अचानक … रात में क्यों जागे इकबाल सिंह बैस?

इकबाल सिंह बैस?

बैक डेट में किए गए तबादलों से मुख्य सचिव नाराज, प्रमुख सचिवों, विभागाध्यक्षों तथा कलेक्टरों को मैसेज भेज मांगा जवाब …

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। गत दिनों देर रात अचानक प्रदेश के प्रमुख सचिवों, विभागाध्यक्षों तथा कलेक्टरों के मोबाइल पर मुख्यसचिव का एक मैसेज पहुंचा तो पूरी नौकरशाही में हड़कंप मच गया। अफसर सकते में आ गए कि आखिरकार ऐसा क्या हो गया कि मुख्यसचिव को रतजगा करना पड़ा है। जब अफसरों ने मैसेज पढ़ा तो उनमें से अधिकांश के होश उड़ गए।  मुख्यसचिव ने वाट्सअप मैसेज करके पूछा कि तबादले से प्रतिबंध हटने की सीमा समाप्त होने के बाद कितने तबादले किए गए हैं।
दरअसल, प्रदेश में सरकारी विभागों में तबादलों की डेडलाइन 5 अक्टूबर को खत्म हो चुकी है। इसके चलते अब फिलहाल तबादलों पर रोक लागू हो गई है, जबकि बैकडेट में तबादलों के आदेश जारी होते रहे। इससे नाराज मुख्यसचिव इकबाल सिंह बैंस द्वारा रात्रि लगभग दस बजे सभी प्रमुख सचिवों, विभागाध्यक्षों तथा कलेक्टरों को वाट्सअप मैसेज भेज पूछा है कि तबादले से प्रतिबंध हटने की सीमा समाप्त होने के बाद कितने तबादले किए गए। तबादले की समय सीमा समाप्त होने के बाद नियम विरुद्ध तरीके से तबादले क्यों और किसके निर्देश से किए गए।
असमंजस में अफसर
सूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव के मैसेज के बाद से ही अफसर असमंजस में हैं। उन्हें सूझ नहीं रहा है कि वे जवाब कैसे दें। अफसर मुख्यसचिव को यह भी सीधा-सीधा लिखकर जवाब नहीं भेज रहे कि विभाग से या प्रभारी मंत्री के यहां से अनुमोदन देरी से मिला, जिसके कारण आदेश देर से जारी हुए। अतिविश्वसनीय सूत्रों के अनुसार अधिकारियों ने सीधा-सीधा तो नहीं लेकिन घुमा फिराकर देरी के लिए मंत्री कार्यालय को जिम्मेदार ठहराने का प्रयास किया है। बताया जाता है कि पहली बार किसी मुख्यसचिव ने तबादलों को लेकर अफसरों से इस तरह जवाब तलब किया है।
तबादलों की नहीं बढ़ पाई तारीख
प्रदेश में सरकारी विभागों में तबादलों की डेडलाइन 5 अक्टूबर को खत्म हो चुकी है। इसके चलते अब फिलहाल तबादलों पर रोक लागू हो चुकी  है। इस बीच सरकार के स्तर पर तबादलों की अंतिम तारीख 10 अक्टूबर तक बढ़ाने पर विचार हो रहा था, लेकिन आदेश नहीं निकल सका। जबकि मंत्री पांच से दस दिन की मोहलत और चाहते हैं। दरअसल, इस बार तबादलों पर प्रतिबंध 17 सितंबर से 5 अक्टूबर तक के लिए हटाया गया था, लेकिन इस दौरान विभिन्न कार्यक्रमों के चलते अधिकतर मंत्री व्यस्त रहे। इसके अलावा अधिकारियों की भी इन्हीं कार्यक्रमों से व्यस्तता रही। उस पर अधिकतर मंत्री भोपाल में कम ही रुके हैं। इस कारण बेहद कम तबादले हो पाए थे। इसी कारण 5 अक्टूबर को डेडलाइन खत्म होने के बाद भी बैकडेट में तीन से चार विभागों की तबादला सूचियां जारी हुईं। स्कूल शिक्षा विभाग ने जरूर 10 अक्टूबर तक तबादलों के लिए आवेदन आवेदन बुलाए थे लेकिन ,बाकी विभागों को सामान्य प्रशासन विभाग से तबादला तारीख बढने  के आदेश का इंतजार था।  इससे पहले जनसेवा अभियान सहित अन्य व्यस्तताओं के कारण विभागीय मंत्रियों को तबादलों के लिए समय ही नहीं मिला। इसके अलावा कुछ मंत्रियों की अफसरों से पटरी नहीं बैठ रही, जिसके कारण तबादले अटके रह गए।  मंत्रियों के बंगलों के चक्कर काट-काटकर कर्मचारी व उनके परिजन भी काफी परेशान हुए, क्योंकि अधिकतर मंत्री भोपाल में कम ही रुके थे। इस कारण अब तबादलों की डेडलाइन खत्म होने के बाद बैकडेट या तारीख बढ़ाने का विकल्प ही बचता है।  इस दौरान अधिकतर मंत्री भोपाल में कम ही रुके।
ज्यादा दिक्कतें यहां
सबसे ज्यादा दिक्कत बड़े विभागों में हैं, क्योंकि यहां के कर्मचारी तबादलों के लिए चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन मंत्रियों से मुलाकात तक नहीं हो पाई। बड़े विभागों में स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, ग्रामीण विकास, बिजली और नगरीय प्रशासन जैसे विभाग हैं। पुलिस विभाग में डीएसपी व एएसपी स्तर के तीन दर्जन अधिकारियों के पद फील्ड में रिक्त हैं, लेकिन विभाग की तबादला सूची पुलिस मुख्यालय, शासन व गृह मंत्री के बीच लंबे समय से झूल रही है और निर्णय नहीं हो पा रहा है। बताया जाता है कि 54 डीएसपी के तबादले का प्रस्ताव लंबित है। भोपाल व इंदौर जिले में डीएसपी के कई पद रिक्त हैं।  विभाग के आला अफसरों की तबादला सूची मुख्यमंत्री कार्यालय ने लौटा दी है, जिससे उपायुक्त आबकारी इंदौर और सहायक आबकारी आयुक्त धार का पद लंबे समय से रिक्त है। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सख्त रूख के बाद संजय तिवारी को उपायुक्त आबकारी इंदौर और सहायक आबकारी आयुक्त धार को हटाकर आबकारी मुख्यालय ग्वालियर पदस्थ किया गया था, लेकिन कुछ अधिकारी संजय तिवारी को उज्जैन और मुकेश नेमा को इंदौर में पदस्थ कराना चाह रहे है, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय शायद इससे सहमत नहीं है। यही स्थिति सहायक आबकारी आयुक्त धार के लिए भी है। मुख्यमंत्री कार्यालय दोनों स्थानों पर साफ सुथरी छबि के अधिकारियों को पदस्थ करने के पक्ष में है। प्रमुख सचिव वाणिज्यिक कर श्रीमती दीपाली रस्तोगी अवकाश से लौट आई हैं। अब शायद अधिकारियों की पदस्थापना हो जाए।

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