विधायकों की सर्वे रिपोर्ट ने बढ़ाई सत्ता और संगठन की चिंता

विधानसभा चुनाव

ग्वालियर-चंबल में कमजोर हुई भाजपा

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा ने 200 सीटें जीतने का टारगेट रखा है। लेकिन हाल ही में आई भाजपा विधायकों की सर्वे रिपोर्ट ने सत्ता और संगठन को चिंता में डाल दिया है। सबसे अधिक चिंता ग्वालियर-चंबल संभाग को लेकर है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में भाजपा लगातार कमजोर होती जा रही है। इसको लेकर मुख्यमंत्री आवास में हुई पार्टी के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में चिंता जताई गई। साथ ही इसके समाधान के लिए रणनीति बनाने पर विचार-विमर्श भी किया गया।
गुजरात चुनाव के बाद एका-एक बीते रोज  हाईकमान के प्रतिनिधियों के साथ मप्र सत्ता-संगठन के दिग्गज नेताओं की मैराथन बैठक सुर्खियों में है। सीएम हाउस में हुई बैठक से राजधानी का सियासी पारा बढ़ गया। इसमें मंत्रियों और विधायकों के रिपोर्ट कार्ड पर मंथन चलता रहा। 17 दिसंबर को हो रही प्रदेश कार्यसमिति के पहले बड़े निर्णय लिए जाने के भी संकेत हैं। बबताया जाता है कि मंत्रिमंडल फेरबदल और विधायकों का रिपोर्ट कार्ड के अलावा 230 विधानसभा की सर्वे रिपोर्ट पर भी चर्चा की गई है।  बैठक इसलिए भी अहम है क्योंकि आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले भी राजधानी के तीन दिवसीय प्रवास पर हैं।
 मुख्यमंत्री निवास पर सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितांनद ने करीब पांच घंटे से अधिक समय तक मंत्रणा की। बैठक में विधायकों की सर्वे रिपोर्ट पर चर्चा हुई तो जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी नामों पर विचार किया गया।
ग्वालियर-चंबल में बड़े स्तर पर अंर्तद्वंद
पार्टी सूत्रों के अनुसार ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस में रहने के दौरान ग्वालियर-चंबल अंचल में उनका विरोध कर जनाधार बनाने वाले भाजपा नेताओं में निराशा दिखाई देने लगी है। अब सिंधिया भाजपा में हैं तो पुराने नेताओं की पार्टी में पूछपरख कम हो गई है। स्थिति यह है कि टिकट वितरण के निर्णायक मोड़ पर ऐसे नेताओं के पाला बदलने की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। हाल ही में गुना-शिवपुरी क्षेत्र से भाजपा सांसद केपी यादव के भाई अजय पाल सिंह के कांग्रेस में जाने के बाद दिए बयान ने सिंधिया के पार्टी में आने के बाद अंतर्द्वंद्व से गुजर रहे नेताओं की स्थिति को चर्चा में ला दिया है। पिछले लोकसभा चुनाव में सिंधिया परिवार की परंपरागत सीट गुना-शिवपुरी से भाजपा के केपी यादव ने कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराकर राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया था। यह जीत इसलिए भी अहम थी क्योंकि, केपी यादव कांग्रेस में रहते हुए सिंधिया के करीब थे। विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर नाराज होकर उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी। सिंधिया को हराने के बाद भाजपा में केपी यादव का कद बढ़ गया। अब जब सिंधिया भाजपा में आकर केंद्रीय मंत्री हैं और अपने समर्थकों को राज्य में मंत्री बनवाकर पार्टी में अपनी स्थिति मजबूत करते जा रहे हैं। ऐसे में ग्वालियर-चंबल अंचल में ऐसे कई नेताओं के लिए स्थिति असहज होती जा रही है जो सिंधिया या उनके समर्थकों के खिलाफ राजनीति करते रहे हैं।
बैठक ने बढ़ाई विधायकों की चिंता
