
- तीन जगह तीस हजार हुए पंजीयन
विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 24-25 फरवरी को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट जीआईएस होगी। इसमें देश के शीर्ष 50 बड़े उद्योगपति शामिल होंगे। जिस डोम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहेंगे, वहां सिर्फ 3 हजार उद्योगपतियों को ही एंट्री मिलेगी। समिट के लिए 30 हजार रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। 8 हजार रजिस्ट्रेशन तो आखिरी 3 दिन में ही हुए हैं। इस कारण एक दिन पहले ही रजिस्ट्रेशन बंद करने पड़े। ऐसे में अब सीटिंग प्लान में बदलाव किया जा रहा है। एमपी स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के मुताबिक, मानव संग्रहालय में 24 फरवरी की सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समिट का उद्घाटन करेंगे। डेढ़ घंटा चलने वाले कार्यक्रम में 5 हजार उद्योगपतियों को ही एंट्री दी जाएगी। इनमें से 3 हजार लोग डोम और बाकी हॉल में रहेंगे। कार्यक्रम के बाद 10 हजार को और एंट्री दी जाएगी। इस तरह एक दिन में 15 हजार उद्योगपतियों को एंट्री देने का प्लान है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2 दिन की है। रजिस्ट्रेशन कराने वाले उद्योगपति अलग-अलग रंग के पास के जरिए दो दिन तक समिट में जा सकेंगे। 15 हजार उद्योगपतियों को पहले ही दिन एंट्री दे दी जाएगी। ऐसे में सवाल है कि बाकी 15 हजार का क्या होगा? इस बारे में अफसरों का कहना है कि कंपनी के एनुअल टर्नओवर के हिसाब से एंट्री देने का प्लान है। पहले दिन ऐसे उद्योगपतियों को बुलाया जाएगा, जिनकी कंपनी का टर्नओवर और इन्वेस्ट करने का मकसद स्पष्ट हो। बचे 15 हजार उद्योगपतियों को अगले दिन 25 फरवरी को एंट्री दी जा सकती है। दरअसल, 15 फरवरी तक 20 हजार रजिस्ट्रेशन का टारगेट था लेकिन एक दिन पहले 14 फरवरी को ही आंकड़ा 30 हजार के पार हो गया। इस कारण एक दिन पहले ही रजिस्ट्रेशन बंद कर दिए गए। जीआईएस में देश के शीर्ष उद्योगपति गौतम अदाणी, कुमार मंगलम बिड़ला समेत एन. चंद्रशेखरन, नोएल एन. टाटा, आनंद महिंद्रा, जमशेद एन. गोदरेज, संजीव पुरी, संजीव बजाज, सतीश रेड्डी, नादिर गोदरेज, पवन मुंजाल, एसएन सुब्रह्मण्यम, रिशद प्रेमजी, अजीज प्रेमजी, सलिल एस. पारेख, दिलीप संघवी, वेणु श्रीनिवासन, सुनील भारत मित्तल, बाबा एन. कल्याणी, उदय कोटक आदि आएंगे। इनकी सहमति मिल गई है।
एक्शन में सरकार इंफोसिस से वापस ली 50 एकड़ जमीन
ग्लोबल इन्वेस्टर समिट (जीआईएस) से पहले प्रदेश सरकार एक्शन मोड में है। अब सरकार उन उद्योगपत्तियों से जमीनें वापस ले रही है, जिन्होंने आवंटित भूमि का अब तक उपयोग नहीं किया है। जिन कंपनियों से भूमि वापस लेना है, उनकी बाकायदा सूची बनाई गई है। इस एक्शन में सबसे पहले इंदौर के सुपर कॉरिडोर स्थित टिगरिया बादशाह और बांगड़दा सीमा में इंफोसिस लिमिटेड को आवंटित जमीन में से सरकार ने 50 एकड़ वापस ले ली है। बताते हैं कि यह भूमि खाली पड़ी थी, इसका उपयोग नहीं किया गया था। राजधानी भोपाल से मिले निर्देशों के बाद इंदौर के एसडीएम और तहसीलदार ने जमीन की नपती कर प्रत्येक खसरे की विस्तृत जानकारी तैयार की है। भोपाल में 24 और 25 फरवरी को होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर समिट (जीआईएस) 2025 से पहले खाली जमीनों की सूची तैयार की जा रही है, ताकि अन्य उद्योगों को उन्हें आवंटित किया जा सके।
प्रशासन द्वारा 36 खसरों की नपती पूरी कर शासन को रिपोर्ट भेज दी गई है। सरकार प्रदेश में खाली पड़ी औद्योगिक भूमि की जानकारी सभी जिलों से एकत्र कर रही है। इसी कड़ी में इंफोसिस इंदौर ने 20.234 हेक्टेयर (लगभग 50 एकड़) जमीन सरकार को लौटा दी है। मध्य प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के उप सचिव के निर्देश के बाद जिला प्रशासन को इस जमीन की नपती कर रिपोर्ट भेजने को कहा गया था। मल्हारगंज एसडीएम निधि वर्मा ने नपती पूरी कर शासन को रिपोर्ट भेज दी है। यह जमीन लीज डीड की शर्तों के तहत वापस ली गई है, क्योंकि इंफोसिस ने इस जमीन का पूरा उपयोग नहीं किया और लीज की शर्तों का उल्लंघन किया। अब यह भूमि अन्य उद्योगों को पट्टे पर दी जा सकेगी। कैबिनेट ने निवेश नीति 2016 की जगह नई आईटी, आईटीईएस एवं ईएसडीएम निवेश प्रोत्साहन नीति 2023 को मंजूरी दी है। इस नई नीति के तहत निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कई प्रावधान जोड़े गए हैं। सरकार का उद्देश्य आईटी और ईएसडीएम सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना और प्रदेश को नया आईटी हब बनाना है।
36 खसरे की नपती की गई
तहसीलदार शैवाल सिंह के अनुसार, इंफोसिस द्वारा छोड़ी गई जमीन में कुल 36 खसरे थे, जिनकी नपती कर शासन को सूची भेजी जा रही है। इससे पहले भी, तत्कालीन जिला कलेक्टर मनीष सिंह ने इंफोसिस और टीसीएस को नोटिस जारी किया था, क्योंकि दोनों कंपनियां स्थानीय उम्मीदवारों को नौकरी देने और पूरी जमीन का उपयोग करने की लीज शर्तों को पूरा नहीं कर सकी थीं। सरकार ने अब इस जमीन का बेहतर उपयोग करने के लिए नई योजनाएं बनाई हैं, जिससे अन्य उद्योगों को भी इसका लाभ मिलेगा।