- युवा कांग्रेस ने नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े में लगाया बड़ा आरोप
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के नर्सिंग कॉलेजों में चल रहे घोटाले की परतें खुलने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सख्ती दिखाई दे रही है। सीएम के निर्देश पर उन अधिकारियों तथा कर्मचारियों की पहचान की जा रही है, जिन्होंने अनफिट नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में सहायता की।
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार दोषी अधिकारी बर्खास्त किए जाएंगे। सूत्रों के अनुसार बहुचर्चित नर्सिंग घोटाले में अभी तक सिर्फ सीबीआई के हत्थे चढ़े जांच अधिकारी, कॉलेज संचालक के अलावा नर्सिंग काउंसिल के पूर्व रजिस्ट्रार और कॉलेजों की नपती करने वाले तहसीलदार एवं अन्य के नाम सामने आए हैं। अब सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के नाम भी उछले हैं। युवा कांग्रेस ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान, उच्च शिक्षा विभाग के पूर्व आयुक्त निशांत वरवड़े पर भी नर्सिंग घोटाले में मिलीभगत के आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है।
दरअसल, निशांत वरवड़े आयुक्त चिकित्सा शिक्षा रहे हैं। इनके कार्यकाल में भी ही नर्सिंग कॉलेजों को फर्जी मान्यता देने का घोटाला सामने आया था। नर्सिंग घोटाले में सीबीआई रिश्वतकांड उजागर होने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अभी तक सिर्फ नर्सिंग काउंसिल के पूर्व रजिस्ट्रार समेत 111 लोगों को नोटिस भेजने की खानापूर्ति की है। नोटिस भेजने के बाद किसी पर भी कार्रवाई नहीं की है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर विभाग ने कार्रवाई शुरू की, जिसमें बर्खास्त करने के निर्देश दिए थे, लेकिन विभाग ने किसी को निलंबित तक नहीं किया। अब मामले को दबाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। वहीं नर्सिंग घोटाले में नर्सिंग काउंसिल के अलावा मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति और रस्ट्रिार की भूमिका कठघरे में हैं। विश्वविद्यालय ने भी फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने से रोकने में रुचि नहीं ली। इसी तरह मेडिकल विवि के वर्तमान कुलपति अशोक खंडेलवाल और रजिस्ट्रार पुष्पराज सिंह बघेल की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। खबर है कि दोनों पदाधिकारियों को मेडिकल विवि से हटाया जा सकता है।
मंत्रालय स्तर के अधिकारियों पर खुलकर आरोप
कांग्रेस नर्सिंग घोटाले को लेकर सडक़ पर उतर आई है। रविवार को राजधानी में युवा कांग्रेस ने बड़ा प्रदर्शन किया। सरकार के बड़े अधिकारी मोहम्मद सुलेमान, निशांत वरवड़े की तख्ती हाथ में लेकर प्रदर्शन किया गया और सरकार से नर्सिंग घोटाले के आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की है। यह पहली बार है कि जब नर्सिंग घोटाले में मंत्रालय स्तर के अधिकारियों पर खुलकर आरोप लगे हैं। नर्सिंग घोटाला 3 साल पहले उजागर हुआ था। तब नर्सिंग काउंसिल की पूर्व रजिस्ट्रार समेत सदस्यों को काउंसिल से हटाकर निलंबित कर दिया था। जिनमें पूर्व रजिस्ट्रार सुनीता शिजु, चंद्रकला दिगवैया समेत नर्सिंग कॉलेजों के निरीक्षण दल के एक दर्जन पूर्व सदस्य भी शामिल हैं। निलंबन के बाद इनमें से ज्यादातर को बहाल भी किया जा चुका है। जब सीबीआई रिश्वतकांड के बाद फिर से निर्सिंग काउंसिल के पूर्व पदाधिकारियों को नोटिस जारी किया गया तो इनमें पूर्व में निलंबित किए जा चुके पदाधिकारी भी शामिल हैं। चूंकि पूर्व पदाधिकारियों को फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता के चलते निलंबन के बाद बहाल किया जा चुका है। ऐसे में फिर से कार्रवाई करने से विभाग बच रहा है।
एक भी बर्खास्त नहीं
मुख्यमंत्री के निर्देश पर विभाग ने कार्रवाई शुरू की, जिसमें बर्खास्त करने के निर्देश दिए थे, लेकिन विभाग ने किसी को निलंबित तक नहीं किया। फर्जी नर्सिंग कॉलेजों की गलत रिपोर्ट देने वाले 14 तहसीलदार, नायब तहसीलदार समेत 111 लोगों को 15 दिन पहले नोटिस भेजा। इनमें नर्सिंग कौंसिल के तत्कालीन अध्यक्ष और रजिस्ट्रार भी शामिल हैं। जिन्हें नोटिस भेजा उनमें पल्लवी पौराणिक तत्कालीन तहसीलदार इंदौर, अंकिता यदुवंशी तत्कालीन नायब तहसीलदार विदिशा, ज्योति ढोके तत्कालीन नायब तहसीलदार नर्मदापुरम, रानू माल नायब तहसीलदार अलीराजपुर, अनिल बघेल नायब तहसीलदार झाबुआ, सुभाष कुमार सुनेरे तत्कालीन नायब तहसीलदार देवास, जगदीश बिलगावे नायग तहसीलदार बुरहानपुर, यतीश शुक्ला नायब तहसीलदार रीवा, छवि पंत तत्कालीन नायब तहसीलदार छिंदवाड़ा, सतेन्द्र सिंह गुर्जर तत्कालीन नायब तहसीलदार धार, रामलाल पगोर नायब तहसीलदार बुरहानपुर. जितेन्द्र सोलंकी तत्कालीन नायब तहसीलदार झाबुआ, अतुल शर्मा तत्कालीन नायब तहसीलदार सीहोर, कृष्णा पटेल तत्कालीन नायब तहसीलदार खरगोन शामिल हैं।