गायों के इलाज का जिम्मा संभालेंगे दसवीं पास

गायों के इलाज

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में वेटरनरी डॉक्टर्स और असिस्टेंट वेटरनरी फील्ड ऑफिसर्स (एवीएफओ) की भर्ती नहीं होने से पशुओं के इलाज पर गंभीर संकट बना हुआ है। ऐसे में अब सरकार ने इससे निजात के लिए नई योजना बनाई है, जिसके तहत दसवीं पास करने वाले युवाओं को जिम्मा सौंपा जाएगा। इसके लिए उन युवाओं का चयन किया जाएगा, जिनकी रुचि गोसेवा में होगी। ऐसे युवाओं को पशुपालन विभाग द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। अब तक प्रदेश भर में करीब आठ हजार
मल्टीपल आर्टिफिशियल – इनसेमिनेशन टेक्निशियन इन रूरल इंडिया (मैत्री कार्यकर्ता) को विभाग ने प्रशिक्षण देने का काम भी शुरू कर दिया गया है। इन युवाओं को मैत्री कार्यकर्ता का नाम दिया गया है। फिलहाल इन्हें प्रदेश की हर पंचायत के लिए तैयार िकया जा रहा है। अभी सात हजार और मैत्री कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दी जाएगी। यह गायों का प्राथमिक इलाज तो करेंगे ही, वैक्सीनेशन और जानवरों का बीमा भी करने का काम करेंगे। इन्हें पशुपालकों से तय शुदा फीस लेने की भी सुविधा दी जा रही है।
कृत्रिम गर्भाधान का भी होगा जिम्मा
गायों के नस्ल सुधार के लिए यह लोग पशुपालकों के घर जाकर कृत्रिम गर्भाधान का काम भी करेंगे। इसके लिए विभाग की ओर से इन्हें 50 हजार रुपए की किट भी दी जा रही है, जिसमें बुल सीमन रखने के लिए लिक्विड नाइट्रोजन भी शामिल रहेगी  मैत्री कार्यकर्ता को एक महीने की क्लास रूम ट्रेनिंग देने के साथ ही दो महीने फील्ड ट्रेनिंग दी जाती है। इसके लिए मप्र के दस मान्यता प्राप्त केंद्र शामिल हैं। एक बैच में 30 मैत्री कार्यकर्ता शामिल किए जाते हैं। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए 98 करोड़ रुपए के प्रशासकीय बजट को स्वीकृति मिली हुई है। मैत्री कार्यकर्ता की ट्रेनिंग के दौरान रुकने ठहरने की व्यवस्था के साथ ही एक हजार रुपए आने-जाने का व्यय दिया जाता है। तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद इन्हें सर्टिफिकेट दिया जाता है। अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 1400 डॉक्टर हैं और करीब पांच हजार एवीएफओ हैं। ऐसे में उनके सुपरविजन में यह गायों का इलाज करेंगे।
अब तक 350 बछिया सरोगेसी से जन्मीं…
इधर, मदर बुल फार्म में अब तक एंबियो ट्रांसप्लांट टेक्निक से 350 बछिया पैदा हुई हैं। इनमें उन्नत किस्म के बुल का सीमन एक स्वस्थ गाय में इनसेमिनेट किया जाता है। इसके पूर्व उसे दवा देकर हीट पर लाया जाता है। इस तरह से उसमें कई भ्रूण विकसित होते हैं, जिन्हें अन्य गायों में रोपित किया जाता है। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस प्रक्रिया से जो गायें पैदा हुई हैं वे रोजाना करीब 16 लीटर दूध दे रही हैं।

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