भू-मालिकों के विरोध से रेल लाइनों के निर्माण कार्य रुके

भूमि अधिग्रहण
  • भूमि अधिग्रहण की शर्तों को बदलने के बाद किसानों ने खोला मोर्चा
    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम।
    सतना-रीवा जिले में रेल लाइनों के निर्माण का काम इन दिनों रुक गया है। इसकी वजह यह है कि रेलवे ने जमीन के बदले नौकरी देने का प्रावधान हटा दिया है। इस कारण सतना-रीवा के किसान और भू-मालिकों का विरोध तेज हो गया है।
    कोरोना के कारण दो साल से धीमा चल रहा नई रेल लाइन डालने का काम अब तेज हुआ तो अधिग्रहित भूमालिकों ने कई स्थानों पर काम ही रुकवा दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि नौकरी मिलने पर ही काम होने दिया जाएगा। विरोध के चलते लगभग एक हजार करोड़ रुपए के काम अटक गए हैं। वहीं बीना-कटनी तीसरी लाइन और सिंगरौली-कटनी दूसरी लाइन का काम भी प्रभावित है। गौरतलब है की रीवा-सतना और इसके आसपास रेलवे की चार परियोजनाओं का काम चल रहा है। इन परियोजनाओं में 5 हजार 316 करोड़ रुपए का काम चल रहा है। लेकिन रेलवे द्वारा भूमि अधिग्रहण की शर्तों को बदलने के बाद किसानों ने अपनी जमीने देने से मना कर दिया है। मामले में रेल प्रशासन का तर्क है कि जमीन के बदले नौकरी देने का प्रावधान नवंबर 2019 में ही खत्म कर दिया गया है।
    आधी अधूरी पड़ी परियोजनाएं
    भू-मालिकों के विरोध के बाद रेल परियोजनाएं आधी-अधूरी पड़ी हैं। 541 किमी की ललितपुर-सतना-रीवा-सीधी- सिंगरौली नई रेल लाइन परियोजना को 2026 तक पूरा करना है। लागत 6,673 करोड़ रुपए है। 234 किमी का पूरा हुआ। वर्तमान में रेल लाइन का काम चल रहा है। वहीं सतना-रीवा दूसरी रेल लाइन परियोजना के तहत 50 किमी तक दूसरी रेल लाइन बिछाना है। 22 किमी तक काम ही हुआ है। मार्च 2022 तक काम पूरा होना है। 403 करोड़ रुपए की परियोजना में फिलहाल किसानों के विरोध से काम नहीं हो पा रहा है। सतना कलेक्टर व एसपी को भी मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा है।
    बीना-कटनी तीसरी रेल लाइन में 278 किमी रेल लाइन 2024 तक बिछाना है। 2478 करोड़ रुपए की योजना में अब तक सिर्फ 62 किमी ही हुआ है। वहीं सिंगरौली-कटनी दूसरी लाइन में 257 किमी रेल लाइन में से 65 किमी का काम हो गया है। 1762 करोड़ की यह परियोजना मार्च 2024 तक पूरा करना है। काम समय पर पूरा होना मुश्किल है।
    किसान अड़े तो अफसर जुटे समाधान में
    रेल परियोजनाओं के निर्माण को रोकने के लिए किसानों का विरोध तेज होने के बाद अफसर अब समाधान निकालने में जुट गए हैं। किसान संयुक्त मोर्चा रीवा के महासचिव शिव सिंह का कहना है कि रेलवे किसानों की पुस्तैनी जमीन ले रहा है। उसे नौकरी देना चाहिए, चूंकि सरकार भी रोजगार देने की बात करती है। किसानों की जमीन लेने पर रेलवे नौकरी नहीं देता है तो संयुक्त किसान मोर्चा हर मोर्चे पर लड़ाई लड़ेगा। वहीं पमरे के सीपीआरओ राहुल जयपुरिया का कहना है कि एक नवंबर 2019 के बाद से रेलवे ने जमीन अधिग्रहण करने वाले किसानों को नौकरी देना बंद कर दिया है। पश्चिम मध्य रेलवे की परियोजनाएं को समय पर पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। जब कि सतना कलेक्टर अजय कटेसरिया कहते हैं कि किसानों का कहना है कि उन्हें जमीन देने के बदले नौकरी दी जाए। इसके लिए हमने रेलवे को पत्र लिखा है कि वे नौकरी देने पर एक बार फिर से विचार करें, ताकि उनका विरोध खत्म हो।
    कलेक्टर ने रेलवे को लिखा पत्र
    जानकारी के अनुसार नवंबर 2019 में रेलवे ने स्पष्ट किया कि अब जमीन अधिग्रहण के बदले नौकरी नहीं दी जाएगी। प्रभावितों को कलेक्टर गाइडलाइन से तय मुआवजे के मुताबिक पांच लाख रुपए अतिरिक्त दिए जाएंगे। दरअसल, विरोध का कारण यह है कि कुछ किसान ऐसे भी हैं जिनकी जमीन तय तिथि के पूर्व अंधिग्रहित की गई है। ऐसे में सतना कलेक्टर अजय कटेसरिया ने विरोध को देखते हुए नौकरी दिए जाने के लिए रेलवे को पत्र लिखा है। उधर, जबलपुर रेल मंडल में विरोध के चलते अधिकतर परियोजना का काम धीमा पड़ गया है या बंद हो गया है। यहां किसान काम नहीं करने दे रहे हैं। सतना से रीवा तक दूसरी रेल लाइन बिछाने का काम किसानों के विरोध के बाद रोक दिया गया। रेल अधिकारी भी डर से काम नहीं कर पा रहे।

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