सूत्रों की माने तो विधायकों को लेकर कराए गए सर्वे की दो रिपोर्ट भी आ चुकी है। पहली सर्वे रिपोर्ट करीब एक पखवाड़े पहले आई थी। इसके बाद भाजपा विधायक दल की बैठक सीएम हाऊस में बुलाई गई थी। इस बैठक में सीएम ने खराब रिपोर्ट वाले विधायकों को अपना काम सुधारने के लिए कहा था। इसके बाद अब दो सर्वे रिपोर्ट और आ गई है। माना जा रहा है कि इन रिपोर्ट के आने के बाद अगली रणनीति क्या होगी इस पर भाजपा के दिग्गजों ने विचार किया। इधर सीएम हाऊस में बैठक चल रही थी उधर मंत्री, विधायक समेत पार्टी के बड़े नेता इस बैठक को लेकर कयास लगा रहे थे। बैठक इतनी गोपनीय थी कि इसके शुरू होने के बाद ही नेताओं को इसकी खबर लगी। वे एक दूसरे को फोन कर बैठक के संभावित एजेन्डे को लेकर बात करते रहे।
अंचल की रिपोर्ट से बढ़ी चिंता
ग्वालियर-चंबल संभाग की बैठक में जो रिपोर्ट आई है उसने सत्ता संगठन के नेताओं की चिंता बढ़ा दी है। सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट संतोषजनक नहीं है। 2018 के चुनाव में भी इस अंचल की 34 में से 27 सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। गौरतलब है की नगरीय निकाय चुनाव में भले ही भाजपा के लिए कई निकायों में बेहतर रिजल्ट आए हों, लेकिन ग्वालियर अंचल में भाजपा कमजोर हुई है। करीब 57 साल बाद ग्वालियर नगर निगम भाजपा गंवा चुकी है और केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के गृह क्षेत्र मुरैना में भी 24 साल बाद कांग्रेस नगर निगम में जीत दर्ज की है। पार्टी सूत्रों के अनुसार ग्वालियर-चंबल इलाके में भाजपा के कमजोर होने के पीछे एक अहम वजह सिंधिया के भाजपा में आने के बाद मचे अंदरूनी घमासान और आपसी समन्वय न बन पाने को माना जा रहा है।
प्रदेश कार्यसमिति और मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा
सीएम हाउस में हुई बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की एक दिवसीय बैठक कटनी में आयोजित की गई है। बैठक में कार्यसमिति बैठक के मुद्दों पर चर्चा की गई। इस बार की प्रदेश कार्यसमिति बैठक में पार्टी की चुनावी रणनीति पर चर्चा की जाएगी। बैठक के लिए तैयार हो रहे राजनीतिक प्रस्ताव में पार्टी की कार्ययोजना की झलक दिखाई देगी। बताया जाता है कि इसके अलावा मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी सीएम की संगठन नेताओं से चर्चा हुई। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जल्द अपने मंत्रियों की संख्या बढ़ा सकते हैं। मंत्रियों का भी रिपोर्ट कार्ड तैयार कराया गया है। इसके आधार पर कुछ मंत्रियों को बाहर किए जाने पर भी विचार चल रहा है। चार से पांच मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाने संगठन भी सहमत है। इसके अलावा अनुसूचित जाति और जनजाति के विधायकों को मंत्रिमंडल में और स्थान देने पर भी विचार हो रहा है।
इस महीने से टूटने लगेगा भाजपा मुख्यालय
प्रदेश भाजपा का मुख्यालय भवन दीनदयाल परिसर की तोड़फोड़ इस महा के अंत से शुरू कर दी जाएगी। पुराने कार्यालय भवन को तोड़कर बहुमंजिला भवन निर्माण की योजना बनाई गई है। भवन में मौजूद दुकानों का मामला भी सुलझा लिया जाएगा। भोपाल सहित संगठन के सभी 57 जिलों के कार्यालय भवनों में एकरूपता बनाए रखने को कहा गया है। यह निर्णय प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश की मौजूदगी में आयोजित कार्यालय भवन निर्माण समिति की बैठक में लिए गए। बैठक में सबसे अहम मुद्दा मुख्यालय भवन को तोड़ने के संबंध में था। भवन निर्माण समिति ने भोपाल सहित संगठन के सभी 57 जिलों में कार्यालय भवनों की समीक्षा की। समिति के प्रदेश संयोजक हेमंत खंडेलवाल ने बताया कि ऐसे जिले जहां कार्यालय भवन नहीं हैं, वहां जल्दी निर्माण किए जाने को कहा गया है।  जिन जिलों में भवन बन चुके है वहां उद्घाटन एवं अन्य बिंदुओं पर भी विचार विमर्श किया गया।

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