- नाराज शिक्षकों को साधने की कवायद…
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। चुनावी साल में सरकार प्रत्येक कर्मचारी को साधने की कोशिश में जुटी हुई है। इस कवायद में प्रदेश के शिक्षकों को साधने के लिए गृह और जेल विभाग की तरह शिक्षकों को उच्च पद का प्रभार दिया जाएगा, इसमें वेतनमान के अनुसार उच्च पद मिलेगा। हालांकि इसमें कुछ नियम और शर्तें भी रहेंगी। गौरतलब है कि प्रदेश में करीब सात साल से पदोन्नति पर रोक लगी। वहीं प्रदेशभर के शिक्षक अपनी विभिन्न मांगों को लेकर लगातार आंदोलन करते आए हैं। अब पदोन्नति, समयमान वेतनमान और पुरानी पेंशन बहाली को लेकर आंदोलित शिक्षकों को उच्च पदों का प्रभार देकर मनाया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्राचार्यों को सहायक संचालकों का प्रभार देकर इसकी शुरुआत कर दी गई है। अगले आठ से 10 दिनों में माध्यमिक स्कूल के शिक्षकों को उच्चतर माध्यमिक शिक्षक और उच्च्तर माध्यमिक शिक्षक को प्राचार्य हाईस्कूल का प्रभार देने के आदेश जारी किए जाएंगे। विभाग के इस प्रस्ताव को अनुमति दे दी गई है। इस निर्णय से 80 हजार से अधिक शिक्षक प्रभावित होंगे। उधर, विभाग ने प्राथमिक स्तर पर 29 हजार शिक्षकों की भर्ती की तैयारी भी कर ली है। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि शिक्षकों को पदोन्नति न मिलने के कारण दिक्कतें आ रही थीं, हम उन्हें संवर्गवार उच्च पदों का प्रभार दे रहे हैं। इसके आदेश एक सप्ताह में जारी हो जाएंगे।
नए स्वरूप में लागू होगी दीनदयाल वनांचल सेवा योजना…
उधर कमल नाथ सरकार में बंद की गई दीनदयाल वनांचल सेवा योजना अब नए स्वरूप में लागू की जाएगी। वन विभाग इसका नया प्रारूप बना रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने योजना का नया प्रारूप प्रस्तुत करने को कहा है। इसके बाद वन विभाग फिर नए सिरे से प्रस्ताव बना रहा है। इसके लिए पहले से अधिक बजट का प्रविधान भी किया जाएगा। बता दें कि पूर्व में तत्कालीन प्रमुख सचिव वन अशोक वर्णवाल ने इस योजना को शुरू करने के निर्देश दिए थे। वन मुख्यालय की विकास शाखा द्वारा इसका प्रस्ताव बनाया गया था, लेकिन वर्णवाल का तबादला हो गया, तब से प्रस्ताव फाइलों में ही बंद था। भाजपा सरकार ने 2016 में वनवासियों के जीवन स्तर में बदलाव के लिए पांच करोड़ रुपये के बजट वाली दीनदयाल वनांचल योजना आरंभ की थी।
साढ़े तीन लाख से अधिक कर्मचारी नाराज
गौरतलब है कि प्रदेश में स्कूल शिक्षा सबसे बड़ा विभाग है। इसमें साढ़े तीन लाख से अधिक कर्मचारी हैं, जो पदोन्नति, समयमान वेतनमान नहीं मिलने से नाराज हैं, वहीं पुरानी पेंशन बहाली की भी मांग कर रहे हैं। चुनावी साल में यह नाराजगी भारी न पड़े, इसलिए सरकार ने शिक्षकों को साधने की रणनीति बनाई है। वैसे तो पदोन्नति की एवज में उच्च पदों का प्रभार देने का निर्णय करीब एक साल पहले लिया गया है, पर अब तक पुलिस, जेल विभाग में ही इस पर अमल हुआ था।