सुषमा पर अब भी… बरस रही है कृपा

  • बेलवाल का इकबाल भी रह चुका है बुलंद
  • विनोद उपाध्याय
सुषमा

पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह की कृपा से पूर्व आईएफएस अफसर ललित मोहन बेलवाल का इकबाल इतना बुलंद था कि देश के शीर्ष  जगहों पर की गई शिकायतों पर भी कार्रवाई नहीं हो सकी। हद तो यह रही कि जांच में दोषी पाए जाने के बाद बेलवाल पर कार्रवाई की जाने की जगह जांच करने वाली महिला आईएएस अफसर को बतौर सजा न केवल कलेक्टरी से वंचित रखा गया, बल्कि उन्हें लूप लाइन में तक भेज दिया गया। अब मामला बेलवाल की करीबी सुषमा रानी शुक्ला के मामले में भी ऐसा ही बना हुआ है। वे भी शासन से लेकर सरकार तक पर भारी पड़ रही है। उन पर तब कार्रवाही नहीं हो पा रही है, जबकि वे संविदा पर पदस्थ हैं। अहम सवाल यह है कि जब भी उन पर कार्रवाई की फाइल आगे बढ़ती थी उसे रोकने के लिए एक बार फिर से नए सिरे से जांच बिठा दी जाती थी। इससे ही समझा जा सकता है कि बेलवाल के अलावा उनकी करीबी सुषमा का कैसा दबदवा है। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट दोषी पाए जाने और ईओडब्ल्यू में मामला दर्ज होने के बाद भी अब तक सुषमा रानी शुक्ला को बाहर का रास्ता नहीं दिखाया गया है। आजीविका मिशन अंतर्गत सौ से अधिक संविदा अधिकारियों, कर्मचारियों की संविदा नियुक्ति 5 जून 2018 की कंडिका के परिपालन में दोषियों की सेवाएं समाप्त की गई हैं। इसी अनुसार संविदा सेवा शर्तों में भी भ्रष्टाचार और अनियमितता के दोषियों की सेवा समाप्त करने का नियम है। परन्तु चिंताजनक है कि तीन आईएएस ने अपनी जांच में सुषमा रानी शुक्ला को दोषी माना है एवं एफआईआर भी दर्ज हुई है परन्तु यह समझ से परे है कि विभाग द्वारा आज तक शुक्ला की संविदा सेवा समाप्त क्यों नहीं की गई है। दरअसल, इकबाल सिंह बैस के कृपा पात्र ललित मोहन बेलवाल के सरपरस्ती में सुषमा रानी शुक्ला और विकास अवस्थी ने भारी गड़बड़ी की। सुषमा रानी और विकास अवस्थी के हौंसले इतने बुलंद थे कि उन्होंने लेटर हेड चोरी के साथ एचआर मार्गदर्शिका अपने अनुसार ही तैयार कर ली थी। यह पूरा खुलासा एआईएस अफसर नेहा मारव्या की जांच रिपोर्ट में ही हुआ है। इस मामले में बेलवाल के खिलाफ आठ शिकायतें हुई थी। जिसमें प्रधानमंत्री कार्यालय, संचालक ग्रामीण आजीविका प्रभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार, विधानसभा सचिवालय तक शामिल  है। इसमें राज्य स्तर पर विभागीय मंत्री, अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव को की गई शिकायतों की जांच मिशन कार्यालय द्वारा की गई और जांच प्रतिवेदनों में शिकायतों को निराधार तक बता दिया गया था। जांचकर्ता आईएएस अफसर नेहा मारव्या ने अपनी जांच रिपोर्ट में निष्कर्ष एवं अभिमत दिया था कि विकास अवस्थी अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने अपने स्तर से ही मानव संसाधन मार्गदर्शिका बना ली, उस पर स्वयं के हस्ताक्षर कर दिए और बेलवाल को पूर्ण शक्तियां प्रदान कर दीं। इस कूटरचित मानव राहत संसाधन मार्गदर्शिका के अनुसार बेलवाल ने कई नियुक्तियां की। खास बात यह है कि इस निष्कर्ष में नेहा मारव्या ने यह भी लिखा कि विभागीय मंत्री की आपत्तियों को दरकिनार कर एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव के निर्देशों को भी खारिज किया गया।
और भी शिकायतें हैं लंबित  
