चुनावी साल में संगठनात्मक… कसावट के लिए हो रही सर्जरी

  • हरीश फतेहचंदानी
चुनावी साल

मप्र में बड़ी जीत के साथ सत्ता कायम रखने के लिए पार्टी ने संगठन में कसावट शुरू कर दी है। इसके लिए हर एक पदाधिकारी की परफॉर्मेंस का आकंलन हो रहा है। जिसकी परफॉर्मेंस संतोषजनक नहीं है, उसे बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। दरअसल, संघ और संगठन की बार-बार हिदायत के बाद भी जिन नेताओं ने अपनी परफॉर्मेंस को नहीं सुधारा है उनसे वह पद लेकर दूसरे का जिम्मेदारी दी जा रही है। साथ ही निर्देश दिया जा रहा है कि यह नई जिम्मेदारी इसलिए दी गई है कि अब परफॉर्मेंस की बारी है। जानकारी के अनुसार चुनावी साल में संगठनात्मक कसावट के लिए अब तक की गई सर्जरी में डेढ़ दर्जन जिलाध्यक्ष बदले जा चुके हैं।
जानकारी के अनुसार पांचवीं बार सत्ता में आने के लिए भाजपा ने गत वर्ष  जिलाध्यक्षों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट बनवाई थी। जिसके आधार पर बीते चंद महीनों से भाजपा धीरे-धीरे करके चुनाव के हिसाब से सर्जरी कर रही है। अब तक 18 जिलाध्यक्ष बदले जा चुके हैं। छह से ज्यादा जिलाध्यक्ष रडार पर हैं। छह संभागीय प्रभारी भी खराब परफॉर्मेंस के कारण बदले गए हैं। इनके बाद प्रदेश पदाधिकारियों की जिम्मेदारी भी जल्द बदली जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा चुनावी रणनीति के हिसाब से संगठनात्मक ढांचे पर फोकस कर रहे हैं। आने वाले समय में दूसरी, तीसरी, चौथी पंक्ति के नेताओं की जिम्मेदारियों में बदलाव हो सकता है। खासतौर पर जिन्हें चुनाव लड़ना है या चुनाव लड़वाना है, उन्हें उसके हिसाब से जिम्मेदारी दी जाएगी।
बिछाई जा रही चुनावी बिसात
भाजपा ने 51 फीसदी वोट के साथ  200 से अधिक सीटें जीतने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है उसके अनुसार चुनावी बिसात बिछाई जा रही है। दरअसल इस बार पार्टी में टिकट के दावेदारों की लंबी कतार है। संगठन में ही अब दर्जनों चेहरे टिकट के दावेदार हैं। इन्हें साधना और टिकट देना या न देना चुनौती खड़ी कर रहा है। जिन 103 हारी सीटों पर प्रभारी बनाए गए हैं, उनमें दो दर्जन से ज्यादा खुद टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं। ऐसे सभी प्रभारियों को लेकर संगठन ने नाराजगी जाहिर की थी। वहीं जिलाध्यक्ष भी टिकट के दावेदार हैं। भोपाल से सुमित पचौरी और इंदौर से गौरव रणदिवे टिकट की दावेदारी में हैं। भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी, उपाध्यक्ष आलोक शर्मा, सीमा सिंह, मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर, प्रवक्ता डॉ. हितेश वाजपेयी, मंत्री राहुल कोठारी सहित दर्जनों संगठन की अहम जिम्मेदारी संभालने वाले नेता खुद टिकट के दावेदार हैं। दिलचस्प ये कि एक ओर जहां संगठन के नेता टिकट के दावेदार हैं, तो दूसरी ओर ऐसे भी दर्जनों नेता हैं जो अभी हाशिये पर दिन गुजार रहे हैं, लेकिन अब संगठन में जिम्मेदारी चाहते हैं। इनके फेरे भी प्रदेश भाजपा नेतृत्व के यहां पर बढ़ गए हैं। इसलिए संगठन थोकबंद की बजाए धीरे-धीरे सर्जरी करके चुनावी बिसात बिछा रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जो पदाधिकारी चुनाव लडऩा चाहते हैं, उन्हें बदला जा सकता है। गौरतलब है कि  प्रदेश कांग्रेस ने सीधा फॉर्मूला