भाजपा कब्जे वाली सीटों पर कमलनाथ की खास नजर
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे दलबदल का दौर तेज होता जा रहा है। इस मामले में अब तक कांग्रेस बाजी मारती हुई दिख रही है। कांग्रेस में भाजपा के वर्तमान से लेकर पूर्व विधायक तक आमद दे रहे हैं। अभी प्रदेश में आयाराम- गयाराम का दौर और तेज होने वाला है। माना जा रहा है कि भाजपा की दूसरी और कांग्रेस की पहली सूची जारी होने के बाद यह दौर और तेज होगा। ऐसे में कांग्रेस ने उन सीटों के लिए खास रणनीति तैयार कर ली है, जिन पर उसे लगातार हार मिल रही थी। ऐसी सीटों पर कांटे से कांटा निकालने की रणनीति बनाई गई है। इसके तहत भाजपा से आने वाले नेताओं को ही भाजपा के गढ़ों में बतौर प्रत्याशी मैदान में उतारा जाएगा। इसी रणनीति के तहत ही कांग्रेस ने सबसे ग्वालियर अंचल में सबसे पहले श्रीमंत की कर्मस्थली शिवपुरी को निशाने पर लिया है। उसके बाद बुंदेलखंड अंचल का सागर जिला है। यह जिला कांग्रेस के लिए बेहद मुसीबत बना हुआ था। यही नहीं इसके बाद अब कांग्रेस के निशाने पर अन्य अंचल भी आ गए हैं। कांग्रेस के निशाने पर भाजपा के वे बड़े नेता हैं, जो अपनी ही सरकार में पूरी तरह से उपेक्षित रहने की वजह से परेशान चल रहे हैं। उनकी सत्ता के साथ ही संगठन स्तर पर भी कोई मदद नहीं की गई है। इनमें कई चेहरे तो ऐसे हैं , जिनका पार्टी से हटकर अपना व्यक्तिगत बड़ा प्रभाव है। यही नहीं कांग्रेस की टीम के निशाने पर वे नेता भी हैं, जो भले ही किसी क्षेत्रीय दल यानि की बसपा में ही क्यों न हों, लेकिन वे बड़ा प्रभाव रखते हैं। ऐसे चेहरों को पार्टी में लाकर उन्हें चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए पार्टी द्वारा पहले ही सीटों का चयन कर लिया गया है।
विंध्य में भी दिया झटका: 2018 के विस चुनाव में कांग्रेस विंध्य क्षेत्र की ज्यादातर सीटें हारी थी। अब रैगांव के वरिष्ठ नेता रहे जुगल किशोर बागरी के बेटे और बहू देवराज और वंदना बागरी और मनगंवा से बसपा के चिन्ह पर चुनाव लड़ने वाली शीला त्यागी भी कांग्रेस में आ चुकी हैं। कुर्मी वोटों को साधने कमलेश्वर पटेल का कद बढ़ाया है।
श्रीमंत को झटके पर झटके
ग्वालियर-चंबल के असंतुष्ट भाजपा नेताओं को कांग्रेस ने अपना बनाने में कसर नहीं छोड़ी। कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने भाजपा छोड़ी। वहीं पूर्व विधायक देवेंद्र जैन के भाई पूर्व जिपं अध्यक्ष गोटू जैन, पूर्व जिप अध्यक्ष बैजनाथ यादव भाजपा छोड़ चुके हैं। यह वो अंचल है, जहां के करीब एक दर्जन बड़े प्रभावी नेता अब तक भाजपा को अलविदा कहकर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। दरअसल कांग्रेस के निशाने पर श्रीमंत हैं। इसकी वजह है उनकी बगावत की वजह से कांग्रेस को 15 माह के अल्पकाल में ही सत्ता से बाहर होना पड़ा था। इसी तरह से दतिया के अवधेश नायक भी कांग्रेसी हो चुके हैं। वे जिले के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं।
बुंदेलखंड पर भी जोर
बुंदेलखंड अंचल के सागर जिले से एक साथ तीन मंत्री आते हैं। इनमें से दो मंत्री तो ऐसे हैं, जिनकी वजह से कांग्रेस को बीते तीन सालों में बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ा है। हालात यह हो चुके थे , कि कांग्रेस के सामने प्रत्याशियों तक का संकट पैदा हो गया था , जिसकी वजह से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर हो रहा था, लेकिन कांग्रेस ने भी इस मामले में पलटवार किया है। सागर जिले की सुरखी विधानसभा क्षेत्र से विधायक और राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के क्षेत्र से नाता रखने वाले भाजपा नेता राजकुमार धनौरा को कांग्रेस ने पार्टी की सदस्यता दिला दी है। इसके अलावा बसपा के नेता गुड्डू राजा बुंदेला भी अब कांग्रेसी हो रहे हैं। निवाड़ी से जिपं सदस्य रोशनी यादव और राहतगढ़ के पूर्व जनपद अध्यक्ष नीरज शर्मा भी भाजपा से कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।