भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। उत्तर प्रदेश की तरह मध्य प्रदेश में भी अवैध मदरसों पर तालाबंदी करने की तैयारी सरकार कर रही है। लेकिन सरकार के पास प्रदेश में संचालित हो रहे मदरसों का कोई लेखा-जोखा नहीं है। ऐसे में सरकार अवैध मदरसों की किस तरह पड़ताल होगी। राज्य सरकार को ऐसी जानकारी मिली है कि प्रदेश के कई ऐसे मदरसे हैं ,जो सिर्फ कागजों पर ही चल रहे हैं। साथ ही कुछ मदरसे ऐसे भी हैं,जिनमें एक कमरे में टेबल और बोर्ड लगाकर संचालन किया जा रहा है। प्रदेश के कई जिलों में अवैध और अपंजीकृत मदरसों की शिकायतें सामने आने के बाद सरकार ने उत्तरप्रदेश की तर्ज पर छानबीन शुरू कराई है। हाल ही में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की छापामार कार्रवाई में मदरसा शिक्षक की संदिग्ध गतिविधियां सामने आ चुकी हैं। भोपाल में बाल अधिकार संरक्षण आयोग अपनी जांच के बाद 4 अवैध मदरसों को बंद करा चुका है।
दरअसल, मप्र में मदरसे भगवान भरोसे चल रहे है। प्रदेश में मदरसों की वास्तविक रुप में कितने बच्चों को तालीम दी जा रही है, वहां बच्चों को क्या पढ़ाया जा रहा है आदि का सरकार के पास कोई लेखा-जोखा नहीं है। इसकी वजह यह है कि प्रदेश में मदरसा संचालित करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य नहीं है। मदरसा संचालक की मर्जी हो तो वह रजिस्ट्रेशन कराए और चाहे तो रजिस्ट्रेशन न कराए। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि मई में भोपाल दौरे पर आई राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सदस्य सैयद शहजादी ने अधिकारियों के साथ बैठक में मदरसों का सर्वे कराने की बात कही थी। उनका कहना था कि मदरसों का सर्वे कराया जाए , ताकि मदरसे का संचालन करने वाली संस्था का नाम, जिस भवन में मदरसा चलाया जा रहा है वह निजी है या किराए का है, वहां पढ़ रहे छात्र-छात्राओं की संख्या, उनकी उपस्थिति, फर्नीचर, पानी की व्यवस्था, मदरसे में शिक्षकों की संख्या और छात्र-छात्राओं को किस तरह की सुविधाएं मिल रही हैं या किस तरह की सुविधाएं नहीं मिल पर रही हैं, इन सबके बारे में पता चल सके।
फर्जी मदरसों से हो रही मानव तस्करी?
बताया गया कि बाल आयोग की टीम भोपाल के अलग-अलग इलाकों में पहुंचकर फर्जी मदरसों की पड़ताल कर रही है। बाल आयोग के सदस्य बृजेश चौहान का दावा है कि इन मदरसों में बच्चों की ह्यूमन ट्रैफिकिंग का गैरकानूनी काम किया जा रहा था।
ऐसे और भी मदरसे हैं जो फर्जी और अवैध तरीके से संचालित हो रहे हैं, जिनकी जानकारी मदरसा बोर्ड को पत्र लिखकर मांगी गई है। जिन्हें चिन्हित कर बंद करने के लिए राज्य सरकार को अनुमोदित किया जाएगा। बाल सरंक्षण अधिकार आयोग और विभागीय सूत्रों का कहना है कि हम इस मुद्दे पर सियासत नहीं बच्चों की भलाई चाहते हैं। प्रदेश की धर्मस्व-संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने भी शिकायतें मिलने के बाद यह मामला शिक्षा मंत्री के संज्ञान में लाते हुए विभागीय पत्र भी भेजा है। उन्होंने कहा कि उप्र की तर्ज पर सरकार ने ऐसी संस्थाओं का निरीक्षण शुरू कराया है अवैध और अपंजीकृत की थी। मदरसों को बंद कराया जाएगा। साथ ही संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।
अवैध मदरसों पर लगेगा ताला
जानकारी के मुताबिक प्रदेश में मदरसा बोर्ड में रजिस्टर्ड मदरसों की संख्या 2689 है। इनमें से प्रत्येक मदरसे को प्रदेश सरकार की ओर से सालाना 25 हजार रुपए की ग्रांट दी जाती है। इनमें 1600 मदरसे ऐसे हैं, जिन्हें प्रदेश सरकार के साथ ही केंद्र से भी अनुदान मिलता है। रजिस्टर्ड मदरसों का हर तीन साल में नवीनीकरण कराना अनिवार्य है। मजेदार बात यह है कि वर्ष 2019 से प्रदेश 7 मदरसों के रजिस्ट्रेशन का कार्य बंद है, ऐसे में कोई मदरसा संचालक चाहकर भी अपने मदरसे का रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकता। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसे परेशानी का सबब हैं। सरकार के पास इस बात की जानकारी नहीं है कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में बच्चों को किस तरह की तालीम दी जा रही है और उन संचालन करने के मदरसों का करने के लिए फंडिंग कहां से हो रही है? इसलिए प्रदेश में संचालित हो रहे सभी मदरसों का सर्वे कराने के साथ उनका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया के करीब 500 मदरसे संचालित किए जा रहे हैं।
गैर मान्यता प्राप्त मदरसे बंद होंगे
संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर का कहना है कि पूरे प्रदेश में मदरसों का सर्वे कराया जाना चाहिए, ताकि उनकी वास्तविक संख्या और उनमें चलने वाली गतिविधियों की सच्चाई सामने आ सके। ऐसे मदरसे जो मान्यता प्राप्त नहीं हैं, उन्हें बंद किया जाएगा। हाल में बाल संरक्षण आयोग की टीम ने तीन-चार मदरसों का औचक जाना चाहिए। एक अनुमान के निरीक्षण किया था, जो मान्यता प्राप्त नहीं थे। मदरसों का मुताबिक प्रदेश में बिना रजिस्ट्रेशन सर्वे कराए जाने के संबंध में उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखा है और स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री को भी संज्ञान में ला दिया है। जानकारी के अनुसार, सरकार को जानकारी मिली है कि प्रदेश में कई मदरसों में संदिग्ध गतिविधियां चल रही हैं। इसके बाद से सरकार सतर्क हो गई है और गैर कानूनी ढंग से चल रहे मदरसों की पड़ताल शुरू कर दी है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि पंजीकृत मदरसों की संख्या 2689 बताई गई है जबकि अनधिकृत तौर पर चल रहे मदरसों की संख्या बहुत ज्यादा है ऐसी अवैध संस्थाओं को बंद कराया जाएगा। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग से भी जानकारी मांगी गई है। कुछ दिन पूर्व एनआईए ने रायसेन जिले के सिलवानी में मदरसे में कार्यरत एक शिक्षक के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी।
23/09/2022
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