भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। केंद्र सरकार द्वारा शून्य बजट की प्राकृतिक खेती पर दिए जा रहे जोर को देखते हुए अब प्रदेश की शिव सरकार ने तेजी से काम करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत हर गांव में दो किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़कर उन्हें बतौर इस मामले में सूबेदार बनाया जाएगा। इसके लिए कृषि विभाग द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
इस बतौर सरकार के नवाचार के रुप में देखा जा रहा है। कृ़षि विभाग के अलावा उद्यानिकी विभाग भी अपने स्तर पर इसके लिए अलग एक्शन प्लान बना चुका है। इसके तहत विभाग ने 50 हजार गांवों के एक लाख किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने की योजना तैयार की है। जिसके लिए जिला स्तरीय किसान क्लब बनाए जाएंगे, ताकि प्राकृतिक खेती, प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के प्रयासों को बड़े स्तर तक पहुंचाया जा सके। इन क्लबों के किसानों को सरकारी योजनाओं में अनुदान मुहैया कराया जाएगा। इसके लिए विभाग द्वारा तय किया गया है की हर गांव से कम से कम दो और अधिकतम पांच किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए शामिल किया जाए।
इन्हें दी जाएगी स्थायी सदस्यता: जिला किसान क्लब में स्थायी और अस्थायी तौर पर सदस्यता दी जाएगी। स्थायी सदस्यता उन किसानों को दी जाएगी जो पहले से जैविक खेती कर रहे हैं। इन किसानों के माध्यम से नए किसानों को प्रशिक्षण दिलाने की भी व्यवस्था की जा रही है, इसलिए इन पर फोकस किया जा रहा है। दूसरे वे किसान होंगे, जो प्राकृतिक खेती की शुरुआत करेंगे, उन्हें अस्थायी सदस्यता दी जाएगी। जिला किसान क्लब के सदस्यों में से 60 से 70 किसानों के समूह के लिए विशेष योजना बनाई है। प्राकृतिक खेती के लिए इन्हें अपनी खेती योग्य जमीन में से कुछ हिस्सा मिलाकर 50 हेक्टेयर का चक बनाना होगा। वे खेती के अलावा आदान केंद्र के माध्यम से प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन दे सकते हैं, जिसे स्थापित करने के लिए परियोजना आधारित प्रोत्साहन के लिए पांच लाख रुपए तक की सहायता दी जाएगी।
प्राकृतिक खेती में पहले स्थान पर
सूत्रों की माने तो प्रदेश में 16.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक/जैविक खेती की जा रही है, जो देश में सर्वाधिक है। प्रदेश में प्राकृतिक/जैविक खेती से 14.02 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन किया गया है। प्रदेश ने पिछले वित्त वर्ष में 2683 करोड़ रुपए मूल्य के 5 लाख मीट्रिक टन से अधिक के जैविक उत्पाद निर्यात किये हैं। सरकार द्वारा किसानों से आह्वान किया गया है कि वे खेती के कुल रकबे में से कुछ रकबे में प्राकृतिक खेती करें। प्राकृतिक कृषि किट लेने के लिए 75 प्रतिशत तक राशि भी उपलब्ध कराई जाएगी। खरीफ सीजन से पांच हजार 200 गांवों में प्राकृतिक खेती की गतिविधियां प्रारंभ की जाएंगी। प्रदेशभर में कार्यशालाएं होंगी और प्रत्येक विकासखंड में पांच-पांच पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं की सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
बोर्ड का हो चुका है गठन
मध्य प्रदेश में प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड का गठन किया जा चुका है। इसका काम किसानों को प्रोत्साहित करना है। सभी जिलों में 100-100 गांवों में प्राकृतिक खेती करने के लिए किसानों को तैयार किया जाएगा। अब तक एक लाख 65 हजार किसानों ने प्राकृतिक खेती में रूचि दिखाई है। प्राकृतिक खेती के लिए देसी गाय आवश्यक है। इसके गोबर और मूत्र से ही जीवांमृत तथा धनजीवांमृत बनाए जा सकते हैं। इसके लिए तय किया है कि किसानों को देसी गाय रखने के लिए 900 रुपये प्रति माह यानी 10 हजार 800 रुपये प्रतिवर्ष अनुदान के तौर पर दिए जाएंगे। प्रत्येक गांव में किसान मित्र और किसान दीदी की व्यवस्था भी होगी, जो प्राकृतिक खेती के मास्टर ट्रेनर के रूप में कार्य करेंगे। इन्हें मानदेय भी दिया जाएगा।
30/05/2022
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