- विभाग के आला अफसर कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं …
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। वन विभाग के अफसरों की कार्यशैली हमेशा से विवादों में ही रहती है। इसकी वजह भी है इस विभाग के बड़े से लेकर छोटे अफसरों तक द्वारा किए जाने वाले आश्चर्यजनक कारनामे। मौका मिलते ही वे पौधरोपण के नाम पर कारनामे करने में पीछे नहीं रहते हैं।
इसी तरह का एक बेहद संगीन मामला सामने आया है, जिसमें वन अफसरों ने ठेकेदारों से मिलकर दो पहिया वाहनों में शामिल मोपेड से ही कई लाख की मिट्टी की ढुलाई करने का काम कर डाला। खास बात यह है कि यह मामला सामने आने के बाद से विभाग के आला अफसर भी कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं, जिससे माना जा रहा है कि यह पूरा खेल उनकी मिलीभगत से किया गया है। यह मामला सागर जिले का है, जहां पर पौधरोपण के लिए 23 लाख की खाद-मिट्टी की ढुलाई मोपेड से करना बताया गया है। हद तो यह हो गई कि इस मामले में अफसरों ने ठेकेदारों से मिलीभगत कर उसका भुगतान भी करा दिया है। इसके अलावा 3.52 करोड़ रुपए की खाद-मिट्टी का भुगतान ठेकेदारों को बिना बिल के ही कर दिया गया। यह खुलासा हाल ही में हुए आडिट में सामने आया है। इन मामलों को ऑडिट टीम द्वारा सरकार के संज्ञान में भी लाया जा चुका है।
दरअसल यह पूरा खेल कोरोना काल और उससे पहले किया गया है। उस समय उत्तर सागर डीएफओ वेणी प्रसाद दौतानियाँ और डीएफओ के पद पर प्रशांत सिंह पदस्थ थे। इसके बाद भी यह दोनों अफसरों की पदस्थापना मैदानी मलाईदार जगहों पर कर दी गई है। आडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों ने बिना बिल के दो सालों के अंदर मिट्टी खरीदने के नाम पर 3.52 करोड़ रुपए का भुगतान बिना बिल के किया है। भुगतान में क्रय नियमों का पालन भी नहीं किया गया है। वहीं चार अलग-अलग क्षेत्रों में 549 घन मीटर खाद-मिट्टी की ढुलाई कराई गई। इसके बिल में जो नंबर डाला गया था उसके नम्बर के संबंध में जब ऑडिट टीम ने आरटीओ से जानकारी निकालवाई तो मोटर साइकिल और मोपेड का नम्बर पाया गया है।
जेसीबी का उपयोग और कर दिया मानव दिवस से भुगतान
हद तो यह हो गई की पौधरोपण के लिए एक करोड़ रुपए की खुदाई जेसीबी से कराई गई। इसमें भुगतान मशीन के हिसाब से ठेकेदारों को किया जाना था, लेकिन अफसरों ने इसका भुगतान मानव दिवस के हिसाब से कर दिया। यह पूरा खेल ठेकेदारों को अधिक राशि के भुगतान के लिए किया गया। दरअसल मशीन के हिसाब से भुगतान किया जाता तो इसकी लागत दर कम हो जाती। इसकी वजह से ठेकेदारों को 65.76 लाख रुपए का नुकसान हो जाता। इसी तरह से एक क्षेत्र में पौधरोपण के लिए दो लाख रुपए से अधिक राशि मजदूरों के नाम पर भुगतान की गई है ै, जिसमें पांच मजदूरों को एक ही दिन में दो बार काम करने का उल्लेख किया गया है। इसी तरह से दूसरी जगह पर 118 मजदूरों की मजदूरी 46 लाख रुपए से अधिक का भुगतान 58 मजदूरों को करना बताया गया है।
18 हजार पौधे हुए गायब
नेशनल हाइवे के रोड के दोनों तरफ पौधरोपण करने के लिए विभाग द्वारा चार करोड़ से अधिक की राशि दी गई थी। इसके तहत 40 हजार से अधिक पौधे लगाकर उनकी देख-रेख की जानी थी। जब इसकी जांच की गई तो पाया गया कि 22 हजार पौधे ही मौजूदा स्थान पर हरे-भरे हैं, बाकी देखरेख के अभाव में मृत हो चुके हैं या फिर मौके पर नहीं मिले हैं। इस मामले में जिम्मेदार अफसरों का कहना है कि लिपिकीय त्रुटि के चलते मोपेड का नम्बर लिख गया था, जिसे सुधार लिया गया है। उनका कहना है कि खाद-मिट्टी खरीदी में नियमों का पालन नहीं होना जरुर पाया गया है , लेकिन उसके लिए भुगतान बिल व्हाऊचर के अनुसार ही किया गया है।