रखा है। यदि चुनाव लडऩा है तो संगठन का पद छोड़ो। इसे लेकर बीते महीनों में कई नेता संगठन की जिम्मेदारी से किनारा कर चुके हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने सर्वे, फीडबैक, जिताऊ चेहरे के आधार पर टिकट देने का ऐलान किया है। कांग्रेस जिलाध्यक्षों को चुनाव नहीं लड़ाएगी। संगठन पदाधिकारी को टिकट नहीं दिया जाएगा। कांग्रेस ने बीते दिनों 12 से ज्यादा जिलों में अध्यक्षों की नई नियुक्ति की है। इसके बाद भी छह से ज्यादा जिलों में और बदलाव होने हैं। हर जिले में प्रभारी बनाकर फीडबैक लिया जा रहा है। इसी के आधार पर अध्यक्षों की परफॉर्मेंस देखी जा रही है। टिकट वितरण में प्रभारियों का फीडबैक अहम रहेगा। फिलहाल कांग्रेस चुनिंदा सीटों पर जल्द टिकट घोषित करने की रणनीति पर काम कर रही है।
निकाय चुनाव की रिपोर्ट बनी आधार
भाजपा सूत्रों का कहना है कि नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के बाद पार्टी ने अपने सभी जिलों के जिला अध्यक्षों और पदाधिकारियों की रिपोर्ट तैयार करवाई थी। कई जिलों में पार्टी की कुछ कमजोरियां भी दिखी हैं, ऐसे में भाजपा अब सख्त निर्णय लेने की तैयारी में हैं।  बता दें कि इस बार भाजपा को प्रदेश के कई जिलों में नगरीय निकाय और पंचायतों चुनाव में अच्छे परिणाम नहीं मिले हैं, जिनमें जिला अध्यक्षों की कमी भी दिखी है, क्योंकि कई जिलों में जिला अध्यक्ष पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से समन्वयय नहीं बना पाएं जिसके चलते सही परिणाम नहीं मिले। ऐसे में भाजपा अब एक्शन की तैयारी में नजर आ रही है। दरअसल, ऐसी ही कमजोरियों के कारण 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को कुछ नुकसान भी उठाने पड़े थे, ऐसे में पार्टी इस बार इन कमजोरियों को अभी से ठीक कर लेना चाहती है। क्योंकि पिछले चुनाव में भाजपा का वोट परसेंटेज ज्यादा था, लेकिन पार्टी को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में भाजपा अभी से संगठन में सभी तैयारियां कर लेना चाहती है।
दी जा रही है नई जिम्मेदारी
मिशन 2023 को देखते हुए पार्टी किसी भी पदाधिकारी और कार्यकर्ता को नाराज करना नहीं चाहती है। इसलिए जिनको बदला जा रहा है, उन्हें नई जिम्मेदारी भी दी जा रही है। गौरतलब है कि मई 2020 में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने 24 जिला अध्यक्ष बनाए थे। उनमें से 18 को वीडी ने ही परफॉर्मेंस के आधार पर बदला। इस बार बदलने वाले अध्यक्षों को साधने का फॉर्मूला अपनाया गया। जिन्हें हटाया उन्हें प्रदेश कार्यसमिति में सदस्य बना दिया गया। अभी तक धार, बालाघाट, जबलपुर, रायसेन, अनूपपुर, राजगढ़, ग्वालियर, कटनी, भिंड, गुना, अशोकनगर, झाबुआ, अलीराजपुर, सिंगरौली, शाजापुर, सीधी, डिंडोरी, सतना, आगर के जिलाध्यक्ष बदले जा चुके हैं। भोपाल, जबलपुर, शहडोल, उज्जैन और चंबल संभाग के प्रभारी भी बदले गए थे। वहीं जिन नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाया गया है ,उन्हें साफ-साफ कह दिया गया है की यह नई जिम्मेदारी इसलिए जिम्मेदारी दी गई है ताकि , आप अच्छा परफॉर्मेंस करें। बताया जाता है कि जिन नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है उनकी परफॉर्मेंस पर भी नजर रखी जा रही है।

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