भोपाल/अरुण पटेल/बिच्छू डॉट कॉम। आधी आबादी महिला वर्ग को भाजपा से जोड़ने के लिए जहां भाजपा अपनी पूरी ताकत लगा रही है तो वहीं दूसरी ओर सत्ता की दावेदार कांग्रेस के हालात यह हैं कि उसमें अभी महिला कांग्रेस को लेकर ही घमासान छिड़ा हआ है। भाजपा युवाओं और महिलाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए 65 हजार बूथों पर मौजूद पदाधिकारियों और कार्यकतार्ओं को ट्रेनिंग देने की तैयारी कर रही है।
इस दौरान सर्वाधिक ध्यान युवाओं व महिला वर्ग को साधने के लिए उनसे जुड़े कार्यक्रम पर दिया जा रहा है। भाजपा प्रदेश में अपना 10 प्रतिशत वोट बैंक बढ़ाकर 51 प्रतिशत करना चाहती है ताकि उसकी सत्ता को भविष्य में कोई भी राजनीतिक दल या गठबंधन चुनौती न दे पाये। भाजपा ने जो रोड-मैप तैयार किया है उस पर पार्टी के सह-संगठन महामंत्री शिव प्रकाश और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव की उपस्थिति में भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने विस्तार से चर्चा की। जहां तक कांग्रेस का सवाल है उसके युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया तो पूरी तरह सक्रिय हैं और मैदान में युवाओं की मौजूदगी नजर आती है। लेकिन लगभग आधी आबादी महिला वर्ग को साधने के लिए मैदान में सक्रिय होने की जगह फिलहाल तो आपस में ही वर्चस्व स्थापित करने की होड़ लगी है।
महिलाओं और युवाओं पर भाजपा का फोकस
मिशन 2023 की तैयारियों में जुटी भाजपा का फोकस अब युवाओं और महिलाओं को अपनी पार्टी के प्रति आकर्षित करने पर केंद्रित है। कुशाभाऊ ठाकरे जन्म शताब्दी समारोह समिति की गतिविधियों के साथ ही पार्टी पदाधिकारियों की बैठकों का सिलसिला निरन्तर जारी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दलितों, आदिवासियों और पिछड़ा वर्ग के साथ ही किसानों के बीच भाजपा का जनाधार बढ़ाने की पूरी-पूरी कोशिश कर रहे हैं। भाजपा ने हर बूथ पर 10 प्रतिशत वोट बढ़ाने की रणनीति बनाई है और सभी 65 हजार बूथों पर बूथ अध्यक्ष, महामंत्री और बूथ एजेंट को घर-घर दस्तक देने और अलग-अलग सामाजिक संगठनों के सदस्यों को भी पार्टी से कैसे जोड़ा जाए इसके टिप्स भी प्रशिक्षण के दौरान दिए जायेंगे। इसका कारण यह है कि प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच मतों का अन्तर बहुत कम है और इस अन्तर को बढ़ाने के लिए ही यह अभियान छेड़ा गया है। 2018 के चुनाव में हालांकि भाजपा को कांग्रेस से कुछ ही मत अधिक मिले लेकिन वह अपनी सरकार गंवा बैठी। भाजपा को 41 . 2 प्रतिशत और कांग्रेस को 40 .89 प्रतिशत मत मिले थे, लेकिन कांग्रेस को सीटें ज्यादा मिली थीं तथा डेढ़ दशक की सत्ता को उखाड़ कर कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। हालांकि यह सरकार दलबदल के कारण 15 माह में ही गिर गयी और शिवराज सिंह चौहान फिर मुख्यमंत्री बन गये। भाजपा यह जानती है कि बिना जनाधार बढ़ाये लम्बे समय तक प्रदेश के सत्ता-साकेत में शीर्ष पद पर रहने का उसका सपना साकार नहीं हो सकता।
कमलनाथ की बढ़ती सक्रियता
