सांगर, तिवारी व नेमा के नाम पर नहीं बन पा रही आबकारी महकमे में सहमति
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार द्वारा तय की गई तबादलों की अंतिम तिथि निकलने के बाद भी आबकारी महकमे में पदस्थापना सूची जारी नहीं हो सकी है। विभाग की तबादला सूची तीन अफसरों के नामों में ऐसी उलझी हुई है कि इसके जल्द जारी होने के भी आसार नहीं है। दरअसल इसकी वजह है नेताओं व अफसरों के बीच एक राय नहीं बन पाना। नेता चाहते हैं कि नियमों को दरकिनार कर उनकी पसंद के आधार पर अफसरों की पदस्थापना कर दी जाए जबकि , विभाग की मुखिया नियमों को दरकिनार करने के लिए तैयार नहीं हैं।
दरअसल नेता चाहते हैं कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर धार से हटाए गए सहायक आबकारी आयुक्त की खाली कुर्सी पर उनकी पंसद के आधार पर अफसर की पदस्थापना कर दी जाए। इसके लिए विभाग के कई अफसर अपने-अपने स्तर पर लांबिग करवा रहे हैं। दरअसल यह ऐसा जिला है जिसे बेहद मलाईदार माना जाता है, लिहाजा विभाग के अफसरों के साथ मिलकर कुछ नेता भी इस मलाई के रसास्वादन के लिए पूरी तरही से लालायित बने हुए हैं। यही नहीं लाबिंग को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं है। कुछ राजनेताओं की पसंद सहायक आयुक्त आबकारी विक्रम दीप सांगर है। सांगर वर्तमान में सहायक आबकारी आयुक्त के पद पर रीवा में पदस्थ है। सांगर नेताओं व कुछ अधिकारियों की पसंद जरूर हैं, लेकिन प्रमुख सचिव वाणिज्यिक कर श्रीमती दीपाली रस्तोगी किसी भी अधिकारी को दोबारा उस जिले में पदस्थ करने के किसी भी तरह से पक्ष में नहीं है। स्थानांतरण नीति की कंडिका 25 के अनुसार किसी शासकीय सेवक को पुन: उसी जिले में दोबारा पदस्थ नही किया जाएगा। विक्रम दीप सांगर धार में पूर्व में एसी के पद पर पदस्थ रह चुके हैं। इसलिए उनके नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। दरअसल तेज तर्रार आईएएस अफसर और विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी को नियमों का पक्का और बेहद ईमानदार माना जाता है। यही वजह है कि वे इंदौर संभाग के शराब के सिंडिकेट को समाप्त करना चाहती हैं, जिसकी वजह से ही वे इस संभाग में पूर्व में पदस्थ रहे किसी भी अफसर को धार में पदस्थ करने को तैयार नहीं हैं। बेहद अहम बात तो यह है कि गुजरात की सीमा से लगे जिलों में पदस्थापना के लिए नेता और अफसरों की रुचि की वजह क्या है, यह विचारणीय है। दरअसल धार जिले के शराब माफिया को समाप्त करने के लिए प्रमुख सचिव किसी तेज तर्रार अधिकारी को वहां पर पदस्थ करना चाह रही है, इसी कारण आबकारी विभाग की तबादला सूची अंतिम समय में जारी होने से पहले रोक दी गई। इसी तरह से संजय तिवारी को उपायुक्त उज्जैन व मुकेश नेमा को उपायुक्त इंदौर पदस्थ करने को लेकर भी एक राय नहीं बन पा रही है। तिवारी को हाल ही में इंदौर से हटाया गया था। माना जा रहा है कि इस स्थिति की वजह से अब इन अफसरों की पदस्थापना का मामला मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा जा सकता है। इन नामों की वजह से ही इस विभाग की अब तक कोई तबादला सूची तक जारी नहीं हो सकी है।