भ्रष्टों के खिलाफ दिखी सख्ती

भ्रष्टों
  • चालान पेश करने में लोकायुक्त ने बनाया रिकॉर्ड

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत मप्र में लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जमकर कार्रवाई की है। वर्ष 2023 भ्रष्टाचार के मामलों में सख्ती के नाम रहा। लोकायुक्त में दर्ज केस से पता चलता है कि सरकारी महकमे में पद की दबंगई छाई रही। रिश्वत में ट्रैप के मामले कम हुए, लेकिन अनुपातहीन संपत्ति के केस दोगुने हो गए। इस साल पहली बार भ्रष्टाचार मामले में पंचायत सीईओ को सजा के साथ कोर्ट ने दो करोड़ का जुर्माना भी लगाया।
 इस साल चालान पेश करने में विभाग अव्वल रहा। वर्ष 2023 में भ्रष्टाचार को लेकर दर्ज किए गए मामलों में चालान पेश करने में भी रिकॉर्ड बना। इसमें कई वर्षों से अनुमति के लिए अटके मामलों को भी मंजूरी मिली। अब तक 87 मामलों में चालान पेश हुए, जबकि वर्ष 2022 में 37 और वर्ष 2021 में 34 मामलों में चालान पेश किए गए थे। वर्ष 2023 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत गठित विशेष न्यायालयों द्वारा 21 प्रकरणों में सजा दी गई। 11 मामलों में आरोपी दोषमुक्त हुए, इन सभी में हाई कोर्ट में अपील की गई है। 2023 में रिश्वत के 20 मामले हुए, जबकि पिछले साल ट्रैप के 30 केस थे। पांच मामलों में पटवारी, पांच में पंचायत सचिव व चार मामलों में पुलिसकर्मी ट्रैप हुए। बाकी अन्य विभागों के थे। रिश्वत के मामले कम पकड़े गए। हालांकि दो मामले पांच-पांच लाख की रिश्वत के थे। एक केस एमएम श्रीवास्तव, उप अंकेक्षक सहकारिता विभाग का तो दूसरा रविकांत उइके, सीईओ जनपद पंचायत सेंधवा का था।
पहली बार सजा के साथ 2 करोड़ जुर्माना…
जानकारी के अनुसार 2023 में लोकायुक्त में 43 केस दर्ज हुए, 2022 में यह संख्या 42 थी। 2023 में बेहिसाब संपत्ति के पांच प्रकरण पंजीकृत हुए, 2022 में दो केस दर्ज हुए थे। अफसरों के मुताबिक, कोर्ट ने जनपद पंचायत सेंधवा के सीईओ लाखन सिंह राजपूत के केस में चार वर्ष के कारावास के साथ 2 करोड़ के जुर्माने की सजा सुनाई। इंदौर में पहली बार कोर्ट ने इतना बड़ा जुर्माना लगाया। वर्ष 2023 में मप्र विशेष न्यायालय अधिनियम 2010 के अंतर्गत संपत्ति राजसात करने के छह केस भेजे गए। सभी में सामान्य प्रशासन विभाग ने अनुमति दी है। पिछले वर्ष दो प्रकरणों को अनुमति मिली थी। इनमें दो केस आबकारी के हैं। तत्कालीन आबकारी उपायुक्त जगदीश राठी की संपत्ति राजसात का प्रस्ताव मंजूर हुआ, वर्ष 2013 में छापा मारा था। तत्कालीन आबकारी उपायुक्त नवलसिंह जामोद की संपत्ति के राजसातप्रस्ताव को मंजूरी, 2014 में कार्रवाई हुई थी। महेश्वर जनपद पंचायत के कर्मचारी बाबूलाल पटेल के केस में मंजूरी, 2014 में छापा पड़ा था। लोक निर्माण विभाग के टाइमकीपर कृपाल सिंह की संपत्ति राजसात का प्रस्ताव मंजूर, 2014 में छापा पड़ा था। पंजीयक सुधीर मिश्रा का मामला, 2014 में रिश्वत लेते पकड़ा तो संपत्ति की भी जांच हुई। देपालपुर पंचायत सचिव योगेश दुबे की संपत्ति राजसात करने का मामला भी है।

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