- कलेक्टर की रिपोर्ट खा रही है धूल

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
करीब चार साल पहले फर्जी विकलांग बनकर शिक्षक की नौकरी हासिल करने के मामले में भले ही शिक्षा विभाग ने कार्यवाही कर दी है, लेकिन उन चिकित्सकों का आज तक कुछ नहीं बिगड़ा जिनके द्वारा फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र तैयार किए गए थे। यह हाल तब हैं, जबकि मामले की जांच में कलेक्टर ने चिकित्सकों को दोषी माना था। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को भेजी गई थी, लेकिन विभाग ने उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है। अहम बात यह है कि इस मामले में संबधित चिकित्सकों पर एफआईआर भी दर्ज होनी चाहिए थी, लेकिन वह भी नहीं कराई गई है। इससे साफ है कि मामले के सामने आने के बाद से ही दोषी चिकित्सकों को बचाने के प्रयास किए जाने लगे थे। दरअसल शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 में भिंड के चिकित्सकों ने फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किए थे, जिसके आधार पर पूरी तरह से स्वस्थ्य लोगों ने विकलांग उम्मीदवारों के हक पर डाका डाल लिया था, वह तो भला हो कि मामले का खुलासा हो गया, जिसके बाद इस वर्ग के सभी चयनित उम्मीदवारों का परीक्षण कराया गया और फर्जी प्रमाण पत्र वालों की नियुक्ति निरस्त कर दी गई। इस मामले में लोक शिक्षण संचालनालय कमिश्नर द्वारा स्वास्थ्य कमिश्नर को पत्र लिखा जा चुका है। अब एक बार फिर से इस मामले में दोबारा पत्राचार की तैयारी है। यह वह मामला है, जब स्कूल शिक्षा विभाग ने वर्ष 2018 में शिक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित की थी। उच्च माध्यमिक एवं माध्यमिक शिक्षकों के पदों पर यह परीक्षा हुई थी। इसके बाद वर्ष 2021 और 2023 में चयनित उम्मीदवारों को नियुक्तियां दी गई थीं। इसी बीच लोक शिक्षण संचालनालय के पास प्रदेश में फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी होने की सूचनाएं प्राप्त हुई थी। तब संचालनालय ने जिला कलेक्टरों को सचेत किया तो भिंड में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था। यहां जब कलेक्टर ने पड़ताल की तो बिना मेडिकल बोर्ड अनुमोदन के फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र बना दिए गए। ऐसे डाक्टरों ने यह दस्तावेज जारी कर दिए, जिनके पास संबंधित रोगों की विशेषज्ञता ही हासिल नहीं थी।
इस तरह से फर्जी प्रमाण-पत्र हुए थे जारी
लोक शिक्षण संचालनाल के अनुसार भिंड जिले में कलेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर 157 दिव्यांगों के प्रमाण पत्र जारी हुए थे। संचालनालय में अधिकारियों के अनुसार हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. आरके अग्रवाल ने 56 अस्थि के अलावा चार ऐसे दिव्यांगों के प्रमाण पत्र जारी किए थे, जिनमें एक से ज्यादा दिव्यांगता थी। इसी डाक्टर्स द्वारा एक नेत्र और दो श्रवण बाधित दिव्यांग का सर्टिफिकेट जारी कर दिया था। इसी प्रकार हड्डी रोग विशेषज्ञ जेपीएस कुशवाहा ने 9 हड्डी और 3 एक से ज्यादा दिव्यांगता वाले दिव्यांगों के सर्टिफिकेट बनाये थे। वहीं कान रोग विशेषज्ञ डा. आरसी श्रीवास्तव ने तीन अस्थि रोग के सर्टिफिकेट जारी कर दिए थे। तीन एक से अधिक दिव्यांगता और एक नेत्र का सर्टिफिकेट बनाया था। जबकि इन्होंने मात्र अपनी विशेषज्ञता में 25 श्रवण बाधितों के प्रमाण पत्र बनाये थे।