भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। सूबे का वन विभाग ऐसा विभाग है जहां , कानून भी जंगल की ही तरह काम करता है। विभाग के अफसरान ऐसे हैं कि वे न तो सरकार की छवि की ङ्क्षचता करते हैं और न ही विभाग के मंत्री को ही तवज्जो देते हैं। हालात यह हैं कि जिस सरकार द्वारा भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस के और सुशासन के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं , उसमें दागी अफसरों की बल्ले-बल्ले बनी रहती है। हद तो यह है कि विधानसभा में दिए जाने वाले मंत्री के आश्वसानों को भी विभाग पूरा करने में कोई रुचि नहीं लेता है। इसके उलट चहेते अफसरों को बचाने के लिए पूरी ताकत से विभाग के आला अफसरान लग जाते हैं। इसका उदाहरण है वन मंत्री विजय शाह द्वारा दिसंबर माह में विधानसभा सत्र के दौरान वनीकरण क्षतिपूर्ति घोटाले में उलझे दक्षिण सागर वन मंडल डीएफओ नवीन गर्ग को हटाने की घोषणा । अब जबकि बजट सत्र जारी है , लेकिन मजाल है कि गर्ग को हटाया गया हो। इस बीच आईएफएस अफसरों की नई पदस्थापना की दो-दो सूचियां जारी हो चुकी हैं , लेकिन उनमें उनका नाम ही शामिल नहीं किया गया है। बताया जाता है कि क्षतिपूर्ति में हुई गड़बड़ी में दोषी करार दिए गए दक्षिण सागर वन मंडल के डीएफओ नवीन गर्ग को हटाने संबंधित आश्वासन वन मंत्री विजय शाह ने विधानसभा में दिया था, लेकिन इसके बाद भी उनका प्रस्ताव मंत्रालय तक भेजा ही नहीं गया है। जबकि वन मंत्री विजय शाह के आश्वासन के बाद बहुउद्देशीय परियोजना के डूब क्षेत्र में आई वन भूमि के बदले में गैर वन भूमि और बिगड़े वन में पौधारोपण कराने में हुई गड़बड़ी में दक्षिण मंडल में पदस्थ रहे प्रशांत कुमार सिंह, एम एस उईके और वर्तमान डीएफओ नवीन गर्ग को दोषी माना गया है। इनमें से प्रशांत कुमार सिंह को दक्षिण सागर से हटाकर खरगोन और एम एस उईके को दमोह पदस्थ कर दिया गया है। जबकि नवीन गर्ग अभी भी दक्षिण सागर वन मंडल में पदस्थ है। दिलचस्प पहलू यह है कि महकमे के आला अफसरों ने एम एस उईके तत्कालीन प्रभारी डीएफओ दक्षिण सागर वन मंडल को इस मामले में क्लीन चिट दे दी, जबकि नवीन गर्ग को उसी मसले में आरोपों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
सजा की जगह दे दिया इनाम
तत्कालीन छिंदवाड़ा के डीएफओ बृजेंद्र श्रीवास्तव के खिलाफ 21 जुलाई 2022 को नियम दस के तहत आरोप पत्र जारी किया गया था। इन पर आरोप है कि स्थानांतरण नीति के विरुद्ध जाकर कर्मचारियों के तबादले किए। उनके द्वारा आरोप पत्र का जवाब तक नहीं दिया गया। इस पर कार्रवाई करने की जगह उन्हें हाल ही में ग्वालियर से पूर्व छिंदवाड़ा वन मंडल जैसे महत्वपूर्ण जगह पदस्थ कर दिया गया। इसी तरह से मुख्यालय में पदस्थ भारत सिंह बघेल को आरोप पत्र 22 मई 2006 को जारी किया गया था। बघेल ने अपने प्रभाव अवधि के दौरान पूर्व लांजी क्षेत्र में प्रभार अवधि में राहत कार्य अंतर्गत कार्यों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की थी। इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन संघ लोक सेवा आयोग के अभिमत का इंतजार कर रहा है। उधर, खंडवा में डीएफओ के पद पर पदस्थ प्रशांत कुमार को आरोप पत्र 4 सितंबर 2020 को जारी हुआ था। प्रशांत कुमार को पश्चिम बैतूल वन मंडल में अनियमितता के मामले में हुई जांच में दोषी पाया जा चुका है, जिसमें महज विभाग ने एक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोके जाने का दंड आरोपित कर अंतिम निर्णय के लिए संघ लोक सेवा आयोग भेजा है।
यह हैं कई उदाहरण
विभाग में यह पहला मामला नहीं है बल्कि कई मामले हैं जिनमें अफसरों को बचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। इनमें खंडवा सर्किल में पदस्थ सीसीएफ आर पी राय के खिलाफ 10 जून 2019 को आरोप पत्र जारी हो चुका है। उन पर आरोप था कि वन मंडल इंदौर के अंतर्गत वन परिक्षेत्र चोरल में बड़े पैमाने पर अवैध कटाई हुई थी। जांच के दौरान राय अपने दायित्वों का निर्वहन करने में असफल रहे। इसके कारण 6 लाख 93 हजार 361 रुपए की राजस्व हानि हुई थी। अभी इनसे वसूली नहीं हुई है। इस मामले को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। इसी तरह से बालाघाट सर्किल में पदस्थ सीसीएफ एपीएस सेंगर के खिलाफ 24 अगस्त 2022 को आरोप पत्र जारी किया गया। इनका मामला तब का है जब वे टीकमगढ़ में बतौर डीएफओ पदस्थ थे। उन पर भंडार क्रय नियमों का पालन नहीं करने का आरोप है। इसके बाद भी अभी तक इनके खिलाफ कार्रवाई की अद्यतन स्थिति से शासन को अवगत नहीं कराया गया है।
10/03/2023
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