- जिनोम सिक्वेंसिंग, आरटीपीसीआर की जांच होगी आसान
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी भोपाल में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) की स्थापना की जाएगी। इसके लिए भोपाल में 10 एकड़ भूमि चिन्हित की गई है। प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अधोसंरचना मिशन के अंतर्गत भारत सरकार के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर मध्यप्रदेश के भोपाल में नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना होगी। इस क्षेत्रीय केंद्र में आधुनिक स्तर की लैब होगी। जिसमें जिनोम सिक्वेंसिंग, उच्च स्तर की आरटीपीसीआर जांच, एचपीएलसी जांच की सुविधा भी होगी। एनसीडीसी के क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना हेतु मप्र का चिकित्सा शिक्षा विभाग नोडल विभाग होगा और गांधी चिकित्सा महाविद्यालय का कम्युनिटी मेडिसिन विभाग समन्वय का कार्य करेगा। केंद्र के निर्माण कार्य, उच्च कोटि के उपकरण, फर्नीचर एवं मानव संसाधन आदि के लिए 100 करोड़ रुपए का अनुमानित व्यय किया जाएगा। एनसीडीसी के लिए हुजूर विधानसभा के झागरिया में दस एकड़ जमीन आवंटित की जा रही है। संभागीय स्तरीय कमेटी ने जमीन आवंटन के प्रस्ताव को पास कर दिया है। अब स्वीकृति के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। जमीन का आवंटन होते ही राष्ट्रीय रोग नियंत्रण संस्थान का केंद्र आकार लेना शुरू कर देगा। दरअसल, स्वाइन फ्लू, जीका, निपाह, कोरोना जैसे संक्रामक वायरस की जांच के लिए अभी सैंपल दिल्ली, पुणे भेजने पड़ते हैं। मप्र सहित सेंट्रल इंडिया में कोई लैब न होने से बीमारियों की समय से पहचान और रोकथाम में समय लगता है। इस लैब के चनने से वायरस की जांच समय पर हो सकेगी और उसके रोकथाम के लिए जरूपी कदम उठाए जा सकेंगे। एनसीडीसी के क्षेत्रीय कार्यालय की आवश्यकता के अनुसार दस एकड़ जमीन का आवंटन किया जा रहा है। जिसमें निर्माण कार्य, उच्च कोटि के उपकरण, फर्नीचर एवं मानव संसाधन आदि के लिए 100 की अनुमानित राशि खर्च की जाएगी।
यह होगा प्रदेश को फायदा
अनुसंधान और स्थानीय स्वास्थ्य समस्याओं के निराकरण में मदद मिलेगी। एनसीडीसी के क्षेत्रीय केंद्र में प्रदेश में होने वाली सभी बीमारियों की रोकथाम, उपचार एवं प्रोटोकॉल को निर्धारित करने हेतु नीति तैयार की जाएगी। एपिडेमिक इंटेलिजेंस सर्विसेस की सेवाओं को इस केंद्र में प्रारंभ किया जाएगा। जिससे महामारी की प्राथमिक रोकथाम, आंकलन, पूर्व तैयारी हेतु अनुसंधान, स्थानीय स्वास्थ्य समस्याओं के निराकरण हेतु कार्य किया जाएगा। एनसीडीसी का क्षेत्रीय केंद्र विश्व स्वास्थ्य संगठन, सीडीसी, यूनिसेफ, यूएनडीपी आदि स्वास्थ्य संबंधी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से समन्वय स्थापित करेगा और अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल को निर्धारित करने में महती भूमिका निभाएगी। एन्टी माइक्रोबियल रेसिस्टेंस के संबंध में नीति और विजिलेंस का कार्य भी यह केंद्र करेगा। भोपाल में एनसीडीसी का रीजनल सेंटर बीमारियों के प्रसार पर नजर रखेगा। इस सेंटर में आरटीपीसीआर और जीनोम सिक्वेंसिग से लेकर तमाम जांच की व्यवस्थाएं होंगी। बल्कि रिसर्च के लिए विशेषज्ञों की टीम काम करेगी। निपाह वावरस जैसे विदेशी, जुनोटिक रोगजनकों का पता लगाना शामिल है। जीका वायरस, जेई, सीसीएचएफ स्क्रब टाइफस, सार्स, एच। एन।, इबोला, कोरोना जैसे वायरस की जाच के लिए होल जीनोम सिक्वेंसिग की व्यवस्था रहेगी। गौरतलब है कि कोरोना संकट के पहले भोपाल में एनसीडीसी की एक बायोसेफ्टी लेवल 2 (बीसीएल-2) लैब बनाने का प्रस्ताव था। इसके लिए पहले ईदगाह हिल्स पर जमीन देने की सहमति बनी, लेकिन वहां अतिक्रमण होने के कारण इसे सीहोर जिले में शिफ्ट करने की तैयारी शुरू कर दी गई थी। हालांकि दूरी अधिक होने के कारण यह मामला भी आगे नहीं बढ़ सका। इस मामले के सामने आने पर तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जिला प्रशासन और एनसीडीसी के अफसरों के साथ मीटिंग कर इसके लिए जमीन आवंटन कराने और रीजनल सेंटर बनाने के लिए पहल शुरू की थी। इसके बाद एनसीवीसी के अफसरों को दो स्थानों पर जमीन दिखाई गई, जिसमें बगरोदा के स्थित झागरिया में दस एकड़ जमीन का चयन किया गया था। हालांकि बाद में यह मामला अटक गया था। अब इस मामले में फिर तेजी आई है। संभागीय स्तर कमेटी ने प्रस्ताव पास कर शासन को भेजा है।
स्थानीय स्वास्थ्य समस्याओं के निराकरण में मिलेगी मदद
एनसीडीसी के क्षेत्रीय केंद्र में प्रदेश में होने वाली सभी बीमारियों की रोकथाम, उपचार एवं प्रोटोकॉल को निर्धारित करने के लिए नीति तैयार की जाएगी। एपिडेमिक इंटेलिजेंस सर्विसेस की सेवाओं को इस केंद्र में प्रारंभ किया जाएगा, जिससे महामारी की प्राथमिक रोकथाम, आंकलन, पूर्व तैयारी के लिए अनुसंधान, स्थानीय स्वास्थ्य समस्याओं के निराकरण के लिए कार्य किया जाएगा। एनसीडीसी का क्षेत्रीय केन्द्र विश्व स्वास्थ्य संगठन सीडीसी, यूएनआईसीईएफ, यूएनडीपी आदि स्वास्थ्य संबंध अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से समन्वय स्थापित करेगा और अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल को निर्धारित करने में महती भूमिका निभाएगी। एंटी माइक्रोबियल रेसिटेंस के संबंध में नीति और विजिलेंस का कार्य भी यह केंद्र करेगा।