पटेल को परिजनों की दबंगई और बड़बोलापन पड़ा भारी

कमल पटेल
  • कई तरह के लगते रहे हैं आरोप…

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में चली लहर के बाद भी कृषि मंत्री कमल पटेल को हार का मुंह देखना पड़ा है। उनकी हार ऐसे समय हुई है, जब कांग्रेस के बेहद मजबूत गढ़ ढह गए हैं और उसके बड़े -बड़े नेता चुनावी समर में खेत रहे हैं। इसकी परिणीति में भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज करते हुए 163 सीटों पर कब्जा कर लिया। इसके बाद भी भाजपा को हरदा जिले की दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है, जबकि  पिछले चुनाव में दोनों सीटें भाजपा ने जीती थीं। इन दोनों सीटों पर हार की वजह कृषि मंत्री कमल पटेल और उनके परिजनों को माना जा रहा है। दरअसल पटेल खुद तो बड़बोलेपन का शिकार थे ही साथ ही लोग उनके परिजनों की दबंगई का भी जमकर शिकार हो रहे थे।
मतदान से एक दिन पहले मंत्री के बेटे पर सार्वजनिक तौर पर विरोधियों को धमकी देने का मामला भी दर्ज हुआ है। कमल पटेल भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। वे हरदा सीट से पांच बार विधायक चुने गए थे। इस चुनाव में उन्हें 870 बोटों के मामूली अंतर से अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी रामकिशोर दोगने से हार का सामना करना पड़ा है। दोगने ने 2013 में भी पटेल को हराया था, लेकिन 2018 में पटेल ने फिर अपनी हार का बदला ले लिया था। मार्च 2020 में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिरने के बाद जब भाजपा की सरकार बनी थी, तब कोरोना काल में शिवराज मंत्रिमंडल में सिर्फ 5 मंत्रियों ने शपथ ली थी, जिनमें कमल पटेल भी शामिल थे। यानी पटेल का संगठन में अच्छा खासा रुतबा था। सरकार में मंत्री बनने के बाद पटेल पर भ्रष्टाचार के एक के बाद एक आरोप लगना शुरू हो गए थे। साथ ही इस कार्यकाल में पटेल ने अपनी प्रभाव का हरदा विधानसभा क्षेत्र में भी जमकर दुरुपयोग किया। राजनीतिक विरोधियों पर केस लादे गए तो उन्होंने सीधे तौर पर कमल पटेल पर आरोप लगाए थे। ऐसा नहीं है कि सिर्फ कांग्रेसियों के साथ ऐसा हुआ, बल्कि भाजपाईयों को भी पटेल की राजनीतिक द्वेष भावना का शिकार होना पड़ा। जब विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई तो आचार संहिता लगते ही हरदा सीट पर पटेल विरोधी नेता एक जुट हो गए। भाजपा के कुछ नेता खुलकर विरोध में मैदान में उतर आए। कुछ को पार्टी से भी निकलवाने के आरोप पटेल पर लगे थे। पटेल की ओर से चुनाव के बाद सभी को देख लेने के धमकी भी दी गई थी। विधानसभा चुनाव के लिए मतदान के बाद जब पटेल एक संत के आश्रम में पहुंचे तो पटेल ने खुद स्वीकार किया कि इस बार सारे विरोधी एकजुट हो गए थे। उन्होंने खुद स्वीकार किया कि उनके द्वारा कुछ को पार्टी से निकलवा दिया गया था। चुनाव के दौरान पटेल एवं उनके रिश्तेदारों पर भाजपा के लोगों को दबाने, परेशान करने के आरोप भी लगे थे।
अपने नेताओं के खिलाफ भी बुरा-भला बोलते हैं
कमल पटेल जब 2013 से 2018 के बीच में विधायक नहीं थे, तब उन्होंने नर्मदा में अवैध उत्खनन का मामला और-शोर से उठाया था। वे इस मामले को लेकर एनजीटी में भी गए। यहां तक कि पटेल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत भाजपा के पदाधिकारियों पर नर्मदा उत्खनन को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। शिवराज सरकार में कृषि मंत्री बनने के बाद भी पटेल की जुबान फिसल जाती थी, वे अपने नेताओं को भी भला बुरा कहते थे। भाजपा संगठन के नेताओं को लेकर पटेल अमर्यादित भाषा का उपयोग करने के मामले बीच-बीच में सामने आते रहे हैं।
खुलकर लगे भ्रष्टाचार के आरोप
कमल पटेल शिवराज सरकार के पहले मंत्री हैं, जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। एक ठेकेदार का वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसने पटेल पर काम दिलाने के लिए पैसा लेने और फिर काम नहीं दिलाने और पैसा वापस नहीं करने के आरोप लगाए थे। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। एक पत्र भी पटेल के खिलाफ वायरल हुआ। साल भर पहले परिवार और नातेदारों के लिए एक साथ 9 लग्जरी गाडिय़ा खरीदने के आरोप भी उन पर लगे थे।
बेटे की दबंगई से परेशान थे लोग
कमल पटेल के बेटे सुदीप पटेल के खिलाफ पहले भी गंभीर अपराध के मामले सामने आते रहे हैं। इस बाद मतगणना से एक दिन पहले सोशल मीडिया पर सुदीप पटेल की ओर से हाथ पैर तोड़ने, 2 घंटे तक हरदा में थाना और अस्पताल बंद होने की बात कही थी। जिसको लेकर पटेल के खिलाफ केस दर्ज भी किया गया था। खुद पटेल, उनके बेटे सुदीप पटेल एवं अन्य रिश्तेदारों ने राजनीतिक ताकत का गलत उपयोग किया। क्षेत्र में दहशत का माहौल बना दिया था। पुलिस में अपने विरोधियों को झूठा फंसाने के आरोप भी उनके खिलाफ है।

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