नये साल के पहले माह में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अपनी सक्रियता बढ़ाई और उन्होंने फरवरी माह के जाते-जाते राजधानी भोपाल सहित सागर, रीवा और दमोह का प्रवास करने के बाद भिण्ड में 23 फरवरी को जन-आक्रोश रैली को सम्बोधित किया। कमलनाथ ने दो-टूक शब्दों में यह बात भी कही कि विधानसभा चुनाव में अब मात्र 19 माह बचे हैं और अब जनता ही भाजपा का फैसला करेगी। सीधे-सीधे भिण्ड में आम जनता से जुड़ने की कोशिश करते हुए कमलनाथ ने वहां की महिमा का बखान करते हुए कहा कि चम्बल की भूमि वीरों की भूमि है, सन्तों की भूमि है, मूल्यों की भूमि है और यहां से बड़ी संख्या में युवा फौज में भर्ती होने जाते हैं। उन्होंने कहा कि अब भाजपा के पास केवल पुलिस, पैसा और प्रशासन बचा है तथा वह सत्ता का दुरुपयोग कर निर्दोष लोगों पर झूठे मुकदमें लगाकर दबाव की राजनीति कर रही है। उनका दावा है कि भारत की संस्कृति ही कांग्रेस की संस्कृति है और हम दिल जोड़ते हैं, सम्बन्ध जोड़ते हैं, रिश्ता जोड़ते हैं। देश की इसी संस्कृति पर आक्रमण हो रहा है और हमें तय करना है कि हमें कौन सा रास्ता चुनना है, देश की संस्कृति पर चलने का या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बताये रास्ते पर चलने का।
महिला कांग्रेस में घमासान
मध्यप्रदेश में महिला कांग्रेस की कार्यकारिणी गठित करने के साथ ही विवादों में घिरी प्रदेश महिला अध्यक्ष अर्चना जायसवाल को अन्तत: अपना पद छोड़ना पड़ा और उनके द्वारा घोषित पूरी कार्यकारिणी को ही भंग कर दिया गया। संगठन की राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी ओनिका मेहरोत्रा ने कहा है कि जल्द ही संगठन को लेकर निर्णय लिया जायेगा। फिलहाल चार वरिष्ठ उपाध्यक्ष रश्मि भारद्वाज, कविता पांडेय, जमुना मरावी और नूरी खान को छोड़कर कोई पदाधिकारी नहीं है, जबकि अर्चना जायसवाल का कहना है कि वह अभी भी अध्यक्ष हैं। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा का कहना है कि अर्चना जायसवाल अब अपने पद पर नहीं हैं। ताजा विवाद का कारण यह बना कि जब कार्यकारिणी पर रोक लगा दी गयी थी तो अचानक ही बीते सप्ताह नियुक्तियों के आदेश-पत्र प्रदेश महिला अध्यक्ष अर्चना जायसवाल ने जारी कर दिए और अब यही वजह रही कि उन्हें पदमुक्त कर दिया गया। हालांकि वह यह नहीं मानती हैं कि वह पद से हटा दी गयी हैं, अपना पक्ष नयी दिल्ली में आला नेताओं के सामने वह रख चुकी हैं ।
और यह भी
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने कहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश में 40 प्रतिशत सीटों पर बेटियां हुंकार भरेंगी। प्रियंका गांधी ने उत्तरप्रदेश से इस अभियान की शुरूआत की है और कांग्रेस की पूरी कोशिश रहेगी कि पूरे देश में इसे लागू किया जाए। उनका कहना है कि महिलाओं के आरक्षण के लिए सबसे पहले कानून भी कांग्रेस ही लायी थी जिसे भाजपा ने लागू नहीं होने दिया और वह अभी राज्यसभा में लंबित है। भाजपा नेताओं के बीच अलग-अलग विचारों को रेखांकित करते हुए दिग्विजय ने कहा कि भाजपा में उमा भारती शराबबंदी की बात करती हैं और सांसद प्रज्ञा सिंह उसे आयुर्वेदिक दवाई बताती हैं तथा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कुछ और ही बोलते हैं।
(लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं)
27/02/2022
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