- कई जिलों की मांग हो रही राजनीति का शिकार
- गौरव चौहान
मऊगंज को नया जिला बनाकर भले ही सरकार ने इस क्षेत्र के लोगों को साधने का काम कर लिया है, लेकिन इसकी वजह से कई क्षेत्र के लोगों में अंसतोष पनपने की आंशका बन रही है। इसकी वजह है कई इलाकों से नए जिले की मांग एक बार फिर से उठना शुरु होना। इनमें से कई जगहों से तो लंबे समय से जिला बनाने की मांग की जा रही है। हद तो यह है कि बागली को जिला बनाने की मांग लंबे समय से जारी है और स्वयं मुख्यमंत्री भी शिवराज सिंह चौहान भी इस मामले में सार्वजनिक रुप से अपनी सहमति जता चुके हैं, लेकिन अब तक इस पर आधिकारिक रुप से अमल होना शुरु नहीं हुआ है।
अब रीवा जिले के मऊगंज को प्रदेश का 53वां जिला बनाने की घोषणा होने के बाद से ही क्षेत्रों से जिला बनाने की मांग तेज हो रही है। इनमें देवास के बागली और सतना के मैहर को जिला बनाने के स्वर ज्यादा उठ रहे हैं। दरअसल इन दोनों स्थानों को जिला बनाने की घोषणाएं की जा चुकी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने बागली को जिला बनाने का ऐलान किया था तो कांग्रेस सरकार के दौरान मैहर को जिला बनाने की घोषणा की गई थी। मांग करने वालों में पूर्व मंत्री दीपक जोशी और मैहर से वर्तमान विधायक नारायण त्रिपाठी भी शामिल हैं। इसके बाद भी जिला बनाने की प्रक्रिया शुरु नहीं हो सकी है। दरअसल प्रदेश का गठन एक नवंबर 1956 को हुआ था, उस समय प्रदेश में 43 जिले थे। इसके करीब 27 साल बाद प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने 1983 में जिला पुनर्गठन आयोग बनाया था, लेकिन इसके बाद भी जिलों का पुनर्गठन नहीं हो सका था। बाद में जब भाजपा की सरकार में सुंदरलाल पटवा मुख्यमंत्री बने तो 16 नए जिले बनाने की तैयारी की गई थी, लेकिन यह मामला हाईकोर्ट में चला गया जिसकी वजह से इस पर रोक लग गई थी। 1998 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी होने पर मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रदेश में एक साथ 16 नए जिले बनाए थे लेकिन फिर प्रदेश से तोड़कर बनाए गए छत्तीसगढ़ की वजह से 20 जिले कम हो गए थे।
मैहर में फिर मांग ने पकड़ा जोर
सतना से अलग मैहर जिले में अमरपाटन, रामनगर और उचेहरा को भी शामिल करने का प्रस्ताव है। नया जिला बनने पर मैहर मुख्यालय से सबसे दूर 70 किमी रामनगर तहसील का झिन्ना गांव होगा। मऊगंज को जिला बनाने की घोषणा के बाद नगर पालिका परिषद मैहर के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश घई के नेतृत्व में प्रदर्शन भी किया जा चुका है। भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी भी लगतार मैहर को जिला बनाने की मांग कर रहे हैं।
चार दशक से उठ रही सिरोंज में मांग
विदिशा जिले के सिरोज को जिला बनाने की मांग 1983 से की जा रही है। इसके लिए कई बार आंदोलन भी किए गए हैं। हद तो यह है कि जिले की मांग को लेकर लोगों द्वारा 90 दिन तक अनशन भी किया जा चुका है। सीएम से राज्यपाल तक ज्ञापन दिए गए, लेकिन अभी तक हमारी सुनवाई नहीं हो सकी है।
राजनीति का शिकार हो गए तीन नए जिले
चार साल पहले जब वर्ष 2018 में प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनी तो मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नागदा, चाचौड़ा और मैहर को जिला बनाने की घोषणा की थी। कमलनाथ कैबिनेट से भी इस पर मुहर लग गई थी, लेकिन उसके बाद सरकार गिरने पर यह तीनों जिले बनाने का मामला राजनीति का शिकार हो गए और उसके बाद से यह मामला इंडे बस्ते में चला गया।
बागली को जिला बनाने की दो बार हो चुकी है घोषणा
पूर्व सीएम कैलाश जोशी के क्षेत्र बागली को देवास से अलग कर जिला बनाने की मांग काफी पुरानी है। बागली क्षेत्र के लोग कई बार इस संबंध में देवास से भोपाल तक प्रदर्शन और मांग कर चुके हैं। स्थानीय रहवासी बताते हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बागली को जिला बनाने की घोषणा कर चुके हैं। 14 मई 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए खंडवा के चापड़ा में मुख्यमंत्री ने बागली को 52वां जिला बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद हाट पिपल्या में पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी की प्रतिमा के अनावरण समारोह में 14 जुलाई 2020 को भी बागली को जिला बनाने की घोषणा की जा चुकी है।
कम और अधिक होते रहे जिले
मप्र में कभी जिलों की संख्या बढ़ती रही तो कभी कम होती रही। प्रदेश के गठन के बाद पहली बार 1972 में 2 नए जिलों को बनाया गया था , जिसके बाद जिलों की संख्या 45 हो गई थी, इसके बाद 1998 में 16 नए जिले बनाए थे। साल 2000 में छत्तीसगढ़ नया राज्य बना तो 16 जिले कम हो गए , जिसके बाद जिलों की संख्या 45 रह गई। इसके बाद उमा भारती के कार्यकाल में बुरहानपुर, अनूपपुर और अशोकनगर 3 जिले बने, जिससे जिलों की संख्या 48 हो गई। इसके बाद 2008 में सिंगरौली और आलीराजपुर जिले बनाए गए और बाद में निवाड़ी नया जिला बनाया गया, जिससे प्रदेश में जिलों की संख्या 52 हो गई थी और अब मऊगंज के जिला बनने के बाद प्रदेश में जिलों की संख्या 53 हो चुकी है।