जिलों के अंतर्गत सभी अचल सम्पत्तियों की जानकारी पोर्टल पर दर्ज कराए जाने के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें।
    मुख्य कार्यपालन अधिकारी मैप आईटी  यह सुनिश्चित करे कि विभाग एवं कलेक्टर के नोडल अधिकारी के पास अलग-अलग लॉग इन आईडी एवं पासवर्ड उपलब्ध करवाया जाए नगर निगम, नगर पालिका अंतर्गत विभागीय लोक परिसम्पत्तियों का पोर्टल पर दर्ज किए जाने के लिए इस माह की 30 तारीख तक की समयसीमा भी तय की गई है।
    विभाग नहीं कर रहे आदेश पर अमल
    उधर, इस मामले में विभाग द्वारा जारी निर्देशों में कहा गया था कि सामान्य मरम्मत में छोटे एवं कम तकनीकी महत्व के कार्य तथा छत की साधारण मरम्मत, पुताई, पेंट-पुट्टी कार्य, विद्युत फिटिंग, प्लंबर कार्य, साधारण सेनिटरी फिटिंग, दरवाजा खिड़की मरम्मत और भवन के फर्श की लघु मरम्मत का कार्य शामिल होंगे। विशेष मरम्मत के कार्य में अधिक तकनीकी के महत्व के कार्य जैसे भवन की वृहद मरम्मत, छत की मरम्मत और भवन के फर्श का नवीनीकरण आदि शामिल होंगे। विभागाध्यक्ष अपने प्रशासकीय नियंत्रण के अधीन प्रत्येक भवन के लिए भवन प्रभारी नियुक्त करेंगे।  संबंधित भवन में पदस्थ वरिष्ठ अथवा अपने अधीन किसी अन्य कार्यालय के वरिष्ठ कर्मी को भवन प्रभारी नियुक्त करेंगे। भवन प्रभारी राज्य शासन की किसी भी सेवा श्रेणी अर्थात नियमित, कार्यभारित, संविदा मानदेय आदि पर कार्यरत हो सकता है। विभागाध्यक्ष इन भवनों के अनुरक्षण कार्य के लिए कार्यालय भवन स्तर की पर्यवेक्षण समिति गठन करने के लिए भी निर्देश जारी करेंगे। इस पर अमल को लेकर कई विभागों ने कार्यवाही नहीं की है। गैर आवासीय भवन के कुल निर्मित क्षेत्रफल के आधार पर साधारण मरमत के लिए 335 रुपये प्रति वर्ग मीटर की अधिकतम सीमा होगी। यदि किसी भवन में विशेष मरम्मत की आवश्यकता है, इसके लिए अलग से आवंटन जारी करेंगे। साथ ही भवनों में मरम्मत की आवश्यकता को देखते हुए प्राथमिकता तय की जाएगी।
    तीन दर्जन संपत्तियां बेच चुकी है सरकार
    प्रदेश सरकार का लोक परिसंपत्ति विभाग के जरिये अब तक करीब तीन दर्ज न संपत्तियों को बेंच चुका है। इन संपत्तियों की बिक्री को लेकर कांग्रेस विरोध भी जता चुकी है। यही नहीं यह मामला विधानसभा में भी नेता प्रतिपक्ष गोविन्द सिंह द्वारा यह मामला उठा चुके हैं। विधानसभा में सरकार ने भी स्वीकार किया था कि जिलों में मौजूद भवनों, रिक्त भूखण्डों की 36 प्रॉपर्टी बेचने की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है और 100 से अधिक संपत्तियों की बिक्री की तैयारी है। दरअसल इन बहुमूल्य संपत्तियों को  अनुपयोगी बताकर सरकार द्वारा बेंचा जाता रहा है।

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