- प्रदेश के पांचवें जलाशय को मिला इसमें शामिल होने का गौरव
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। देश में तीन स्थल को रामसर स्थलों की सूची में शामिल किया गया है। इसमें तमिलनाडु का नंजरायन पक्षी अभयारण्य, काजुवेली पक्षी अभयारण्य और मप्र का तवा जलाशय शामिल है। इसके साथ ही प्रदेश में अब तक पांच जलाशयों को आद्रभूमि का दर्जा मिल चुका है। इसमें प्रदेश के भोज वेटलैंड- बड़ा तालाब, भोपाल (2002), यशवंत सागर- इंदौर (2022), सांख्य सागर- शिवपुरी(2022) और सिरपुर वेटलैंड- इंदौर(2022) भी शामिल हैं। वहीं तीन और स्थलों के रामसर स्थलों की सूची में शामिल होने से भारत में रामसर साईट की कुल संख्या 85 तक पहुंच गई है। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने खुशी जाहिर करते हुए राज्यों को बधाई दी है। भूपेन्द्र यादव ने एक्स पर साझा किए पोस्ट पर लिखा है कि, जैसा कि राष्ट्र अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, वहीं, अपने भारत के रामसर स्थलों की सूची में तीन नई रामसर साइटें जोड़ी गई हैं। उल्लेखनीय है कि भारत ने 1971 में ईरान के रामसर में कन्वेंशन में सहभागी बनने के लिए हस्ताक्षर किए थे और 1 फरवरी 1982 को इस कन्वेंशन में शामिल हुआ। वर्ष 1982 से 2013 तक, कुल 26 साइट्स को रामसर साइट्स की सूची में जोड़ा गया, जबकि 2014 से 2024 तक, देश ने 59 नई वेटलैंडस को रामसर साइट्स की सूची में जोड़ा है।
देश में अब 85 रामसर स्थल
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव ने बताया कि इन तीन के बाद अब देश में 85 रामसर स्थल हो गए हैं। इसके अलावा तमिलनाडु के नंजरायन पक्षी अभयारण्य और काजुवेली पक्षी अभयारण्य को भी रामसर साइट का दर्जा मिला है। ये देश का 13,58,068 हेक्टेयर क्षेत्र कवर करते हैं। केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक्स पर बधाई देते हुए कहा कि मप्र के तवा जलाशय को रामसर साइट के रूप में जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि भारत को यह संकल्प लेना चाहिए कि विकसित भारत एक हरित भारत है। इसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक्स हैंडल पर पोस्ट कर बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश के लिए एक और उपलब्धि तवा जलाशय बना रामसर साइट! यह भारत के साथ-साथ मध्य प्रदेश के लिए भी गर्व का विषय है कि तवा जलाशय को रामसर साइट घोषित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण के अंतर्गत आद्र्रभूमि (वेटलैंड) के संरक्षण के हर संकल्प के लिए प्रदेशवासी भी जागरूक और दृढ़ संकल्पित हैं। प्रदेश के पर्यावरण मंत्री रामनिवास रावत ने भी अधिकारियों की टीम को बधाई दी है।
तवा जलाशय की विशेषता
वेटलैंड्स विशिष्ट पारिस्थितिक तंत्र हैं, जो स्थायी रूप से या मौसमी रूप से छोटी अवधि के लिए पानी से भर जाते हैं, या संतृप्त होते हैं। हमारी अधिकांश ताजे पानी की जरूरतें प्रदान करते हैं। यह धरती के लिए किडनी की तरह कार्य करते हैं, जो पानी को नियंत्रित करते हैं और परिदृश्य से अपशिष्ट को फिल्टर करते हैं। वेटलैंड जैव विविधता के जलाशय हैं, जो मानवता और प्रकृति के पनपने के लिए महत्वपूर्ण है। तवा और देनवा नदियों के संगम पर है तवा जलाशय। तवा रिजर्वायर की प्रमुख सहायक नदियां मलानी, सोनभद्र, और नागद्वारी हैं। तवा नदी महादेव पहाडिय़ों से उत्पन्न होती है, बैतूल जिले से बहती है और नर्मदापुरम जिले में नर्मदा नदी से मिलती है। यह नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी है (172 किमी)। तवा रिजर्वायर इटारसी शहर के पास स्थित है। तवा का रिजर्वायर मुख्यत: सिंचाई के उद्देश्य से निर्मित किया गया था, लेकिन बाद में इसका उपयोग विद्युत उत्पादन और मत्स्य पालन के लिए भी किया जा रहा है। तवा रिजर्वायर का कुल जलमग्न क्षेत्र 20,050 हेक्टेयर है। रिजर्वायर का कुल जलग्रहण क्षेत्र 598,290 हेक्टेयर है। तवा जलाशय वन विभाग, नर्मदापुरम जिले के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है। रिजर्वायर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के अंदर स्थित है और सतपुड़ा नेशनल पार्क और बोरी वन्यजीव अभयारण्य की पश्चिमी सीमा बनाता है। रिजर्वायर जल जीवों और वन्य जीवों के लिए महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से पक्षियों और जंगली जानवरों के लिए। यहां कई दुर्लभ और संकटग्रस्त पौधों, सरीसृपों और कीटों की प्रजातियां पाई जाती हैं। यह स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास है। यह मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है।