एक-एक अफसर पर कई-कई पदों का भार

  • मप्र में आईएफएस अफसरों की भारी कमी

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भोपाल। मप्र में आईएफएस अफसरों की कमी चिंता का विषय बनती जा रही है। आलम यह है कि प्रदेश में  आईएफएस के 296 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 108 पद खाली हैं। इस कारण कई अफसरों के पास दो-दो पदों का प्रभार है। फील्ड से लेकर वन मुख्यालय तक 50 से अधिक आईएफएस अतिरिक्त प्रभार लिए हुए हैं। इससे काम-काज पर असर पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में केंद्रीय वन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने सीएम से इस बात के लिए नाराजगी जताई थी कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में डेढ़ साल से कोई फील्ड डायरेक्टर नहीं है, जबकि यहां तीन साल में करीब 36 बाघों की मौत हो चुकी हैं। तब रविवार को दो घंटे में ही एफडी की पोस्टिंग हो गई थी। गौरतलब है कि अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुदीप सिंह जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव हैं, लेकिन उन्हें समन्वय जैसा महत्वपूर्ण प्रभार भी दिया गया है। समीता राजौरा की मुख्य पदस्थापना ईको टूरिज्म बोर्ड में सीईओ के पद पर है, वे एपीसीसीएफ वन्यप्राणी की जिम्मेदारी भी निभा रही हैं। इनके अलावा भी कई  अधिकारी हैं,  जो दोहरे-तिहरे प्रभार संभाल रहे हैं, बल्कि फील्ड से लेकर वन मुख्यालय तक 50 से अधिक आईएफएस अतिरिक्त प्रभार लिए हुए हैं। इसकी वजह है कि एमपी कॉडर में कुल 296 पद हैं पर 188 ही भरे हैं। यानि 108 पद खाली हैं।
    वर्किंग प्लान समय पर तैयार नहीं: आईएफएस अधिकारियों की कमी का असर काम-काज पर पड़ रहा है। खंडवा और रीवा सहित एक दर्जन जिलों के वर्किंग प्लान समय पर तैयार ही नहीं हो पाए हैं। इसी तरह से सामाजिक वानिकी के अंतर्गत पौधों का समय पर रोपण नहीं हो पाया है। वन्यप्राणी पीसीसीएफ के पास वर्किंग प्लान का प्रभार है। इससे दोनों काम एक साथ नहीं हो पा रहे। शिकायत तथा सतर्कता शाखा में आने वाली शिकायतों के निराकरण में भी कमी आयी है। इसी तरह से टीकमगढ़ जिले में डीएफओ प्रभार में है। ऐसे में फॉरेस्ट संबंधी कार्यों में गति नहीं आ रही। आलम है कि कई बार रेंजर से लेकर एसडीओ को रेत के अवैध परिवहन और जंगलों में कटाई की सूचना दी गई लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
    कॉडर रिव्यू की तैयारी
    तीन साल पहले वन विभाग ने कॉडर रिव्यू का प्रस्ताव सीएम के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजा था, लेकिन मंजूरी नहीं मिली। अब फिर विभाग ने कॉडर रिव्यू का प्रस्ताव शासन को भेजा है। हाल ही में एक प्रपोजल सीएम सचिवालय भेजा है। वहां से मंजूरी के बाद केंद्र को भेजा जाएगा।
    नए प्रपोजल में जो सेटअप तय किया गया है उसमें पीसीसीएफ पांच पद यथावत हैं। वहीं एपीसीसीएफ 25 से घटाकर 18 पद, सीसीएफ 51 से कम कर 40 पद, सीएफ 40 से कम कर 35, डीएफओ 59 से बढ़ाकर 95 पद कर दिया गया है। इसी तरह का कॉडर रिव्यू प्रस्ताव 3 साल पहले केंद्र सरकार को भेजा गया था।
    कई पद खाली पड़े हैं…
    वन विभाग में अधिकारियों की कमी के कारण कई पद खाली हैं। प्रदेश में एपीसीसीएफ के कुल 25 पद हैं, इनमें अनुसंधान एवं विस्तार, वन्यजीव प्रबंध आयोजना, उत्पादन, वित्त एवं बजट, वन भूमि रिकॉर्ड, कार्य आयोजना मुख्यालय, जेएफएम एवं एफडीए, सतर्कता, शिकायत, समन्वय, निगरानी एवं मूल्यांकन, मानव संसाधन विकास, कार्य आयोजना क्षेत्रीय भोपाल, कार्य आयोजना क्षेत्रीय जबलपुर, संरक्षण मुख्यालय, वन्यजीव सुरक्षा मुख्यालय खाली हैं। सीसीएफ के कुल पद 51, इनमें प्रशासन एक, अराजपत्रित प्रशासन दो, भू प्रबंध, समन्वय, उत्पादन, वित्त एवं बजट, भू अभिलेख, जेएफएम मनरेगा आदि। वहीं  जिलों-वृत्तों में भी अधिकारियों की कमी है। बालाघाट, बैतूल, भोपाल, छतरपुर, रीवा, ग्वालियर, दतिया, इंदौर, झाबुआ, सागर, जबलपुर, बड़वानी, शहडोल आदि में अधिकारियों की भारी कमी है। लघु वन उपज संघ में 7 पद रिक्त हैं। वन विकास निगम में 6 अपर प्रबंध संचालक कम हैं। वन विभाग में 14 साल में डीएफओ से सीएफ, 18 साल में सीएफ से सीसीएफ, 25 साल में सीसीएफ से एपीसीसीएफ और 30 साल में एपीसीसीएफ से पीसीसीएफ बनते हैं। लेकिन समस्या यह है कि प्रदेश में पदस्थ आईएफएस इन मापदंडों को पूरा नहीं कर पा रहे।

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