वन भवन के निर्माण पर फिर लगा ब्रेक

  • लगातार बढ़ती ही जा रही है लागत
वन भवन

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
सरकारी कामकाज का ढर्रा वन विभाग के साथ ही सरकारी खजाने पर भारी पड़ रहा है। हालात यह है कि वन विभाग का मुख्यालय बीते डेढ़ दशक में भी बनकर तैयार नहीं हो सका है। काम शुरू होता है और फिर बंद हो जाता है। इसकी वजह से उसकी लगातार लागत बढ़ती जाती है, जिसकी वजह से सरकारी खजाने पर भी अब तक करीब नब्बे करोड़ का अतिरिक्त भार आ चुका है। इसके बाद भी अफसरों ने इस मामले में कोई कारगर कदम नहीं उठाया है, लिहाजा एक बार फिर से वन भवन का काम बंद हो गया है। इसकी वजह बताई जा रही है ठेकेदार का करीब 17 करोड़ का भुगतान अटका होना। काम बंद हुआ तो विभाग की नींद खुली और अब विभाग द्वारा ठेकेदार के भुगतान के लिए रिवाइज स्टीमेट तैयार कर इसे सरकार के पास भेजने की तैयारी शुरु की गई है। खास बात यह है कि स्टीमेट बनने से लेकर कर उसकी स्वीकृति तक में काफी समय लगेगा, जिससे एक बार फिर से निर्माण लागत बढ़ना तय है। इसकी वजह है यह प्रस्ताव स्वीकृति के लिए कैबिनेट तक जाएगा। सरकार द्वारा वन भवन निर्माण के लिए करीब एक साल पहले 158 करोड़ रुपए का बजट दिया था। इसके अतिरिक्त भवन निर्माण की लागत करीब 21.40 करोड़ रुपए बढ़ गई। गौरतलब है कि वन विभाग इस भवन में नवंबर में शिफ्टिंग की तैयारी में था। विभाग के कई शाखाओं ने तो अपने लिए फ्लोर और कक्ष भी आवंटित कर लिए थे , लेकिन अब काम बंद होने के की वजह से यह मामला अगले साल तक के लिए टल गया है।  
इस तरह से बढ़ती गई लगातार लागत  
राजधानी में लिंक रोड नंबर 2 पर तीन लाख वर्ग फिट में बन रहे इस भवन निर्माण के लिए करीब डेढ़ दशक पहले 2008 में तत्कालीन वन मंत्री विजय शाह ने भूमि पूजन किया था। उसके बाद से लगभग इस विभाग का जिम्मा अधिकांश समय शाह के पास ही रहा है। अब भी उनके पास ही यह विभाग है। उस समय भवन निर्माण की लागत 78 करोड़ रुपए तय कर उसके लिए बजट भी आवंटित कर दिया गया था, लेकिन उसके बाद अफसरों द्वारा  लगातार भवन की ड्राइंग डिजाइन में बदलाव किया जाता रहा है , जिसकी वजह से इसकी लागत बढ़कर 158 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। 78 करोड़ रुपए का काम करने के बाद ठेकेदार ने आगे काम करने के बाद ठेकेदार ने इससे हाथ खींच लिए थे जिसकी वजह से करीब चार साल तक काम बंद पड़ा रहा।  इसके बाद भवन के लिए रिवाइज रेट के अनुसार 80 करोड़ रुपए फिर से आवंटित किए गए थे लेकिन इसके बाद भी भवन की लागत 21 करोड़ रुपए और बढ़ गई।
लग्जरी सुविधाओं के किए जाते रहे प्रावधान
भवन की शुरुआती डिजाइन में इस भवनों में सेंट्रलाइज एसी लगाया जाना था। इसके बाद इसमें अलग-अलग एसी का प्रावधान किया गया, चूंकि ग्रीन भवन होने के कारण इसमें कांच की दीवार का प्रावधान किया गया है। सेंट्रलाइज एसी नहीं होने से क्लास लगाया गया, जो कमरे में प्रकाश तो जाने देता है, लेकिन सूर्य की ऊष्मा को रोकता है। इसके साथ में फर्नीचर का प्रावधान प्रोजेक्ट में जोड़ दिया गया। जीएसटी के रेट रिवाइज हो कर 12 प्रतिशत से 18 प्रतिशत हो गया। इसके अलावा अन्य छोटी छोटी चीजें प्रोजेक्ट में जुड़ती गई, जिससे भवन के निर्माण की लागत 180 करोड़ से ज्यादा हो गई।

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