प्रदेश में अधिक उपज की वजह से शरबती पर भारी पड़ रहा तेजस

शरबती गेहूं

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के सीहोर जिले के जिस शरबती गेहूं का पूरा देश दीवाना है, उस पर अब गेंहू की नई किस्म तेजस भारी पड़ने लगी है। इसकी वजह है तेजस किस्म की शरबती की तुलना में अधिक उत्पादन होना। यही वजह है कि अब सीहोर में शरबती की फसल को लेकर किसानों में रुचि कम होने लगी है। इसकी वजह से बीते पांच सालों में सीहोर जिले में शरबती गेहूं की उपज में 25 फीसद तक की कमी आ चुकी है। इसके उलट कठिया गेहूं, पूसा, तेजस का रकबा इसी मात्रा में बढ़ता ही जा रहा है। हालत यह है कि इस जिले में पांच साल पूर्व की तुलना में तेजस का रकबा 14 गुना बढ़ चुका है। किसानों में तेजस किस्म को लेकर रुचि बढ़ने की वजह है उसकी अधिक उपज की वजह से है। खास बात यह है कि शरबती गेहूं की तुलना में तेजस के दाम कम हैं , फिर भी किसानों को तेजस में ही फायदा नजर आ रहा है। गौरतलब है कि सीहोर के शरबती गेहूं की मांग मप्र के अलावा महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, छत्तीसगढ़ में भी रहती है। इसे इसकी चमक और दाने की बनावट से पहचाना जाता है। इस किस्म के गेहूं की खासियत यह है कि इसकी रोटी सफेद और काफी देर तक नर्म रहती है। गेहूं के व्यापारियों के मुताबिक कोरोना कर्फ्यू से पहले तक इसके दाम 2600 से 3500 रुपए प्रति क्विंटल के भाव चल रहे थे। जबकि तेजस का समर्थन मूल्य 1975 रुपए प्रति क्विंटल है। खास बात यह है कि प्रदेश में फिलहाल गेहूं की कुल खेती में शरबती का हिस्सा 10.5 प्रतिशत है। इसका रकबा 3.35 लाख हेक्टेयर बताया जाता है। अगर सीहोर जिले की बात की जाए तो शरबती, तेजस, जीडब्ल्यू 322 के अलावा एचआई 1544 का रकबा जिले में सबसे ज्यादा है। वर्ष 20-21 में इसका रकबा 1.5 लाख हेक्टेयर था। इसकी खासियत यह है कि यह शरबती की तरह ही दिखता है। उधर, सीहोर के शरबती की पहचान बरकरार बनी रहे, इसके लिए कृषि विभाग द्वारा कृषक उत्पादन संगठन बनाए जा रहे हैं। फिलहाल दो संगठन श्यामपुर और इछावर के लिए गठित किए जा चुके हैं। इसके प्रत्येक संगठन में कम से कम 300 किसान रखे जा रहे हैं।
यह है दोनों किस्मों की खासियत
शरबती
प्रोटीन के अलावा मिनरल और सूक्ष्म पोषण तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं। पैदावार में उर्वरक और एक से दो पानी की जरूरत। दाना छोटा, गोल, चमक होती है। सी 306 कानपुर की वैरायटी सबसे पुरानी है। अमृता, हर्षिता, सुजाता वैरायटी क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र इंदौर ने विकसित की।
तेजस
दलिया, सूजी बनाने में अधिक उपयोग होता है।  इसमें उर्वरक, पानी की अधिक जरूरत होती है। इसका दाना लंबा, बड़ा होता है। पूसा तेजस वैरायटी क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र इंदौर द्वारा तीन साल पहले विकसित की गई थी। अन्य कठिया किस्म के गेहूं में पूजा, अनमोल, पूसा मंगल, पोषण, मालव शक्ति भी शामिल हैं।

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