आने वाले चुनाव दुनिया के ग्लोबल ऑर्डर को देंगे शेप

  • सुमन कांसरा
चुनाव

लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्यौहार चुनाव होते हैं 2024 दुनिया भर के लिए चुनावी साल है क्योंकि इस साल लगभग दुनिया के 70 देशों में इलेक्शन होने वाले हैं अकेले  यूरोप  के 64 देशों में इलेक्शन होने हैं जो की दुनिया की 49 पर्सेंट आबादी को रिप्रेजेंट करता है इसके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, रूस भारत-पाकिस्तान श्रीलंका और बांग्लादेश मैं भी इलेक्शन इसी साल होने हैं। यह साल उन लोगों के लिए जो डेमोक्रेटिक वैल्यू रखते है अच्छा नहीं होने वाला है यूं तो यह लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्यौहार होता है पर इसका जो रिजल्ट है वह बहुत विपरीत होने वाला है क्योंकि इन सब देशों में राइट विंगर्स की लीडरशिप ही रूल कर रही है।
यह आने वाले चुनाव दुनिया के ग्लोबल ऑर्डर को शेप देंंगे आने वाले सालों में दुनिया की दिशा और दशा को तय करेंगे। कुछ महत्वपूर्ण सवालों का जवाब वक्त ही तय करेगा जैसे क्या डोनाल्ड ट्रंप की वापसी होगी या रूस में पुतिन को कोई उसके प्रेसीडेटशिप को चैलेंज करेगा। यूरोपीय संघ के इलेक्शन में 400 मिलियन लोग वोट डालेंगे। इसी तरह कोई एक बिलियन लोग भारत में वोट डालेंगे। अप्रैल में होने वाले चुनाव नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की तीसरी बार जीत होगी क्या नहीं यह तय करेंगे।
अमेरिका में नवंबर में होने वाले चुनाव जो बिडेन जो अभी प्रेसिडेंट है और ट्रंप  के बीच में होने वाला चुनावी युद्ध होगा। बाइडन जो 86 की उम्र पार कर चुके हैं और ट्रंप 77 साल पूरे कर चुके हैं। वे काफी उम्र दराज नेताओं में आते हैं। अमेरिका का वाटर यंग अमेरिकन लीडर चाहता है। अभी तक की वहां की स्थिति के हिसाब से यह दोनों नेता पापुलैरिटी ग्राफ में बहुत नीचे हैं। अगले आने वाले कुछ महीनो में वहां के इलेक्शन की तस्वीर कुछ साफ होगी, तब तक सिर्फ इंतजार किया जा सकता है।
दूसरी तरफ पुतिन ने रूस में दिसंबर 8 को एक बार फिर अपने आप को बिना चुनाव के प्रेसिडेंट घोषित कर दिया है। आने वाले मार्च में वहां पर चुनाव होने की संभावना थी, पर यूक्रेन युद्ध और वहां के अपोजिशन लीडर को जेल में डालकर पुतिन ने 2036 तक के लिए अपना रास्ता शायद साफ कर लिया है । वहां विद्रोह की आवाज अब बहुत जोर-शोर से उठना शुरू हो गई है।यह भी आने वाले समय में ही तय होगा कि रूस का भविष्य क्या कहता है।
इसी तरह हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान श्रीलंका बांग्लादेश में भी चुनाव होने हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना तीसरी बार प्रेसिडेंट के इलेक्शन के लिए के लिए चुनाव में है। वहां के राजनीतिक सनेरियो को देखते हुए इस बार उनका जितना काफी मुश्किल दिख रहा है। इस समय पूरी दुनिया राइट विंग और लेफ्ट रिंग में डिवाइड हो चुकी है। एक लाइन जो राइट विंग की विचारधारा को सपोर्ट करती है और बहुत कम लोग हैं जो लेफ्ट की विचारधारा को सपोर्ट करते हैं। डेमोक्रेटिक वैल्यूज कहीं खो सी गई है दुनिया की मैन  लीडरशिप वह चाहे ट्रंप हो पुतिन हो चीन के राष्ट्रपति हो या नरेंद्र मोदी जी हो यह सब नेता राइट विंग की विचारधारा के हैं इन सब की कार्यशैली डेमोक्रेटिक ना हो के तानाशाही है। इसलिए पूरी दुनिया एक बहुत कठिन समय से गुजर रही है इस बारे में कोई भविष्यवाणी तो नहीं की जा सकती पर रेडिकल फोर्सज जो चाहे पाकिस्तान हो ईरान हो बांग्लादेश हो लेबनान हो या इराक हो बहुत हावी हो रही है और पूरी दुनिया को संकट में डाल सकती है अभी भी आप इसका असर देख रहे हैं यूक्रेन और इजरायल  गाजा पट्टी के हालात आपके सामने हैं।

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