श्रीमंत की तीनों बुआओं की नजर अब उनकी सम्पत्ति पर …

केन्द्रीय उड्डयन मंत्री

हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। केन्द्रीय उड्डयन मंत्री श्रीमंत की संम्पत्ति पर अब उनकी तीनों बुआओं की नजर लग गई है। वे अब अपनी पैत्तिृक सम्पत्ति में हिस्सा चाहती हैं। इस मामले में बीते रोज अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में हुई सुनवाई के दौरान श्रीमंत की बुआ ऊषा राजे, वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे ने संपत्ति में हिस्सा लेने के लिए दावा पेश किया है। सुनवाई में हाई कोर्ट के आदेश की जानकारी दी गई कि दोनों पक्ष समझौते के तहत विवाद का निराकरण करना चाहते हैं। इसके लिए दिल्ली में मीडिएशन चल रहा है। जब तक मीडिएशन पूरा होकर रिपोर्ट नहीं आ जाती है, तब तक वाद की सुनवाई पर रोक लगा दी जाए। इस पर अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई के लिए तारीख अब 13 जून तय कर दी है। दरअसल, ऊषा राजे, वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे ने वर्ष 2010 में संपत्ति के विवाद को लेकर न्यायालय में एक वाद पत्र पेश किया था । जिसमें उनकी ओर से तर्क दिया गया कि पिता की संपत्ति में बेटियों का बराबर का हक है, इसलिए उन्हें भी संपत्ति में हिस्सा दिया जाए। यह 2010 से न्यायालय में लंबित है। एक अन्य वाद पत्र श्रीमंत ने अपनी बुआओं के खिलाफ पेश किया है। दोनों वाद पत्र न्यायालय में लंबित हैं। इन वाद पत्रों की सुनवाई हुई तो दोनों पक्षों ने सहमति दी कि मध्यस्थता के माध्यम से विवाद को खत्म किया जाएगा। न्यायालय ने इस मामले को विशेष केस के रुप में चिह्नित कर लिया है।
पुराना है सम्पत्ति का विवाद
सिंधिया परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया के जमाने से ही शुरू हो गया था। मामला राजमाता की दो वसीयतों का था। राजमाता ने वसीयतों में अपनी संपत्ति से बेटे माधवराव सिंधिया और पोते ज्योतिरादित्य को भी बेदखल कर दिया था। इसका एक हिस्सा उन्होंने अपनी तीन बेटियों- उषा राजे, वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे, के नाम कर दिया था। अपने जीते जी माधवराव अदालती मामले लड़ते रहे। अब ये काम ज्योतिरादित्य कर रहे हैं। वर्ष 1984 में बॉम्बे हाई कोर्ट के एक फैसले के आधार पर सिंधिया परिवार की सारी संपत्तियां विजयाराजे और उनके इकलौते बेटे माधवराव के बीच आधी-आधी बांटी गई थीं। ऐसा राजमाता की ओर से दायर एक याचिका के बाद किया गया था। इसका कारण यह था कि राजमाता के पति जीवाजी राव सिंधिया मरने से पहले कोई वसीयत नहीं छोड़ गए थे। राजमाता और माधवराव के बीच संपत्तियों को लेकर मतभेद हुए तो कोर्ट ने यह व्यवस्था दी थी। उस समय 1990 में माधवराव सिंधिया ने ग्वालियर कोर्ट में याचिका दायर कर सिंधिया राजवंश की सभी संपत्तियों का अकेला वारिस होने का दावा किया था।
श्रीमंत के पिता  बहनों पर जान छिडक़ते थे
कैलाश वासी माधवराव सिंधिया के समय के लोग बताते हैं कि महाराज अपनी बहनों पर जान छिडक़ते थे। उनकी हर इच्छा पूरी करने के लिए, किसी भी बात की परवाह नहीं करते थे। यशोधरा राजे, महाराज साहब की सबसे छोटी और सबसे लाडली बहन थी। बताते हैं कि कई बार कैलाश वासी महाराज, यशोधरा राजे के लिए राजमाता के सामने खड़े हो जाते थे। यह भी बताया जाता है कि कैलाश वासी महाराज ने अपने जीवन में कभी भी वसुंधरा राजे की बात को इनकार करना तो दूर की बात, कुछ समय के लिए टालने तक का प्रयास नहीं किया। यदि वह हादसा नहीं होता तो उनकी बहनों को ऐसी परिस्थिति का सामना नहीं करना पड़ता।
कई राज्यों के बजट से ज्यादा है दौलत!
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्रीमंत कितनी संपत्ति के मालिक हैं। इस सवाल का जवाब मुश्किल है, क्योंकि 1957 से लेकर अब तक के चुनावों में सिंधिया खानदान के उम्मीदवारों ने जितनी संपत्ति बताई है, वह उस आंकड़े से काफी कम है जितनी आम धारणा है। श्रीमंत ने चुनाव के लिए आवेदन में 2 अरब से ज्यादा की संपत्तियां बताई थीं, लेकिन जिन संपत्तियों को लेकर कई अदालतों में मामले चल रहे हैं, उनकी अनुमानित कीमत ही करीब 40 हजार करोड़ यानी 400 अरब रुपये  बताई जा रही है।
श्रीमंत के महल की छत पर जड़ा है 560 किलो सोना
स्वतंत्रता के समय श्रीमंत के परिवार के पास बॉम्बे डाइंग में 49 प्रतिशत सहित 100 से अधिक कंपनियों में शेयर थे। विशाल जय विलास पैलेस परिसर ग्वालियर में कई संपत्तियों में से एक है, जो सभी में 7,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इस महल में चार सौ कमरे हैं , जिसकी छत पर 560 किलों जड़ा हुआ बताया जाता है। उनके पास सुसेरा कोठी, कुलेथ कोठी, कॉटेज हिल और टेकनपुर रिट्रीट जैसी हवेली भी हैं। ग्वालियर में, ग्वालियर के तत्कालीन शासक जीवाजीराव सिंधिया को भी कुछ सरदारों द्वारा संपत्ति विरासत में दी गई थी, जैसे कि एक बगीचा, भूखंड, दानौली में एक घर, पिच्छड़ी ड्योडी में एक घर और एक पहाड़ी की चोटी पर वापसी। शिवपुरी की, संपत्तियों में माधव विलास पैलेस, हैप्पी विलास और जॉर्ज कैसल शामिल इसी तरह से उज्जैन में कालियादेह पैलेस भी है। इसी तरह से दिल्ली में, परिवार के पास ग्वालियर हाउस, राजपुर रोड पर एक प्लॉट और सिंधिया विला है, जिसकी कीमत 4,000 करोड़ रुपये आंकी गई है। उधर, पुणे में पद्म विलास पैलेस, वाराणसी में सिंधिया घाट और गोवा में विठोबा मंदिर, संकेलिम भी है। मुंबई में पेडर रोड पर 700 करोड़ रुपये की वसुंधरा बिल्डिंग मुंबई के समुद्र महल में जिस फ्लैट में माधवराव अक्सर रुकते थे, उसकी कीमत 60 करोड़ रुपये बताई जाती है।

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