इस मामले में शिकायतकर्ता ने ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त में भी शिकायतें की है। जिसमें से अभी एक शिकायत पर ईओडब्ल्यू ने एफआईआर की है। इस मामले में अभी एक शिकायत भर्ती के दौरान चयनित सूची में नाम बदलने और आईआईएफएम को लाखों रुपए का भुगतान करने के भी आरोप लगे हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में 14 अगल-अलग पदों पर भर्तीयां हुई थी।
दो-दो पूर्व मंत्री भी आए मैदान में  
ग्रामीण आजीविका मिशन में आईएफएस एमएल बेलवाल के खिलाफ पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव के बाद अब पूर्व मंत्री दीपक जोशी भी खुलकर मैदान में आ गए है। उन्होंने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी को पत्र लिखकर कहा है कि तीन आईएएस अफसरों की जांच में ग्रामीण आजीविका परियोजना में सुषमा रानी शुक्ला की फर्जी नियुक्ति होना पाया गया है। ईओडब्ल्यू ने भी इस प्रकरण में मामला दर्ज किया है, इसके बाद भी क्या कारण है कि सरकार उन पर मेहरबान है और नियमानुसार उनकी सेवाएं समाप्त क्यों नहीं की जा रही है।  पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने ग्रामीण आजीविका मिशन में संविदा पर कार्यरत राज्य परियोजना प्रबंधक सुषमा रानी शुक्ला की संविदा सेवा तत्काल समाप्त करने के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है। जोशी ने कहा है कि ईओडब्ल्यू ने एक अप्रैल को सुषमा रानी शुक्ला और अन्य पर विभिन्न आपराधिक धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। उन्होंने कहा है कि सुषमा रानी शुक्ला की फर्जी भर्ती के मामले में आईएएस नेहा मारव्या ने जून 2022 में जांच की थी जिसमें सुषमा रानी शुक्ला दोषी पाई गई थी इसके बाद अपर मुख्य सचिवमलय श्रीवास्तव ने विकास आयुक्त कार्यालय से इस मामले में जांच कराई थी जिसमें भी सुषमा रानी शुक्ला दोषी पाई गई थी। इसके बाद पिछले माह ईओडब्ल्यू द्वारा भी प्रकरण दर्ज कर जांच की गई जिसमें शुक्ला दोषी पाई गई तथा विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। परन्तु चिंताजनक है कि तीन आईएएस ने अपनी जांच में सुषमा रानी शुक्ला को दोषी माना है एवं एफआईआर भी दर्ज हुई है परन्तु यह समझ से परे है कि विभाग द्वारा आज तक शुक्ला की संविदा सेवा समाप्त क्यों नहीं की गई है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विभाग भ्रष्टाचार और अनियमिताओं को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने शुक्ला की संविदा सेवा तत्काल समाप्त करने की मांग की है।
चोरी के लैटरहेड पर बनाया अनुभव प्रमाण पत्र  
इस मामले में शिकायतकर्ता ने यह भी कहा था कि एनआई आरडीएण्डपीआर हैदराबाद के लेटर हेड सुषमा रानी शुक्ला ने चोरी किया था। इस लेटर हेड पर स्वयं अनुभव पत्र तैयार कर केपी राव के जाली हस्ताक्षर कर आवेदन में संचालनालय नगरीय प्रशासन कार्यालय एवं राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन तक भर्तियों में उपयोग  का आवंछित लाभ लेकर राज्य स्तर पर पद प्राप्त किया। इस बिंदु की जांच में पाया गया कि मध्य प्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम के साथ ही आईपीसी की धाराओं के साथ ही मध्य प्रदेश मूलभूत नियम और मध्य प्रदेश वित्तीय संहिता का उल्लंघन किया गया है।

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