- संकुल स्तर पर पहली बार बनेंगे 22 हजार 500 फ्लेट
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले शिक्षकों को अब सरकार शासकीय आवास की सुविधा देने जा रही है। इस सुविधा की वजह है सरकार द्वारा शिक्षकों को आवास सुविधा देने के साथ ही ग्रामीण स्कूलों में शिक्षकों के जाने की लालसा पैदा करना है। दरअसल अभी शिक्षक ग्रामीण इलाकों में जाना नहीं चाहते हैं, जिसकी वजह से वहों पर शिक्षकों की कमी बना रहती है।
फिलहाल हर विकासखंड में विकासखंड में सौ-सौ मकान बनाने की योजना तैयार की गई है। इस पर करीब साढ़े चार हजार करोड़ का खर्च आने की संभावना है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा तैयार किए गए इस प्रस्ताव पर चुनावी आचार संहिता के बाद काम शुरू हो जाएगा। दरअसल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सुविधाओं की भारी कमी है। आज भी कई स्कूलों में फर्नीचर नहीं है। प्र्याप्त मात्रा में शिक्षक तक नही हैं। इसकी वजह से न केवल पढ़ाई प्रभावित होती है, बल्कि सरकारी स्कूलों के बच्चों में प्रायवेट स्कूलों के बच्चों से प्रतियोगिता करने में हीन भावना रहती है। सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में है। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं के साथ शिक्षकों को रहने के लिए आवास ही नहीं मिलते हैं। इसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक जाना पसंद नहीं करते हैं। अधिकांश शिक्षक ग्रामीण क्षेत्रों में पोस्टिंग हो जाने के बाद जुगाड़ से शहरी क्षेत्रों या उसके आसपास पोस्टिंग करा लेते है। इसे देखते हुए विभाग अब सरकारी स्कूल के शिक्षकों के लिए आवास सुविधा उपलब्ध कराने जा रहा है। यही वजह है कि अब आवास सुविधा उपलब्ध कराने की तैयारी की गई है। इसके तहत ग्रामीण स्कूलों के आसपास एक -एक सैकड़ा फ्लैट बनाए जाएंगे। फ्लैट निर्माण पर प्रति इकाई लागत 20 लाख रुपए होगी। इस प्रकार एक विकासखंड या संकुल स्तर पर सौ -सौ फ्लैट के आवासीय परिसर में 20 करोड़ का व्यय आएगा। स्कूल शिक्षा विभाग के संचालित शासकीय स्कूलों के 225 विकासखंड या संकुल स्तर पर 22500 फ्लैट निर्माण के लिए 4500 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
यह है स्कूलों में शिक्षकों की स्थिति
प्रदेश के 74 हजार सरकारी स्कूलों में से पौने चार हजार में एक भी शिक्षक नही है। ऐसे स्कूलों की कुल संख्या 3726 है। इसी तरह से 895 स्कूलों में एक भी बच्चे का नामांकन ही नहीं हुआ है। इसके बाद भी यह स्कूल संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश में 460 सरकारी स्कूल ऐसे है, जिनमें एक भी बच्चा व एक भी टीचर ही नही है। लेकिन बिना बच्चों व टीचरों के खाली पड़े स्कूल कागजों में संचालित हो रहे हैं। इस मामलें में सर्वाधिक खराब स्थिति बड़़वानी जिले की है। यहां जीरो टीचर वाले सरकारी स्कूलों की संख्या 341 है। इसके बाद धार जिले का नंबर आता है। इन जिलों में यह स्थिति शिक्षकों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलने के कारण बनती है। अधिकांश शिक्षक पोस्टिंग होने के बाद भी जुगाड़ से अपना ट्रांसफर शहरी क्षेत्रों या उसके आसपास करा लेते है। यह कारण है कि ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षकों की संख्या कम है और शहरी ज्यादा में पदों से ज्यादा शिक्षक है। इतना ही नहीं भोपाल में अधिकारियों की संख्या ज्यादा हो गई है, जबकि जिलों में प्रभार का खेल खेला जा रहा है।