छग को मोहरा बनाकर पेंशनर्स को परेशान कर रही अफसरशाही

 अफसरशाही
  • राज्य पुर्नगठन की धारा 49 का हवाला देकर 4.75 लाख पेंशनर्स की राहत रोकी

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। छत्तीसगढ़ को मोहरा बनाकर अफसरों ने प्रदेश के करीब 4.75 लाख पेंशनर्स को राज्य पुर्नगठन की धारा 49 के जाल में इस कदर फंसाया है की उन्हें क्षति पहुंच रही है। अफसरशाही के काम-काज का कितना अड़ियल रवैया है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य के पेंशनर्स अनावश्यक परेशानी में पड़ गए हैं। अफसरों की कारस्तानी के कारण पेंशनर्स का सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है। दरअसल, अफसर नियमों की गलत व्याख्या करके पेंशनर्स को परेशानी में डाले हुए हैं। इस परेशानी की वजह राज्य पुनर्गठन की धारा 49 है। यह धारा छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के पहले तक रिटायर हुए कर्मचारियों के लिए थी, लेकिन पुनर्गठन के बाद भी छत्तीसगढ़ राज्य की सहमति के नाम पेंशनर्स के आर्थिक लाभ पर अडंगा  लगा है। 4.75 लाख से ज्यादा पेंशनर्स को सीधे तौर पर नुकसान है। जानकारों का कहना है कि सभी राज्यों के कार्य करने का अपना तरीका होता है। राज्य संसाधनों के हिसाब से निर्णय लेते हैं। इसलिए जरूरी नहीं कि मप्र सरकार जो निर्णय ले, वैसा ही निर्णय छत्तीसगढ़ सरकार भी ले।
कोर्ट के आदेश के बाद भी मामला फाइलों में
जानकारी के अनुसार कोर्ट के आदेश के बाद भी महंगाई राहत का मामला फाइलों में उलझा है, अब सरकार कोर्ट की अवमानना का सामना कर रही है। वर्ष 2000 में मप्र से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था। उस दौरान रिटायर कर्मचारियों का मामला सामने आया। उसको लेकर धारा 49 के तहत यह प्रावधान रखा गया कि जो कर्मचारी रिटायर हुए हैं, उनकी पेंशन का खर्च आबादी के हिसाब से राज्य उठाएंगे। इसके तहत छत्तीसगढ़ 26 प्रतिशत और मप्र 74 प्रतिशत खर्च को उठा रहा है, लेकिन इसके बाद रिटायर कर्मचारियों के लिए यह व्यवस्था नहीं थी।
बेवजह का पेंच
मप्र पेंशनर्स एसो. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गणेश दत्त जोशी का कहना है कि अफसरों ने दोनों राज्यों की सहमति का अड़ंगा लगाकर मौजूदा पेंशनर्स के मामले में भी पेंच फंसा दिया है। इस कारण पेंशनर्स को 59 माह का एरियर नहीं मिला है।
32 माह का एरियर छठे वेतनमान का और 27 माह के एरियर का भुगतान सातवें वेतनमान का भी अटका हुआ है। कोर्ट के आदेश के बावजूद यह मामला भी फाइलों में कैद है। पेंशनर्स एसोसिएशन ने मुख्य सचिव अन्य जिम्मेदारों को लीगल नोटिस भी भेजा है।

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